वक्री बुध 2021 कैलेंडर : महीना-तिथि और समय

एस्ट्रोसेज के बुध वक्री 2021 कैलेंडर में आपको वर्ष 2021 में बुध के वक्री होने की सभी तारीख और समय की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को सभी ग्रहों में राजकुमार का दर्जा दिया गया है। ऐसे में बुध का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है। बुध का विशेष प्रभाव व्यक्ति के जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर देखने को मिलता है। बुध ग्रह सूर्य के सबसे करीब माना जाता है और बुध ग्रह पर 3 साल पृथ्वी ग्रह के 1 साल के बराबर होता है।

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बुध वक्री 2021 कैलेंडर : बुध वक्री 2021 तिथि और समय

ग्रह वक्री आरंभ वक्री समाप्त इस राशि से इस राशि में
बुध जनवरी 30, 2021 20 बज-कर 54 मिनट फरवरी 21, 2021 05 बज-कर 49 मिनट कुंभ राशि मकर राशि
बुध मई 30, 2021 03 बज-कर 47 मिनट जून 23, 2021 02 बज-कर 50 मिनट मिथुन राशि वृषभ राशि
बुध सितंबर 27, 2021 10 बज-कर 12 मिनट अक्टूबर 18, 2021 20 बज-कर 11 मिनट तुला राशि कन्या राशि

वैदिक पुराणों में बुध ग्रह को ‘बुध’ कहा जाता है, वहीं ग्रीक पौराणिक कथाओं में बुध को हेमीज़ (Hermes ) कहा जाता है, इसका अर्थ होता है पंख वाला दूत, और वहीं रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध को एक चालबाज के रूप में दर्शाया गया है। बुध ग्रह को कंप्यूटर, वाणिज्य, व्यापार, बैंकिंग इन सभी क्षेत्रों से जोड़कर देखा जाता है। बुध का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार और उसके सोचने समझने की क्षमता पर साफ तौर पर पड़ता है। इसके अलावा बुध व्यक्ति की बुद्धि और वाणी का कारक भी माना गया है।

बुध व्यक्ति के त्वरित सोच और तर्कसंगत विचार प्रक्रिया से संबंधित माना गया है। यह विशेष रूप से व्यक्ति की बुद्धि, विवेक, वाणी, व्यापार और संवाद का कारक ग्रह भी माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध कितनी मजबूत स्थिति में है उस पर ही व्यक्ति के जीवंत और जिज्ञासु होना निर्भर करता है। सामान्य तौर पर बुध को एक लाभकारी ग्रह ही माना गया है लेकिन कभी-कभी यह नकारात्मक परिणाम भी दे सकता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में हो तो ऐसा व्यक्ति पढ़ाई और बात विचार आदि में तेज होता है। बुध ग्रह घरेलू और पारिवारिक मामलों के साथ गर्मी से संबंधित बीमारियों के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति से जातक पत्रकार, मीडिया-कर्मी, लेखक, वकील, विक्रेता, व्यापारी, व्यावसायिक व्यक्ति, या गणितज्ञ इत्यादि बनता है।

बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। इसके अलावा बुध कन्या राशि में उच्च का माना जाता है जबकि मीन राशि में बुध नीच का माना जाता है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में बुध मजबूत होता है उनका उनके भाई-बहनों के साथ मजबूत रिश्ता होता है। इसके अलावा ऐसे जातक स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत और बौद्धिक रूप से बेहद ही धनी माने जाते हैं। कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति इंसान को कुशाग्र बुद्धि का बनाती है। इसके अलावा ऐसे जातक सभी विषयों को तार्किक रूप से देखने में माहिर होते हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह के राहु, सूर्य और शुक्र का साथ मित्रता का संबंध होता है, जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शत्रु ग्रह हैं और अन्य सभी ग्रहों के साथ बुध के संबंध तटस्थ माने गए हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह का महत्व जानने और उसका किसी भी व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानने के बाद यह तो स्वाभाविक है कि बुध का वक्री होना कितनी महत्वपूर्ण घटना होती है। बुध का गोचर, बुध का वक्री होना, बुध का अस्त होना, या बुध का मार्गी होना इन सभी का इंसान के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अलग-अलग और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि बुद्ध का वक्री होना व्यक्ति के जीवन में बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित होता है। इस लेख में हम बुध के वक्री होने के बारे में और बुध के वक्री होने का सभी जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में बात करेंगे।

बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय

बुध वक्री 2021 कैलेंडर: क्या है बुध के वक्री होने का मतलब?

