वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर : महीना-तिथि और समय

एस्ट्रोसेज के वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर में आपकी सुविधा के लिहाज से आपको 2021 में कौन सा ग्रह, किस महीने की किस तारीख को और कौन से समय पर वक्री हो रहा है इस बात की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है। साथ ही आपको यहां ये भी जानकारी दी जाती है कि कौन सा ग्रह कब किस राशि से किस राशि में वक्री होने जा रहा है। एस्ट्रोसेज के वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर में आपको इन सभी ग्रहों के वक्री होने का अपने जीवन पर प्रभाव के बारे में भी जानकारी मिलती है।

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ज्योतिष में ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान बताया गया है। माना जाता है कि इन ग्रहों का अपना स्वभाव और अपनी प्रकृति होती है और यह मनुष्य के जीवन पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं। ग्रहों की चाल व्यक्ति के विचारों और जीवन शैली में महत्वपूर्ण बदलाव लाती है। ऐसे में यह बात तो साफ है कि इन ग्रहों का गोचर या राशि परिवर्तन से हमारे जीवन पर अवश्य ही पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में मुख्यता नौ ग्रहों चंद्रमा, सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु के बारे में बात की जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि, वैज्ञानिक अध्ययन में जहां 9 ग्रहों के बारे में मुख्यता बात की जाती है, वहीं वैदिक ज्योतिष के अनुसार हम कुल 7 ग्रहों के बारे में मुख्य रूप से बात करते हैं।

ग्रहों के बारे में लोगों के बीच एक मजबूत धारणा यह भी है कि, यह ग्रह किसी न किसी रूप से इंसान के जीवन को प्रभावित करते ही हैं। दो प्राकृतिक ऊर्जाएं सूर्य और चंद्रमा को माना गया है। सूर्य जिसे पिता और आत्मा का कारक माना जाता है, वहीं चंद्रमा को मन और माँ का कारक माना गया है। इसके अलावा मंगल को शक्ति, पराक्रम का तो, बुध को बुद्धि, तर्क, गणित, संचार इत्यादि का कारक माना गया है। यहाँ ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि हमारे जीवन में नव-ग्रहों का व्यापक महत्व होता है। ग्रह हमारे जीवन के हर एक क्षेत्र को निश्चित रूप से परिभाषित करते हैं। तो आइए अब जानते हैं वर्ष 2021 में कौन सा ग्रह किस तिथि को किस राशि से किस राशि में वक्री होने जा रहा।

वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर : वक्री ग्रह 2021 तिथि और समय

ग्रह वक्री प्रारंभ वक्री समाप्त इस राशि से इस राशि में
बुध ग्रह जनवरी 30, 2021 20 बज-कर 54 मिनट फरवरी 21, 2021 05 बज-कर 49 मिनट कुंभ राशि मकर राशि
बुध ग्रह मई 30, 2021 03 बज-कर 47 मिनट जून 23, 2021 02 बज-कर 50 मिनट मिथुन राशि वृषभ राशि
बुध ग्रह सितंबर 27, 2021 10 बज-कर 12 मिनट अक्टूबर 18, 2021 20 बज-कर 11 मिनट तुला राशि कन्या राशि
बृहस्पति ग्रह जून 20, 2021 20 बज-कर 49 मिनट अक्टूबर 18, 2021 11 बज-कर 39 मिनट कुंभ राशि मकर राशि
शुक्र ग्रह दिसम्बर 19, 2021 16 बज-कर 32 मिनट जनवरी 29, 2022 14 बज-कर 55 मिनट मकर राशि धनु राशि
शनि ग्रह मई 23, 2021 15 बज-कर 35 मिनट अक्टूबर 11, 2021 03 बज-कर 43 मिनट मकर राशि मकर राशि

अब ये जानने के बाद कि कौन सा ग्रह किस दिन वक्री हो रहा है, आइये ये जानते हैं कि ग्रहों की इन वक्री चाल का हमारे जीवन पर क्या और कैसा असर पड़ेगा।

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वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर: जानें क्या होता है ग्रहों का वक्री होने का मतलब?

वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर में मुख्य रूप से हम लोग नौ ग्रहों के बारे में विचार करते हैं, जिनके नाम है सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु। सौरमंडल में अपनी स्थिति और अपनी चाल के माध्यम से यह सभी ग्रह व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। हालांकि पारंपरिक वैदिक ज्योतिष के अनुसार हम यहां केवल 7 ग्रहों की गति पर विचार करते हैं क्योंकि नौ में से इन सात ग्रहों का इंसान के जीवन पर खासा प्रभाव देखने को मिलता है। सूर्य और चंद्रमा लगातार सीधी गति में चलते हैं, और राहु और केतु हमेशा वक्री स्थिति में चलते हैं, और बाकी सभी ग्रह अर्थात बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि सीधी गति के साथ-साथ उल्टी गति चलने के लिए भी जाने जाते हैं।

अब बात करते हैं कि, ग्रहों के वक्री होने का अर्थ क्या होता है? दरअसल सौर मंडल के सभी ग्रह अपनी कक्षा में अंडाकार गति करते हुए पृथ्वी अथवा सूर्य के सापेक्ष किसी निकटतम बिंदु तक पहुंचते हैं। इस दौरान पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह ग्रह उल्टी गति में चल रहे हैं। ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों की इस उलटी स्थिति को ही वक्री चाल कहा जाता है। वास्तव में देखा जाए तो कभी कोई ग्रह उल्टा नहीं चलता। यह हमेशा सूर्य के इर्द-गिर्द एक ही गति में भ्रमण करते हैं। हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि वह उल्टी दशा में जा रहे हैं।

अगर आपके मन में यह सवाल है कि कोई ग्रह वक्री स्थिति में क्यों नजर आता है, तो इसका जवाब है कि यह वक्री स्थिति ग्रहों की अनियमित गति और पृथ्वी के प्रति उनकी दूरी के चलते प्रतीत होती है, इसीलिए जब पृथ्वी से ग्रहों के इस भ्रमण को देखा जाता है या ग्रहों की चाल को देखा जाता है तो ऐसा केवल आभास होता है कि ग्रह उल्टी दिशा में चल रहे हैं। ग्रहों की इसी स्थिति को ‘वक्री’ के रूप में जाना जाता है और पौराणिक हिंदी में इसे ‘वक्री ग्रह’ नाम दिया गया है।

ज्योतिष में ग्रहों की वक्री स्थिति का फल अलग अलग होता है। सामान्य तौर पर कोई भी ग्रह वक्री होने पर शुभ-अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं। कोई ग्रह वक्री होने पर शुभ परिणाम प्रदान करेगा या अशुभ परिणाम प्रदान करेगा यह साफ़ तौर पर ग्रह की स्थिति, स्थान और अन्य पहलुओं पर निर्भर करता है। इसी तरह वह अपनी दशा और अंतर्दशा के दौरान जातक को सकारात्मक, नकारात्मक या मिश्रित परिणाम प्राप्त प्रदान करते हैं। तो आइये इसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सभी ग्रहों के वक्री होने का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा और साथ ही जानते हैं इस प्रभाव को कम या खत्म करने के कुछ बेहद ही सरल और सटीक उपायों के बारे में भी।

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वक्री ग्रह 2021 कैलेंडर : बुध ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को नव-ग्रह मंडल में राजकुमार का दर्जा दिया गया है। ऐसे में बुध का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसका विशेष प्रभाव इंसान के व्यवहार और उसके सोचने-समझने की क्षमता पर साफ तौर पर पड़ता है। बुध ग्रह की गति अन्य सभी ग्रहों से तेज मानी जाती है और सूर्य ग्रह के सबसे निकट होने के कारण बुध ग्रह अक्सर अस्त अवस्था में रहता है। जहाँ अन्य ग्रह अमूमन वर्ष में केवल एक ही बार वक्री होते हैं वहीं अपनी तेज गति के चलते बुध ग्रह 1 साल में तीन से चार बार वक्री अवस्था में होता है। बुध का वक्री होना, जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि इसका इंसान के जीवन पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष असर देखने को मिलता है।

