अन्नप्राशन मुहूर्त 2026: सनातन धर्म में अन्नप्राशन संस्कार 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो हर शिशु के जीवन में एक अहम चरण की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह वह संस्कार है जब शिशु को पहली बार मां के दूध के अलावा ठोस आहार का सेवन कराया जाता है। 'अन्न' का अर्थ होता है भोजन, और 'प्राशन' का अर्थ होता है ग्रहण करना। इस प्रकार, अन्नप्राशन का अर्थ है पहली बार भोजन ग्रहण करवाना।
यह संस्कार बच्चे के छठे महीने के बाद से एक वर्ष की उम्र तक के बीच किसी शुभ मुहूर्त में किया जाता है। इस दिन बच्चे को चांदी या तांबे की थाली में खीर, चावल, घी आदि चीजें खिलाई जाती है। साथ ही, इस अवसर पर परिजनों और रिश्तेदारों को आमंत्रित करके उत्सव मनाया जाता है, और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, बालकों का अन्नप्राशन संस्कार सम महीनों में किया जाता है जब वह 6,8,10 या 12 महीने का हो। इसके विपरीत कन्याओं का अन्नप्राशन विषम महीनों जैसे 5, 7, 9 या 11 वें महीने में किया जा सकता है।
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अन्नप्राशन मुहूर्त निकालते समय पंचांग, नक्षत्र, वार, तिथि और चंद्रमा की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस संस्कार को किसी भी शुभ दिन और समय में करना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और चर्चा करते हैं अन्नप्राशन मुहूर्त 2026 की सूची के बारे में।
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अन्नप्राशन मुहूर्त 2026 की सूची
अन्नप्राशन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद लिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं अन्नप्राशन मुहूर्त 2026 की जानकारी।
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तिथि |
दिन |
समय |
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|---|---|---|---|
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1 जनवरी |
गुरुवार |
07:45 – 10:23 |
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1 जनवरी |
गुरुवार |
11:51 – 16:47 |
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1 जनवरी |
गुरुवार |
19:01 – 22:52 |
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5 जनवरी |
सोमवार |
08:25 – 13:00 |
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9 जनवरी |
शुक्रवार |
20:50 – 23:07 |
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12 जनवरी |
सोमवार |
14:08 – 18:18 |
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12 जनवरी |
सोमवार |
20:38 – 22:56 |
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21 जनवरी |
बुधवार |
07:45 – 10:32 |
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21 जनवरी |
बुधवार |
11:57 – 17:43 |
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21 जनवरी |
बुधवार |
20:03 – 22:20 |
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23 जनवरी |
शुक्रवार |
15:20 – 19:55 |
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28 जनवरी |
बुधवार |
10:05 – 15:00 |
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तिथि |
दिन |
समय |
|---|---|---|
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6 फरवरी |
शुक्रवार |
07:37 – 08:02 |
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6 फरवरी |
शुक्रवार |
09:29 – 14:25 |
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6 फरवरी |
शुक्रवार |
07:37 – 08:02 |
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6 फरवरी |
शुक्रवार |
09:29 – 14:25 |
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6 फरवरी |
शुक्रवार |
16:40 – 23:34 |
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18 फरवरी |
बुधवार |
18:13 – 22:46 |
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20 फरवरी |
शुक्रवार |
07:26 – 09:59 |
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20 फरवरी |
शुक्रवार |
11:34 – 15:45 |
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तिथि |
दिन |
समय |
|---|---|---|
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20 मार्च |
शुक्रवार |
09:45 – 11:40 |
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20 मार्च |
शुक्रवार |
11:40 – 13:55 |
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20 मार्च |
शुक्रवार |
13:55 – 16:14 |
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25 मार्च |
बुधवार |
09:25 – 11:21 |
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25 मार्च |
बुधवार |
13:35 – 14:20 |
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27 मार्च |
शुक्रवार |
10:37 – 11:13 |
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27 मार्च |
शुक्रवार |
11:13 – 13:28 |
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तिथि |
दिन |
समय |
|---|---|---|
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20 अप्रैल |