सबसे पहले सवाल उठता है कि, बुध का वक्री होने का अर्थ क्या है? तो, दरअसल सौर मंडल के सभी ग्रह अपनी कक्षा में अंडा-कार गति करते हुए पृथ्वी अथवा सूर्य के सापेक्ष किसी निकटतम बिंदु तक पहुंचते हैं तो पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि, यह सभी ग्रह उल्टी गति में चल रहे हैं। अर्थात सीधा ना चलते हुए पीछे/उलटी तरफ चल रहे हैं और इसे ही ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों की वक्री चाल कहा जाता है। असल में ऐसा सिर्फ प्रतीत होता है कि कोई ग्रह वक्री स्थिति में चल रहा है। अब अगर बात करें बुध के वक्री होने की तो क्योंकि बुध हमारे सौरमंडल का सबसे तेज ग्रह माना जाता है इसलिए बुध लगभग 1 साल में तीन से चार बार वक्री गति में होता है। ऐसे में अब जब आप एक बार बुध के वक्री होने का अपने जीवन पर प्रभाव को देखेंगे या समझेंगे तब आपको एहसास होगा कि, असल में बुध का वक्री होना कितना महत्वपूर्ण होता है, और भविष्य में जब भी बुध वक्री होगा तो आपके जीवन पर यह किस तरह से प्रभाव डाल सकता है। साथ ही आप यह भी जानेंगे कि बुध के वक्री होने के कठोर या दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आपको कौन से उपाय अपनाने चाहिए।

जैसा कि हमने पहले भी इस बारे में चर्चा की कि, बुध ग्रह एक लाभकारी ग्रह होने के साथ-साथ कभी-कभार नकारात्मक प्रभाव भी देता है। ऐसे में 2021 में जब बुध वक्री गति में होगा तो ऐसे में इंसान के जीवन में कई सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। 2021 में बुध के वक्री होने की संपूर्ण जानकारी होने से आप समय से इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए उचित उपाय कर सकते हैं। हमने 2021 में बुध ग्रह कब-कब किस राशि से किस राशि में वक्री होगा, और किस समय वक्री होगा इस बात की सारी जानकारी आपसे पहले ही साझा कर दी है। आइए अब जानते हैं कि, इस महत्वपूर्ण खगोलीय घटना का कुंडली के सभी बारह भावों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ेगा?

बुध वक्री 2021 कुंडली और सभी बारह भावों पर इसका असर

सनातन धर्म में बुध ग्रह को देवता के रूप में पूजा जाता है, और पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध को ईश्वर का संदेशवाहक माना गया है। ऐसे में जब बुध वक्री गति में चलता है तो इसके सीधे प्रभाव से कोई महत्वपूर्ण जानकारी खोने या किसी संदेश में व्यवधान आने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा बुध के वक्री होने का प्रभाव सीधे तौर पर इंसान को बेचैन और चिंतित भी बना देता है।

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आमतौर पर लोगों के मन में ऐसी धारणा बन चुकी है कि कोई भी ग्रह जब वक्री होता है तो इससे इंसान के जीवन पर अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है। जबकि असल में सच इससे एकदम परे है। बुध ग्रह 2021 वक्री अवस्था में भी जातकों को शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम देता है। यानी कि बुध वक्री अवस्था में भी किसी भी इंसान के जीवन में सकारात्मक या नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव दिखाने के लिए जाना जाता है। सरल भाषा में समझाएं तो बुध वक्री अवस्था में किस व्यक्ति को किस प्रभाव से फल देगा यह बात सीधे तौर पर इस बात पर निर्भर करती है कि वक्री अवस्था में बुध किन ग्रहों के साथ संबंध में है और उन ग्रहों का बुध पर क्या प्रभाव है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को एक तटस्थ ग्रह माना गया है जो अगर कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ स्थित होता है तो इंसान को शुभ परिणाम देता है और अगर यह पीड़ित ग्रहों के साथ होता है तो यह इंसान को दुष्परिणाम देता है। बुध अपनी वक्री अवस्था में बेहद मजबूत स्थिति में माना जाता है और यही वजह है कि वक्री स्थिति में होने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

बुध ग्रह के वक्री गति में होने से व्यक्ति के बोलने की क्षमता, सोचने की क्षमता और व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में वृद्धि होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। वहीं अगर कुंडली में बुध प्रतिकूल स्थिति में स्थित है तो इससे व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करने की भी आशंका बढ़ जाती है।

