बुध वक्री 2026 कैलेंडर

Author: Prashansa | Updated Wed, 29 Oct 2025 03:11 PM IST

बुध वक्री 2026 कैलेंडर के माध्यम से, एस्ट्रोसेज एआई का उद्देश्य आपको ज्योतिष के इस रहस्यमय संसार की नवीनतम और सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देना है, ताकि हमारे पाठक हमेशा अपडेट रहें। इस बुध वक्री 2026 कैलेंडर पर आधारित यह विस्तृत और गहराई से लिखा गया ब्लॉग यह बताता है कि वर्ष 2026 में बुध ग्रह कब वक्री होंगे, वह किस राशि में प्रवेश करेंगे और फिर कब मार्गी होकर अपनी राशि चक्र की यात्रा को पूरा करेंगे।


इस खास लेख में हम यह भी समझाएंगे कि जब कोई भी ग्रह वक्री होते हैं, तो उसके क्या-क्या प्रभाव हो सकते हैं और वह जीवन के किन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं। यह हमारी तरफ से एक प्रयास है कि अपने पाठकों को ज्योतिष को समझने में मदद कर सकें।

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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, निर्णय लेने की क्षमता, तर्कशक्ति आदि के स्वामी माना गया है। यह ग्रह सभी प्रकार से संवाद और यात्रा से जुड़ी चीज़ों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राशि चक्र के अनुसार, बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी होते हैं। यह मीन में नीच के और कन्या में उच्च के माने जाते हैं।

बुध वाणी के स्वामी हैं। यह बैंकिंग सेवाओं, परिवहन व्यवस्था और संचार माध्यमों से जुड़ी ढेरों चीजों को नियंत्रित करता है। बुध व्यक्ति की तर्कशक्ति को बढ़ाता है और उसमें हास्यबोध पैदा करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध शुभ स्थिति में होता है वह युवा और आकर्षक दिखता है। ऐसे लोग बहुआयामी प्रतिभा के धनी होते हैं और जीवन के कई क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं। इनमें तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी शानदार होती है। सोच-विचार और बुद्धिमत्ता का नियंत्रण भी बुध करता है।

Read Here In English: Mercury Retrograde 2026 Calendar

यह व्यक्ति को करियर से जुड़े निर्णय लेने में मदद करता है और आई क्यू यानी बौद्धिक स्तर को नियंत्रित करता है। चूंकि बुध कई करियर विकल्पों का कारक ग्रह है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि बुध मजबूत स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को सफलता की ओर अग्रसर करने में मदद करता है।

बुध संवाद और सूझबूझ को बेहतर बनाता है, जिससे करियर में तरक्की आसान हो जाती है। शैक्षणिक रूप से भी ऐसे जातक बेहतर प्रदर्शन करते हैं और आगे बढ़ते हैं। बच्चों को स्कॉलरशिप मिलने की संभावना भी रहती है। जब बुध किसी व्यक्ति की राशि में होता है, तो वह व्यक्ति अपनी जिज्ञासा को शांत करता है और ज्ञान के अथाह सागर में गोता लगा सकता है। आइए अब जानते हैं कि 2026 में बुध ग्रह कब-कब वक्री होंगे।

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बुध वक्री 2026 कैलेंडर : बुध वक्री 2026 तिथि और समय