सोमवार |
04:35 AM – 07:28 AM |
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21 अप्रैल |
मंगलवार |
04:15 AM – 04:58 AM |
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26 अप्रैल |
रविवार |
04:53 AM – 08:27 PM |
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27 अप्रैल |
सोमवार |
09:18 PM – 09:35 PM |
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29 अप्रैल |
बुधवार |
04:51 AM – 07:52 PM |
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तिथि |
दिन |
समय |
|---|---|---|
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1 मई |
शुक्रवार |
10:00 AM – 09:13 PM |
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3 मई |
रविवार |
07:10 AM – 10:28 PM |
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5 मई |
मंगलवार |
07:39 PM – 05:37 AM (6 मई) |
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6 मई |
बुधवार |
05:37 AM – 03:54 PM |
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7 मई |
गुरुवार |
06:46 PM – 05:35 AM (8 मई) |
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8 मई |
शुक्रवार |
05:35 AM – 12:21 PM |
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13 मई |
बुधवार |
08:55 PM – 05:31 AM (14 मई) |
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14 मई |
गुरुवार |
05:31 AM – 04:59 PM |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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21 जून |
रविवार |
09:31 AM – 11:21 AM |
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22 जून |
सोमवार |
06:01 AM – 04:44 AM (23 जून) |
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23 जून |
मंगलवार |
04:44 AM – 05:43 AM |
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24 जून |
बुधवार |
09:29 AM – 02:38 AM (25 जून) |
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26 जून |
शुक्रवार |
02:46 PM – 04:45 AM (27 जून) |
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27 जून |
शनिवार |
04:45 AM – 05:41 PM |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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15 जुलाई |
बुधवार |
12:21 – 13:09 |
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20 जुलाई |
सोमवार |
06:06 – 08:16 |
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20 जुलाई |
सोमवार |
12:49 – 15:09 |
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24 जुलाई |
शुक्रवार |
06:08 – 08:00 |
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24 जुलाई |
शुक्रवार |
08:00 – 09:43 |
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29 जुलाई |
बुधवार |
09:58 – 12:14 |
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29 जुलाई |
बुधवार |
12:14 – 14:33 |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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3 अगस्त |
सोमवार |
09:37 – 16:32 |
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5 अगस्त |
बुधवार |
11:46 – 18:28 |
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7 अगस्त |
शुक्रवार |
21:30 – 22:55 |
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10 अगस्त |
सोमवार |
16:04 – 21:18 |
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17 अगस्त |
सोमवार |
06:25 – 10:59 |
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17 अगस्त |
सोमवार |
13:18 – 17:41 |
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26 अगस्त |
बुधवार |
06:27 – 10:23 |
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28 अगस्त |
शुक्रवार |
06:28 – 12:35 |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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14 सितंबर |
सोमवार |
06:36 – 06:53 |
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14 सितंबर |
सोमवार |
06:53 – 07:37 |
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17 सितंबर |
गुरुवार |
13:35 – 15:39 |
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21 सितंबर |
सोमवार |
06:39 – 07:29 |
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21 सितंबर |
सोमवार |
08:42 – 11:01 |
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21 सितंबर |
सोमवार |
13:20 – 15:24 |
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24 सितंबर |
गुरुवार |
08:30 – 10:49 |
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24 सितंबर |
गुरुवार |
13:08 – 15:12 |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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12 अक्टूबर |
सोमवार |
06:50 – 07:19 |
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12 अक्टूबर |
सोमवार |
11:57 – 14:01 |