ऐसे में लोग इस बारे में जानना चाहते हैं कि, बुध ग्रह किस वर्ष में और कब वक्री हो रहा है। वक्री बुध की सही तिथि और समय की संपूर्ण जानकारी साफ तौर पर जानने के बाद हमें वक्री बुध के बारे में एक उपयुक्त जानकारी तो मिलती ही है साथ ही समय से हम इस बारे में जानकारी इक्कठा करके अपने जीवन में होने वाले निराशा से भी बच भी सकते हैं। सामान्य तौर पर बुध हमारे बोलने, चालने, व्यवहार और सोचने समझने की शक्ति को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही बुध कंप्यूटर कोडिंग और सभी तरह की भाषा को भी नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं, इसके अलावा यह औपचारिक व्यापार अनुबंधों, वसीयत और समझौतों को नियंत्रित करता है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध संदेश, वित्त, व्यापार, यात्रा और अभिव्यक्ति के सभी रूपों के प्रमुख देवता माना गया है। बुध सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाला और सबसे छोटी कक्षा के साथ सबसे तेज गति से चलने वाले ग्रहों में से एक माना गया है। यह अपने एक चक्कर को पूरा करने में लगभग 88 दिनों का समय लगाता है।

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि बुध का वक्री होना इंसान के जीवन के किन-किन पहलुओं को प्रभावित करता है। बुध ग्रह के गोचर का सीधा प्रभाव हमारी व्यवहारिकता, हमारे जीवन जीने के ढंग पर पड़ता है। हमारी संवाद शैली और क्षमता किस प्रकार की है यह सब कुछ बुध ग्रह के गोचर पर ही निर्धारित होता है। माना जाता है कि बुध के वक्री होने पर व्यक्ति के संवाद शैली के साथ-साथ उसके सोचने समझने की शक्ति पर भी इसका साफ असर पड़ता है। जिसके चलते इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए। इसके अलावा बुध का वक्री होना त्वचा में एलर्जी, सर्दी और फ़्लू जैसी मौसमी एलर्जी और कुछ छोटी-मोटी अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को भी अपने साथ लेकर आता है। इसके अलावा बुध का गोचर तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है और कुछ जातकों को इसके प्रभाव से अनिद्रा जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

बुध के गोचर के दौरान व्यक्ति आवेगी हो जाता है और संचार में कमी के साथ-साथ जीवन में भ्रम की स्थिति भी पैदा हो जाती है। इसके अलावा यह पर्यावरण को अस्थिर और परिवर्तनशील बना देता है इसलिए कोई भी दीर्घकालिक निवेश किए जाने से इस दौरान बचना चाहिए। साथ ही अगर किसी नई परियोजना की शुरुआत या किसी नए व्यवसाय की शुरुआत करने की योजना बनाई जा रही है तो उसमें भी रुकने की सलाह दी जाती है। बुध को चंद्रमा की तरह एक प्रभावशाली ग्रह माना गया है। ऐसे में बुध ग्रह का किसी जातक पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह जन्म-कुंडली में बुध के स्थान और अन्य बातों पर निर्भर करता है।

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि बुध अपनी वक्री अवस्था में किन ग्रहों के साथ संबंध में है इस बात पर बुध की वक्री अवस्था का फल निर्भर करता है। अगर बुध कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ मौजूद है तो वक्री होने पर भी जातकों को संचार उत्तम संचार का उपहार मिलता है। जबकि अगर बुध अपने दुर्बल स्थिति में होता है तो इससे इंसान की बातचीत करने की शैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही लिखने की कला में भी कमी आती है। यदि जन्म कुंडली में बुध शुभ स्थान पर मौजूद है तो बुध वक्री 2021 के परिणाम स्वरूप व्यक्ति की बुद्धि सशक्त होगी। साथ ही उन्हें धन-धान्य का भी सौभाग्य प्राप्त होगा।

