चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023)

लेखक: आचार्य मृगांक | Updated Fri, 23 Dec 2022 09:11 AM IST

चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) से संबंधित एस्ट्रोसेज के इस विशेष आर्टिकल में हम आपको यह बताएंगे कि वर्ष 2023 में कुल मिलाकर कितने चंद्रग्रहण घटित होंगे। वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे या आंशिक चंद्रग्रहण। इसके साथ ही हम आपको हर चंद्रग्रहण से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी भी प्रदान करेंगे कि वह ग्रहण किस दिन, किस दिनांक को कितने बजे से कितने बजे तक लगेगा और कहां-कहां दिखाई देगा। चंद्रग्रहण से संबंधित क्या होंगी धार्मिक मान्यताएं और क्या होगा चंद्र ग्रहण का सूतक। गर्भवती महिलाओं को कौन सी विशेष सावधानी रखनी होगी और ग्रहण के दौरान कौन से काम करने होंगे या कौन से काम नहीं करने होंगे, आदि सभी जानकारी आपको इस आर्टिकल में प्रदान की जा रही हैं इसलिए सारी जानकारी को ठीक से प्राप्त करने के लिए आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। इस आर्टिकल को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषी डॉ मृगांक शर्मा ने तैयार किया है तो आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) के बारे में सारी जानकारी।


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चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसको लेकर सभी लोग जिज्ञासा भरी निगाहों से इसका इंतजार करते हैं। वास्तव में यह एक बहुत ही खूबसूरत नजारा होता है जो हमें आकाश में दिखाई देता है। इसकी खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि सारी दुनिया के लोग ऐसी जगह इकट्ठे होकर चंद्रग्रहण देखना पसंद करते हैं,‌ जहां से यह सबसे अच्छी तरह और सबसे ज्यादा लंबे समय के लिए दिखाई दे सके। चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण की भांति एक अलग महत्व रखता है। चंद्रग्रहण का अपना वैज्ञानिक महत्व होने के साथ-साथ आध्यात्मिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है। ज्योतिषीय रूप से भी यह महत्वपूर्ण होते हैं। वैसे तो जब भी हम कभी चंद्रग्रहण का नाम लेते हैं तो हमारे मन में बहुत से नकारात्मक और डरावने विचार आने लगते हैं क्योंकि यह हमारे मन में बैठा हुआ है कि जब भी कोई ग्रहण होगा वह सदैव हानिकारक ही होगा जबकि वास्तविकता कई बार इससे भिन्न हो सकती है।

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अब यदि हम चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) के बारे में जानना चाहें तो भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण काल को पृथ्वी के सभी जीव धारियों के लिए नकारात्मक प्रभाव डालने वाला माना गया है और यही वजह है कि चंद्र ग्रहण से बचने के उपाय भी वैदिक ज्योतिषी बताते हैं। आमतौर पर यह खगोलीय घटना है जिसे लोग ज्यादा खुशी से देखना पसंद करते हैं लेकिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है तो आइए जानते हैं कि क्या होता है चंद्र ग्रहण और कैसे यह निर्मित होता है।

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क्या होता है चंद्रग्रहण

हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है और यह पृथ्वी का चक्कर लगाता है जबकि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती है। एक समय ऐसा जाता है कि जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक रेखा में आ जाते हैं और इस स्थिति में चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है तो कुछ विशेष समय अंतराल पर ऐसा घटित होता है कि सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पड़ती है और पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह से ढक जाता है और सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाता तथा अंधेरा प्रतीत होने लगता है। इस अवधि को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

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चंद्रग्रहण के प्रकार

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि चंद्रग्रहण किस प्रकार घटित होता है लेकिन प्रश्न यह उठता है कि सदैव एक जैसा चंद्रग्रहण तो हो नहीं सकता तो कहीं न कहीं चंद्रग्रहण के अलग-अलग प्रकार भी हो सकते हैं तो हम आपको बताते हैं कि चंद्रग्रहण लगभग तीन प्रकार का हो सकता है जो कि स्थिति और परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग दिखाई देता है। आइए जानते हैं वह तीन प्रकार:

पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)

जब हम पूर्ण चंद्रग्रहण की बात करते हैं तो यह स्थिति तब होती है कि पृथ्वी की छाया पूर्ण रूप से सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा पर आने से रोक देती है। इस स्थिति में चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का प्रतीत होने लगता है और पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा के धब्बे भी स्पष्ट नजर आने लगते हैं। इसको पूर्ण चंद्रग्रहण या फिर सुपर ब्लड मून (Super Blood Moon) कहा जाता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse)

जब पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर होती है और सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से नहीं रुक पाता बल्कि थोड़ा पृथ्वी की छाया से रुक जाता है और थोड़ा नहीं रुक पाता तो इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं क्योंकि इसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया कुछ हिस्सों पर पड़ती है और शेष जगह पर सूर्य का प्रकाश नज़र आता है। यह ग्रहण इसी कारण ज्यादा लंबी अवधि का भी नहीं होता है।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)