ग्रह

वक्री गति प्रारंभ

वक्री गति समाप्त

इस राशि से

इस राशि में

बुध ग्रह

26 फरवरी 2026 की सुबह 11 बजकर 50 मिनट में

21 मार्च 2026

कुंभ राशि

मीन राशि

29 जून 2026 की रात 10 बजकर 45 मिनट पर

24 जुलाई 2026

कर्क राशि

मिथुन राशि

24 अक्टूबर 2026 की दोपहर 12 बजकर 14 मिनट पर

13 नवंबर 2026

तुला राशि

तुला राशि

बुध वक्री 2026 कैलेंडर : 2026 में वक्री होने की घटना की व्याख्या

बुध वक्री एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसके बारे में लगभग सभी ने कभी न कभी सुना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, हर ग्रह एक निर्धारित समय में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है। बुध की गति सूर्य के सबसे नज़दीक होने के कारण बहुत तेज होती है और चंद्रमा के बाद यह सबसे तेज ग्रह है। बुध पर एक वर्ष पृथ्वी के तीन वर्षों के बराबर माना जाता है। जब बुध अपनी कक्षा में पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है, तो हमें लगता है कि वह उल्टी दिशा में चल रहा है। ठीक वैसे ही जैसे दो ट्रेनें आमने-सामने से गुजरती हैं, तो एक-दूसरी को पीछे जाती हुई प्रतीत होती हैं। असल में बुध पीछे नहीं चलता, बल्कि यह एक आभासी प्रभाव होता है, जो पृथ्वी से देखने पर बनता है। अब जब हम बुध के वक्री होने की प्रक्रिया को समझ चुके हैं, तो आइए इस विषय को और विस्तार से समझें। जैसा पहले बताया गया, बुध सूर्य का सबसे निकटतम ग्रह है, इसलिए यह तेजी से उसकी परिक्रमा करता है। यह तेज गति ही कारण बनती है कि बुध वर्ष में तीन या चार बार वक्री होते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक। इस लेख में हम यही जानने की कोशिश कर रहे है कि बुध के वक्री होने से आम लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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बुध वक्री 2026 कैलेंडर का सभी बारह भावों पर प्रभाव

पहला भाव

कुंडली का पहला भाव या लग्न व्यक्ति के स्वभाव , व्यक्तित्व और मानसिक क्षमता को दर्शाता है। यह उसके स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण की भी झलक देता है। यदि 2026 में बुध वक्री होकर पहले भाव में स्थित हो, तो उस व्यक्ति में जल्दबाजी और आवेग की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। ऐसे लोग बिना सोचे-समझे निर्णय ले लेते हैं, जो बाद में नुकसानदायक साबित हो सकता है। हालांकि, इनकी बुद्धि तेज होती है, जिससे ये समस्याओं का समाधान जल्दी निकल लेते हैं और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत से पीछे नहीं हटते। फिर भी बुध के वक्री रहते हुए पहले भाव में कोई वादा या प्रतिबद्धता नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसे निभाना कठिन हो सकता है। कोई भी निर्णय एकदम से न लें और किसी भी डॉक्यूमेंट या अनुबंध को अच्छी तरह पढ़ कर ही साइन करें।

दूसरा भाव

दूसरा भाव, जिसे वाणी और धन भाव कहा जाता है, व्यक्ति की बोलने की कला और धन संचय को दर्शाता है। अगर बुध द्वितीय भाव में वक्री हो, तो आमदनी और बचत के बीच असंतुलन आ सकता है। ऐसे लोग एक ओर तो बहुत कंजूस हो सकते हैं, लेकिन दूसरी ओर आवश्यकता पड़ने पर बिना सोचे खर्च भी कर सकते हैं।

बुध की वजह से इनकी वाणी और तर्कशक्ति इतनी प्रभावशाली होती है कि ये लोगों को अपनी बातों से प्रभावित कर विवादों को सुलझा सकते हैं और धन अर्जित कर सकते हैं। फिर भी इस स्थिति में कोई भी प्रॉपर्टी या घर खरीदने का निर्णय तुरंत नहीं लेना चाहिए।

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तीसरा भाव

तीसरा भाव व्यक्ति के साहस, संचार कौशल, बुद्धिमत्ता और भाई-बहनों के साथ संबंधों का प्रतीक होता है। काल पुरुष कुंडली में बुध तीसरे भाव के स्वामी हैं। यदि बुध वक्री होकर तीसरे भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति को नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। मित्र बनाना कठिन हो सकता है, सामाजिक छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

भाई-बहनों से भी मतभे या दूरी बनने की आशंका रहती है। विशेष रूप से 2026 में बुध के वक्री रहने की अवधि में वैयक्तिक जीवन में तनाव आ सकता है। इसलिए, ऐसे समय में बोलते समय सावधानी बरती चाहिए क्योंकि यह एक गलत शब्द भी बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है।