इसके अलावा ऐसी स्थिति में वक्री बुध के परिणाम स्वरूप आपकी तर्क शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता में भी विकास होगा और आपके दृढ़ संकल्प में भी मज़बूती देखी जा सकेगी। ठीक उसी तरह अगर बुध कमजोर अवस्था या पीड़ित ग्रहों के संबंध में है तो वक्री बुध का परिणाम प्रतिकूल प्राप्त होगा और वक्री बुध आपके जीवन के उन क्षेत्रों को प्रभावित करेगा जिनके साथ वह जन्म-कुंडली में मौजूद है। ऐसी स्थिति में आपके विचारों को व्यक्त करने के लिए क्षमता में कुछ कमज़ोरी और अक्षमता भी ला सकता है।

उपाय: रोजाना बुध बीज मंत्र का जाप करें। पेड़ लगाएँ और उसकी देखभाल करें।

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वक्री ग्रह कैलेंडर 2021 : शुक्र ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

शुक्र पृथ्वी ग्रहों में से एक है। इसे अक्सर ‘पृथ्वी की बहन’ या ‘जुड़वाँ’ के रूप में वर्णित किया जाता है। शुक्र को अंग्रेजी में वीनस कहते हैं। जिसका अर्थ है प्यार की देवी। स्त्री ग्रह शुक्र पुरुष की जन्म कुंडली में पत्नी को दर्शाता है, और साथ ही यह सुख-सुविधाओं और विलासिता इत्यादि का कारक भी माना गया है। सबसे अधिक लाभकारी ग्रहों में से एक शुक्र ग्रह दो राशियों को नियंत्रित करता है। जिनमें से एक है वृषभ राशि और दूसरी है तुला राशि। इसी लिहाज से शुक्र सातवें भाव का कारक होकर पुरुषों से संबंधित मामलों का कार्यवाहक माना गया है।

शुक्र जिसे भोर का तारा भी कहा जाता है, उसे एक राशि से भ्रमण करने में लगभग 23 दिनों का समय लगता है। आंतरिक ग्रहों में बुध ग्रह के बाद शुक्र ग्रह सूर्य के सबसे नज़दीक माना गया है। शुक्र को प्रेम, विवाह, सौंदर्य, और सांसारिक सुख इत्यादि की देवी माना गया है। शुक्र का गोचर इंसान को वैचारिक तर्क और वित्तीय प्रचुरता प्रदान करता है। साथ ही यह जीवन में ख़ुशियाँ और जश्न मनाने के कई अवसरों को भी अपने साथ लेकर आता है। किन्ही भी दो इंसानों के बीच स्वास्थ्य संबंध विकसित करने और एक मजबूत गठबंधन कराने के लिए शुक्र को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक किसी भी नए रिश्ते को व्यवस्थित रूप से बनाना पसंद करते हैं, और हर चीज में खूबसूरती की तलाश करते हैं। हम अपने जीवन में अन्य लोगों के साथ किस तरह से सामाजिक मेलजोल बढ़ाते हैं, बातचीत करते हैं, हमारा फैशन सेंस क्या है, और हमने कितनी कलात्मकता यह सारी बातें शुक्र ग्रह ही निर्धारित करता है।

शुक्र ग्रह के प्रभाव में जातक अक्सर खुशनुमा ही रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना गया है कि शुक्र ग्रह देवी महालक्ष्मी का ही एक अवतार है। ऐसे में अगर किसी इंसान की जन्म कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में नहीं होता है तो ऐसे इंसानों की शारीरिक बनावट कुछ खास आकर्षक नहीं होती, ऐसे इंसान को विवाहित जीवन या प्रेम जीवन में सफलता नहीं मिलती है, साथ ही बच्चों के जन्म से संबंध में इन्हें परेशानियां उठानी पड़ती है और कई मामलों में यह स्थिति बांझपन तक पहुंच जाती है। ऐसे जातकों को कई बार ऐसा भी लग सकता है कि उनके जीवन में शायद प्यार है ही नहीं या शायद वह प्यार कर ही नहीं सकते हैं।

शुक्र मीन राशि में उच्च का माना जाता है और कन्या राशि में नीच का माना गया है। इन सारी बातों को जानने के बाद यह जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि वक्री शुक्र का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है। वक्री शुक्र के प्रभाव से जातकों को प्रेम और धन से संबंधित मुद्दों में परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। इसके अलावा जिन लोगों की शादी हो चुकी है या जो किसी के साथ प्रेम के संबंध में है उन्हें अपने रोमांटिक जीवन में कुछ परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।