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21 अक्टूबर |
बुधवार |
06:56 – 07:30 |
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21 अक्टूबर |
बुधवार |
11:22 – 13:26 |
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26 अक्टूबर |
सोमवार |
06:59 – 08:44 |
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30 अक्टूबर |
शुक्रवार |
07:03 – 08:27 |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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11 नवंबर |
बुधवार |
07:11 – 07:41 |
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11 नवंबर |
बुधवार |
09:59 – 12:03 |
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11 नवंबर |
बुधवार |
12:03 – 12:08 |
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16 नवंबर |
सोमवार |
07:15 – 07:21 |
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16 नवंबर |
सोमवार |
09:40 – 11:43 |
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तिथि |
दिन |
समय (IST) |
|---|---|---|
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14 दिसंबर |
सोमवार |
07:49 – 09:42 |
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14 दिसंबर |
सोमवार |
11:36 – 13:03 |
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16 दिसंबर |
बुधवार |
07:42 – 09:46 |
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16 दिसंबर |
बुधवार |
09:46 – 10:38 |
अन्नप्राशन मुहूर्त 2026 का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है। अन्नप्राशन संस्कार के माध्यम से शिशु को पहली बार अन्न दिया जाता है, जो उसकी शारीरिक वृद्धि को उत्तेजित करता है। यह उसके पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और उसे अन्य प्रकार के भोजन के लिए तैयार करता है। यह संस्कार शिशु के मानसिक और बौद्धिक विकास में भी सहायक माना जाता है। भारतीय परंपराओं में इसे शिशु के शिक्षा जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। यह शिशु को मजबूत और स्वस्थ मानसिक स्थिति में बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। ज्योतिष में अन्नप्राशन मुहूर्त का विशेष महत्व है। माना जाता है कि अन्नप्राशन संस्कार के समय शिशु का नक्षत्र और चंद्रमा का प्रभाव उसकी जीवन रेखा पर प्रभाव डालता है। इसलिए सही मुहूर्त और शुभ समय का चयन बहुत जरूरी माना जाता है।
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अन्नप्राशन संस्कार के लिए उपयुक्त समय का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। यह संस्कार शिशु के जन्म के 6 से 12 महीने के बीच किया जाता है, जब शिशु का पाचन तंत्र ठोस आहार के लिए तैयार होता है।
अन्नप्राशन संस्कार का आयोजन शुभ तिथि और दिन पर करना चाहिए। यह आमतौर पर सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, या गुरुवार को किया जाता है, क्योंकि ये दिन शुभ माने जाते हैं।
अन्नप्राशन के समय शिशु को हल्का और पचने योग्य अन्न दिया जाता है।
संस्कार के लिए एक धार्मिक पवित्र स्थान का चयन करें।
इसके बाद, शिशु को अच्छे कपड़े पहनाए जाते हैं और उसे पवित्रता से स्नान कराकर तैयार किया जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार में पंडित द्वारा विधिपूर्वक पूजा और मंत्रोच्चार किया जाता है। पूजा में गणेश पूजन, देवी-देवताओं की पूजा और पितरों की श्रद्धांजलि दी जाती है।
अन्नप्राशन संस्कार के दौरान कई विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जैसे: ॐ अन्नं ब्राह्मणो प्राह्मणं, चतुर्मुखो यजुर्वेदः।
संस्कार के दौरान शिशु को पहले अन्न का टुकड़ा दिया जाता है, जिसे पहले माता-पिता या अन्य वरिष्ठ सदस्य शिशु के मुंह में डालते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार के दौरान यह भी महत्वपूर्ण है कि शिशु का पहला अन्न उसके माता-पिता, दादा-दादी, या अन्य किसी वरिष्ठ सदस्य के द्वारा ही दिया जाए।
संस्कार के बाद परिवार के सदस्य शिशु को आशीर्वाद देते हैं।
संस्कार के बाद शिशु को आराम दिया जाता है और उसकी देखभाल की जाती है। ध्यान रखा जाता है कि शिशु का पाचन ठीक से हो और वह आराम से सो सके।
पुत्र के लिए जन्म के 6वें, 8वें, 10वें या 12वें महीने में, और कन्या के लिए 5वें, 7वें, 9वें या 11वें महीने में अन्नप्राशन संस्कार करना शुभ माना जाता है।
प्रतिपदा
तृतीया
पंचमी
सप्तमी
दशमी
त्रयोदशी
सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को अन्नप्राशन संस्कार करना उत्तम होता है।
अनुराधा, श्रवण आदि नक्षत्रों में यह संस्कार करना शुभ होता है।
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1. लड़के का अन्नप्राशन कब होता है?
ज्योतिष के अनुसार, बालक का अन्नप्राशन 6,8,10 या 12 महीने में होता है।
2. साल 2026 में अन्नप्राशन किया जा सकता है?
हाँ, इस वर्ष अन्नप्राशन संस्कार के कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं।
3. लड़कियों का अन्नप्राशन कब होता है?
कन्याओं का अन्नप्राशन विषम महीनों जैसे 5, 7, 9 या 11 वें महीने में किया जा सकता है।