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गणेश वंदना से करें श्री गणेश को प्रसन्न

गणेश वंदना, भगवान गणपति महाराज की स्तुति के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने से पहले में गणेश जी की वंदना की जाती है। गणेश जी हिन्दुओं के सभी देवी/देवताओं में सबसे पहले पूजनीय है। वैदिक मान्यता के अनुसार विनायक जी की पूजा से पहले किसी अन्य ईश्वर की पूजा संभव नहीं है। गणपति महाराज अपने भक्तों के समस्त प्रकार के कष्टों को हर लेते हैं। इसी कारण उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है।

गणेश वंदना से करें श्री गणेश को प्रसन्न

गणेश वंदना आपको कई रचनाकारों के द्वारा भिन्न-भिन्न भाषाओं में मिल जाएगी। गणपति वंदना के लिए कई प्रकार के हिन्दी भजन भी मिल जाएंगे। लेकिन संस्कृत भाषा में गणेश वंदना का श्लोक इस प्रकार है -

गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षणम।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥

गणेश वंदना के इस श्लोक में गणेश जी आराधना करने वाला व्यक्ति विघ्नहर्ता को संबोधित करते हुए कहता है - मैं गजानन अर्थात जिनका हाथी के समान मुख वाले को हृदय से नमन करता हूँ, जिनकी भूत आदि गण सेवा करते हैं। जो कप्पीथ और जम्बू फल के सार को खाते हैं। देवी उमा यानि माँ पार्वती पुत्र हैं और जो जीवन से सभी दुखों को हरते हैं, मैं उस विघ्नेश्वर के कमल के सामान चरणों को नमन करता हूँ।

गणेश भगवान, शिवजी और माँ पार्वती के पुत्र और कार्तिकेय के भाई हैं। ऋद्धि और सिद्धि गणेश जी की पत्नियाँ हैं और शुभ और लाभ इनके पुत्र हैं। गणेश जी का मुख हाथी का है और उनका एक दाँत और चार भुचाएँ हैं। चूहा गणेश जी का वाहन है और मोदक उन्हें बेहद प्रिय हैं।

शास्त्रों में गणपति महाराज को बौद्धिक ज्ञान का देवता माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गणेश जी का संबंध बुध ग्रह से जोड़ा गया है। कहते हैं कि जो व्यक्ति बुधवार के दिन गणेश जी की आराधना सच्चे हृदय से करता है तो उस व्यक्ति का बुध ग्रह मजबूत होता है। जबकि गणेश वंदना करने वाले व्यक्ति के जीवन के समस्त प्रकार के कष्ट, विपदाएँ और परेशानियाँ दूर हो जाती है।

ऐसे करें गणेश वंदना

गणेश वंदना पर लिखा यह लेख आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगा। हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!

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