किन्ही मामलों में यह परेशानियां अलगाव तक की वजह बन सकती हैं। कुल मिलाकर हम शुक्र के वक्री होने की बात करें तो मुमकिन है कि, इसका इंसान के जीवन पर इसका प्रतिकूल परिणाम प्राप्त हो। हालांकि यदि सभी तरह की परेशानियों से गुजरने के बाद भी शुक्र के वक्री होने के दौरान कोई व्यक्ति किसी नए रिश्ते में प्रवेश करता है तो वह रिश्ता बेहद ही खूबसूरत और मजबूत साबित हो सकता है। 2021 में शुक्र का वक्री होना आपके शारीरिक हाव-भाव में किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए अच्छा समय साबित नहीं होगा, खासतौर पर बात करें अगर आपके हेयर स्टाइल की तो।

उपाय : शुक्र के शुभ प्रभावों को अपने जीवन में बनाये रखने के लिए रोजाना शुक्र बीज मंत्र का पाठ करें। इसके अलावा आपको अपने पार्टनर को सुगंधित चीज़ें या उपहार देकर सरप्राइस करना भी शुभ साबित हो सकता है।

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वक्री ग्रह कैलेंडर 2021: बृहस्पति ग्रह वक्री 2021 और उसके प्रभाव

जुपिटर जिसे हिंदी भाषा में गुरु या बृहस्पति भी कहा जाता है, यह विशाल शुभ ग्रह मनुष्य के जीवन में एक महान भूमिका निभाता है। साथ ही वैदिक ज्योतिष में भी इस ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। बृहस्पति ग्रह विकास, चिकित्सा, समृद्धि, धन-धान्य, चमत्कार और आध्यात्मिक सफलता के सिद्धांतों से जुड़ा ग्रह माना गया है। इसके अलावा बृहस्पति सौभाग्य और भाग्य का कारक माना जाता है। साथ ही इसे एक बेहद ही दयालु और परोपकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है।

बृहस्पति ग्रह लंबी दूरी और विदेश यात्रा, बड़े व्यवसाय, उच्च शिक्षा, और कानून का भी प्रतिनिधित्व करता है। मुहूर्त शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह का दिन गुरुवार होता है। इसके अलावा यह धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है। इसी वजह से इस राशि के तहत पैदा हुए लोग या इस ग्रह के प्रभाव में पैदा हुए लोग स्वभाव से आज्ञाकारी, बेहद ही अनुशासित, ईमानदार, और स्वभाव में आध्यात्मिक होते हैं। साथ ही इनकी एकाग्रता की शक्ति बेहद ही शानदार और बेमिसाल मानी गई है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शुक्र ग्रह को असुर गुरु कहा जाता है, ठीक उसी तरह से बृहस्पति को देव-गुरु कहा जाता है। शुभ ग्रह बृहस्पति प्रसिद्धि, नैतिकता, अच्छी संतान, भक्ति, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे रिकॉर्ड और किसी के जीवन में धर्म के प्रति झुकाव का भी कारण कारक होता है।

हालांकि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में बृहस्पति प्रतिकूल स्थान पर नहीं होता है तो, उसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के जीवन में निराशावाद, अवसाद और थकावट की अधिकता देखी जाती है। जन्म कुंडली में बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति शादी-विवाह में देरी का कारण बनती है और इससे व्यक्ति के जीवन में बार-बार मूड और व्यक्तित्व परिवर्तन भी देखने को मिलता है। ऐसे लोगों को आसानी से भोला बनाया जा सकता है। साथ ही दूसरे लोग इन पर बेहद ही आसानी से हावी भी हो सकते हैं। बात करते हैं बृहस्पति के वक्री होने के प्रभाव और उससे संबंधित उपायों के बारे में।