उपरोक्त पूर्ण चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का चंद्रग्रहण भी अस्तित्व में आता है। खगोलीय स्थिति से समझें तो कई बार पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसकी सतह धुंधली सी नजर आने लगती है। इसको हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं। हालांकि ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसमें चंद्रमा ग्रसित महसूस नहीं होता है और इसको चंद्रग्रहण की श्रेणी में रखा नहीं जाता। खगोलीय स्थिति से यह एक ग्रहण हो सकता है लेकिन इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व नहीं माना गया है इसलिए इसका सूतक काल भी नहीं माना जाता है।

चंद्र ग्रहण 2023 का सूतक काल

यदि हम वैदिक सनातन धर्म की बात करें तो उसके अनुसार चंद्र ग्रहण के सूतक काल के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। सूतक काल उस अवधि को कहा जाता है जो चंद्र ग्रहण के स्पर्श के समय से यानी कि चंद्रग्रहण के लगने से लगभग 3 प्रहर पूर्व अर्थात लगभग 9 घंटे पूर्व शुरू होती है और चंद्र ग्रहण के मोक्ष यानी कि चंद्र ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो जाती है। इस अवधि के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है क्योंकि इस अवधि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इस दौरान मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श, मंदिरों में जाना आदि कार्य तथा किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन संस्कार आदि भी नहीं किए जाते हैं। चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) के सूतक काल की जानकारी के लिए यह आवश्यक है कि वर्ष 2023 में कब-कब और कुल कितने चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं।

2023 में चंद्र ग्रहण कब है?

अभी तक हमने जाना कि चंद्रग्रहण कितने प्रकार के होते हैं और चंद्र ग्रहण का सूतक काल क्या होता है। अब हम जानेंगे कि वर्ष 2023 में कब-कब चंद्रग्रहण होने वाला है। यदि विज्ञान की बात मानें तो चंद्रग्रहण महज एक खगोलीय घटना के रूप में जाना जाता है जो हर साल होने वाली एक आम घटना है जबकि इसकी संख्या में हर वर्ष बदलाव हो सकते हैं। वर्ष 2023 के बारे में बात करें तो इस वर्ष मुख्य रूप से एक चंद्र ग्रहण ही लगेगा जो कि 2023 का मुख्य चंद्रग्रहण होगा। इसके अतिरिक्त एक उपच्छाया चंद्रग्रहण भी होगा जिसको हम पूर्ण रूप से ग्रहण नहीं मानते हैं।

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) भारतवर्ष में दृश्य मान होगा इसलिए भारत में इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य होगा क्योंकि जहां पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां उसका सूतक काल प्रभावी माना जाता है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि इसको ग्रहण नहीं माना जाता है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि वर्ष 2023 में मुख्य चंद्रग्रहण का क्या समय होगा और उसकी क्या दृश्यता होगी।

पहला चन्द्र ग्रहण 2023 - खंडग्रास चंद्रग्रहण
तिथि दिन तथा दिनांक चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय चन्द्र ग्रहण समाप्त समय दृश्यता का क्षेत्र
आश्विन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शनिवार/ रविवार 28/29 अक्टूबर 2023 मध्य रात्रि उपरांत 1:05 बजे मध्य रात्रि उपरांत 2:24 बजे भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, मंगोलिया, चीन, ईरान, रूस, कजाकिस्तान, सऊदी अरब, सूडान, इराक, तुर्की, अल्जीरिया, जर्मनी, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, इटली, यूक्रेन, फ्रांस, नॉर्वे, ब्रिटेन, स्पेन, स्वीडन, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया, कोरिया, ब्राजील का पूर्वी भाग

नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) का समय भारतीय समय अनुसार है। यह चन्द्र ग्रहण भारत में दृश्य मान होगा इसलिए भारत में इस चन्द्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव भी होगा और इसका सूतक काल भी प्रभावी होगा।

खंडग्रास चंद्रग्रहण

उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2023
तिथि दिन तथा दिनांक चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय चन्द्र ग्रहण समाप्त समय दृश्यता का क्षेत्र
वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शुक्रवार / शनिवार 5 / 6 मई 2023 रात्रि 8:44 बजे मध्यरात्रि के बाद 1:02 बजे एशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप का कुछ भाग

नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण का समय भारतीय समय अनुसार है। यह चन्द्र ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं होगा लेकिन एक उपच्छाया चन्द्र ग्रहण होने के कारण इसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी गई है इसलिए इसका कोई भी सूतक या धार्मिक प्रभाव मान्य नहीं होगा। सभी जातक इस ग्रहण काल में उपवास, व्रत, दान, जप, पाठ, पूजा, तीर्थ स्थान दर्शन, पवित्र नदी में स्नान आदि विधिवत रूप से कर सकते हैं।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2023

चंद्रग्रहण के दौरान यह खास उपाय दिलाएंगे आपको समस्या से मुक्ति

चंद्रग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम

चंद्रग्रहण 2023 के दौरान इन मंत्रों के जाप से मिलेगी सफलता

विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥

श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (सिंहिका के पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहण से होने वाले भय से मेरी रक्षा कीजिए।

तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥

श्लोक अर्थ - अन्धकाररूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।

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हमें उम्मीद है कि चंद्र ग्रहण 2023 से संबंधित एस्ट्रोसेज का यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इस लेख को पसंद करने एवं पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

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