आइए अब जानने की कोशिश करते हैं कि बुध वक्री 2021 कुंडली के सभी 12 भावों पर किस प्रकार से असर डालेगा।

कुंडली का प्रथम भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव आदि बातों का प्रतिनिधित्व करता है। लग्न भाव या प्रथम भाव व्यक्ति के शारीरिक कद और मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे में बुध ग्रह का प्रथम भाव में वक्री होने के प्रभाव से इंसान आवेगी बन सकता है। आपके दिमाग में लगातार कोई ना कोई विचार उथल-पुथल मचा सकते हैं। साथ ही इससे व्यक्ति किसी भी पुरानी समस्याओं के समाधान के लिए नए विचार के बारे में सोच सकता है। किसी भी चीज को पूरा करने की आपकी क्षमता में निश्चित तौर पर सुधार होगा और आपकी निर्णय लेने की प्रक्रिया भी तेज होगी, लेकिन अंत में आपको सलाह यही दी जाती है कि इस दौरान आप कोई भी लंबे समय की कमिटमेंट ना करें, क्योंकि इस दौरान आपका तर्क कौशल बेहद ही कम रहने वाला है, और जल्दबाजी में किया गया कोई भी निर्णय आपको बाद में परेशानी में डाल सकता।

कुंडली का दूसरा भाव धन भाव या धन का कारक माना जाता है। साथ ही किसी भी काम को करने की आपकी योग्यता और क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में बुध वक्री 2021 कैलेंडर के अनुसार, इस भाव में यह ज्योतिषीय घटना आपके पेशे से कमाई और बचत को प्रभावित करेगी। जातक धन कमाने के नए तरीके खोज सकते हैं और साथ ही अपने पेशेवर जीवन में नए अवसरों को पाकर खुश भी होंगे। सलाह यही दी जाती है कि, इस दौरान कोई भी संपत्ति की खरीद में सावधानी बरतें अन्यथा जल्दबाजी में लिया गया कोई भी फैसला आपको बाद में नुकसान पहुंचा सकता है।

कुंडली का तीसरा भाव संचार, कौशल, बुद्धिमता और लेखन का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा यह भाई-बहन और उनके साथ आपके संबंध को भी दर्शाता है। बुध कुंडली के अनुसार संचार और बुद्धिमता को दर्शाता है, क्योंकि यह तीसरे घर को नियंत्रित करता है। ऐसे में बुध ग्रह का तीसरे भाव में वक्री होना आपकी सामाजिक जीवन में कमी की वजह बन सकता है। इसके अलावा इस दौरान आपका अपने प्रिय जनों के साथ कुछ ग़लतफहमी होने की भी आशंका है। हालांकि जातक को अपने शब्दों और संचार कौशल में वृद्धि हासिल होगी। आपको सलाह यही दी जाती है कि किसी भी बहस में या किसी पर दोषारोपण करने से बचें।

कुंडली में चौथा भाव माता एवं आनंद का भाव होता है। साथ ही यह मातृभूमि और विरासत को भी दर्शाता है। बुध का इस भाव में वक्री होना आपके जीवन स्तर में सुधार की वजह बनेगा। जातक इस दौरान अपने घर की सुख सुविधाओं और अपने रिश्तों को फिर से मजबूत बनाने में सक्षम साबित होंगे। इसके अलावा इस दौरान आप शान-ओ--शौकत से अपनी जिंदगी जिएंगे। कुल मिलाकर वक्री बुध का इस भाव में होना शुभ परिणाम ही लेकर आएगा।

कुंडली में पांचवा घर रचनात्मकता, कलात्मक क्षमता और तर्क की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही यह इंसान के न्याय कौशल का भी प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में बुध वक्री 2021 के अनुसार इस दौरान आपका बौद्धिक कौशल शीर्ष पर होगा। साथ ही इस दौरान आपके अंदर चंचलता देखने को मिलेगी। आप अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के प्रति एक नए दृष्टिकोण के साथ मैदान में उतरेंगे। साथ ही आप बच्चों के साथ बच्चे बनकर जीवन जिएंगे।

कुंडली में छठा घर प्रतियोगिताओं, चुनौतियों, बीमारियों और दुश्मन को दर्शाता है। साथ ही किसी भी चीज से लड़ने की आपकी इच्छा शक्ति को भी यह भाव दर्शाता है। ऐसे में इस भाव में बुध का वक्री होना जातकों के दैनिक दिनचर्या में कुछ उलझनों की वजह बन सकता है। साथ ही यह आपको बदली स्थिति के अनुकूल तैयार करने में भी साबित सहायक साबित होगा। इस साल आपको अपने दोस्त या किसी से भी बातचीत करते समय सतर्क और सावधान रहने की सलाह दी जाती है। अन्यथा आप अपने प्रियजनों या दोस्तों के साथ किसी बड़े टकराव में फंस सकते हैं।