बृहस्पति वक्री 2021 के दौरान जातकों के अंदर ऐसे काम को करने की क्षमता आ सकती है जो अभी तक उनके लिए करना असंभव साबित हो रहा था। इस दौरान जातकों की एकाग्रता, दृढ़ संकल्प, इच्छा शक्ति प्रबल होगी जो उन्हें उनके जीवन में शानदार प्रदर्शन करने में मददगार साबित होगी। यानी कि कुल मिलाकर देखा जाए तो 2021 बृहस्पति वक्री जातकों के जीवन में सकारात्मक परिणाम और आशावाद लाने में मददगार साबित होगा।

उपाय: अपने माथे पर केसर का तिलक लगाएँ। अपने बड़े बुजुर्गों, गुरु, शिक्षकों की इज़्ज़त करें। बृहस्पति वक्री के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करें।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2021: शनि ग्रह वक्री 2021 और उसके प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को बेहद ही महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है। इस ग्रह का नाम इसकी प्रकृति के आधार पर रखा गया है, जो धीरे-धीरे (शनये) चलती है और एक राशि चक्र को पार करने में लगभग ढाई साल का समय लेती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि को क्रूर ग्रह माना गया है और यह ग्रह सूखा और ठंडा ग्रह होता है। शनि ग्रह को मकर और कुंभ राशि का अधिपत्य प्राप्त है। तुला राशि में शनि उच्च का होता है जबकि मेष राशि में शनि नीच का माना जाता है।

जिन लोगों का जन्म तुला राशि के तहत होता है उन व्यक्तियों पर शनि ग्रह का शासन माना जाता है। इसके अलावा उनके जीवन पर हमेशा शनि देव की कृपा और आशीर्वाद बनी रहती है। शनि ग्रह को एक शिक्षक और न्याय प्रिय ग्रह माना जाता है जो अपने छात्रों को उनके काम के अनुसार फल या दंड देते हैं। अच्छा काम करने पर उन्हें अच्छे फल प्राप्त होते हैं वहीं, बुरा काम करने पर उन्हें दंड भी भुगतना पड़ता है। इस ग्रह के प्रभाव में आने वाले जातक मुख्यता शांत स्वभाव के, विश्वसनीय, ईमानदार, निष्ठा वान, दृढ़, मेहनती माने जाते हैं।

शनि उन छात्रों को अच्छे परिणाम प्रदान करता है जो कठिन अध्ययन करते हैं और अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा शनि को व्यक्ति के लंबी उम्र से भी जोड़कर देखा जाता है। शनि जब किसी जातक की जन्म कुंडली में शुभ स्थान पर होता है तो इससे इंसान को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त होता है। शनि ग्रह शक्ति और अनुशासन में विश्वास रखने वाला ग्रह माना गया है। शनि के प्रभाव में रहने वाले व्यक्ति को अपने जीवन में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि प्रतिकूल स्थान पर स्थित है तो इससे वह व्यक्ति सुस्त महसूस करता है या फिर तनाव और परेशानियों के बोझ के तले दबा रहता है। शनि ग्रह उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो राजनीति में प्रवेश करना चाहते हैं या राजनीति में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।

अब बात करते हैं शनि प्रतिगामी 2021 का जातकों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव और इसके इससे संबंधित उपायों के बारे में। शनि अपने समय का लगभग 36% अपनी वक्री स्थिति में खर्च कर देता है। ऐसा माना जाता है कि जब शनि वक्री गति में होता है तो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार परिणाम देता है। इस दौरान जातक अपने जीवन में थोड़ा भयभीत और आने वाली परिस्थितियों से लड़ने में अ-सक्षम महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा इस दौरान व्यक्ति के जीवन में अहंकार की अधिकता देखी जा सकती है। साथ ही इस दौरान जातकों के आत्मविश्वास में कमी भी आ सकती है। आपका अपने भाई-बहनों और परिवार के बड़े लोगों के साथ कुछ झगड़ा इत्यादि भी हो सकता है।

उपाय: शाम के समय शनि देव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि स्त्रोतम का पाठ करें। इसके अलावा शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से जितना हो सके बच कर रहे।

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हम आशा करते हैं कि वक्री ग्रहों के बारे में हमारा ये विस्तृत लेख आपके लिए हर मायने में सहायक साबित हो। नये वर्ष की शुभ कामना के साथ एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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