कुंडली का सातवाँ घर साझेदारी, छोटी यात्रा या सामाजिक छवि को दर्शाता है। समाज में एक इंसान के व्यक्तित्व को किस तरह से देखा जा रहा है यह इस भाव से निर्धारित किया जाता है। वक्री बुध के प्रभाव से इस दौरान आपको अपना आइडियल साथी मिल सकता है। इसके अलावा अगर कोई पुराने रिश्ते या संबंध में कोई तकरार था, उसे भी वापस सही करने के लिए उसने वापस जोश भरने के लिए का मौका मिल सकता है।

कुंडली का आठवां भाव अचानक और अप्रत्याशित घटनाओं को दर्शाता है। इसके अलावा यह भाव गहरे रहस्य और आध्यात्मिकता की दुनिया का भी प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। इस भाव में वक्री बुध 2021 के प्रभाव स्वरूप जातकों के जीवन में दिव्यता आएगी। साथ ही उनकी मानसिक शक्ति में सुधार होगा और वह अपने हितों को बेहतर तरीके से समझने और लोगों को समझाने में सक्षम होंगे। इसके अलावा इस अवधि के दौरान अपने ऋण या लोन से मुक्ति पाने और संसाधनों के स्थानांतरण के लिहाज से समय अनुकूल रहेगा।

कुंडली का नवम भाव भाग्य, ख़ुशी और सफलता को दर्शाता है। यह एक इंसान के चरित्र और उसकी धार्मिक प्रवृत्ति को परिभाषित करता है। इस भाव में बुध का वक्री होना इंसान को विद्वान बनाएगा और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगा। साथ ही इस दौरान आपके बड़ों और पिता के साथ आपके संबंध में सुधार देखने को मिलेगा। आप इस दौरान अपने गुरु या देवता का आशीर्वाद लेने के लिए किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर भी जा सकते हैं।

कुंडली का दशम भाव कर्म भाव कहलाता है। साथ ही यह करियर और व्यवसाय का भाव भी माना गया है। वक्री बुध 2021 कैलेंडर के अनुसार, इस दौरान जातक सुर्खियों में रहेंगे। अब तक आपके पेशेवर जीवन में जो भी दिक्कत या परेशानी आ रही थी वह इस दौरान दूर होंगी और आपको सफलता मिलेगी। विशेष तौर पर यह समय उन लोगों के लिए शुभ साबित होगा जो प्रेशर हैं और नौकरी की तलाश कर रहे हैं। उन्हें इस दौरान अपनी मनचाही नौकरी मिल सकती है।

कुंडली का ग्यारहवां भाव या एकादश भाव आय और लाभ का भाव कहलाता है। साथ ही यह समृद्धि का भी घोतक माना गया है। इसके अलावा ये भाव दोस्तों का भी प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में इस भाग में वक्री बुध के परिणामस्वरूप आपके जीवन में कुछ ग़लतफहमी या संघर्ष आ सकते हैं। इसके अलावा अपने दोस्तों और दुश्मनों की सही पहचान के लिए यह समय बेहद ही सहायक साबित होगा। इसके अलावा इस भाव में वक्री बुध का होना आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाने में सहायक साबित होगा।

कुंडली का बारहवां/द्वादश भाव इच्छाओं और अलगाव का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा यह अनिद्रा और एडिक्शन/बुरी आदत को भी दर्शाता है। इस भाव में बुध का वक्री होना आत्मा विचार और मनोविज्ञान की मजबूत वजह बन सकता है। इसके अलावा इस दौरान आपका धन या कोई अन्य भौतिकवादी चीजों के लिहाज से नुकसान होने की आशंका है। इस समय के दौरान जातकों को अनिद्रा की समस्या हो सकती है जिसका दुष्परिणाम आपके स्वास्थ्य पर देखने को मिल सकता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिहाज से यह समय बेहद अनुकूल नहीं है।

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वक्री बुध 2021: दुष्प्रभाव से बचने के उपाय

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हम आशा करते हैं कि वक्री बुध के बारे में हमारा ये विस्तृत लेख आपके लिए हर मायने में सहायक साबित हो। नये वर्ष की शुभ कामना के साथ एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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