चौथा भाव

बुध वक्री 2028 कैलेंडर के अनुसार, कुंडली की चौथा भाव व्यक्ति के सुख, शांति और मानसिक संतोष को दर्शाता है। यह भाव विशेष रूप से माता से जुड़ा होता है। साथ ही, यह वंशानुगत संपत्ति (पैतृक संपत्ति) और व्यक्ति के अपने देश से संबंधों को भी बताता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध वक्री होकर चौथे भाव में स्थित हो, तो उस व्यक्ति को अपनी माता का भरपूर प्यार और स्नेह प्राप्त होता है। वह अपनी माता से बहुत कुछ सीखते हैं और माता भी अपने बच्चों को उचित शिक्षा प्रदान करती हैं।

इस स्थिति में व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से लाभ होता है, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होता है। हालांकि, ये लोग दूसरों से संबंध मजबूत करने का प्रयास में अपने शौक या व्यक्तिगत इच्छाओं पर भी अधिक खर्च कर सकते हैं।

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पांचवां भाव

कुंडली का पांचवां भाव व्यक्ति की बुद्धिमत्ता, शिक्षा, रचनात्मक सोच और व्यक्तिगत विचारों को दर्शाता है। यह भाव यह भी बताता है कि व्यक्ति न्यायप्रिय है या नहीं, उसकी रुचियां और पसंद क्या हैं। साथ ही, प्रेम संबंधों और संतान से जुड़ी बातों को भी यह भाव दिखाता है। 2026 में अगर बुध पांचवें भाव में वक्री हो , तो ऐसा व्यक्ति कभी-कभी झिझक महसूस कर सकता है या मासूमियत भरे व्यवहार कर सकता है, लेकिन उसका दिल साफ और सरल होता है और वह किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखता। ऐसे लोग प्यार और स्नेह के जरिए अपने प्रेमी से मतभेदों को सुलझा लेते हैं। लेकिन एक बात यह है कि ये एक ही बात बार-बार दोहराते रहते हैं, जिससे सामने वाला व्यक्ति चिढ़ सकता है या शर्मिंदगी महसूस हो सकती है।

अगर बुध पंचम भाव में वक्री हो, तो व्यक्ति में अध्ययन के प्रति रुचि और भी अधिक बढ़ जाती है। वह नई चीज़ें सीखने के लिए तत्पर रहता है। इसके अलावा, अगर बुध की स्थिति अनुकूल हो, तो संतान सुख प्राप्त करना आसान हो जाता है।

छठा भाव

अब इस बुध वक्री 2026 कैलेंडर श्रृंखला में हम जानते हैं कि जब बुध षष्ठ भाव में वक्री होता है तो क्या प्रभाव पड़ते हैं। छठा भाव कुंडली में बीमारियां, शत्रु ऋण, संघर्ष और जीवन की कठिनाइयों को दर्शाता है। इसके अलावा, यह भाव प्रतियोगी परीक्षाओं, राजनीतिक दृष्टिकोण और कानूनी क्षेत्र में रुचि को भी दर्शाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध वक्री होकर छठे भाव में स्थित हो, तो उसे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे लोग सामान्यतः तर्कशील और समझदार होते हैं लेकिन कभी-कभी उनके विचार अतार्किक हो सकते हैं, जिससे उनके शत्रु बन सकते हैं या सामाजिक दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि, यह स्थिति कानूनी मामलों में इनके लिए काफी लाभदायक होगी। प्रतिदिन के जीवन में विवादों से बचने के लिए इन्हें अपनी बातों में संयम रखना चाहिए क्योंकि एक गलत बात भी उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।

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सातवां भाव

बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध वक्री होकर सातवें भाव में स्थित हो, तो ऐसे जातकों को एक उपयुक्त जीवनसाथी मिलने की संभावना होती है, जो अपनी बुद्धि और समझदारी से उनके जीवन को आगे बढ़ाने में मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं चल रही हों, तो बुध का वक्री होना उन समस्याओं को सुलझाने में सहायक बन सकता है।

साथ ही, सातवें भाव में बुध वक्री होने पर व्यापारिक साझेदारी में भी विस्तार संभव होता है। ऐसे समय में व्यक्ति अपने व्यापार को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने में सक्षम होता है। इस स्थिति में उनका सामाजिक रुतबा भी बढ़ता है और वे ज्यादा आकर्षक और ऊर्जावान दिखाई देने लगते हैं।

आठवां भाव

आठवां भाव को जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं, आघात, रहस्यों और आध्यात्मिक परिवर्तन से जोड़ा जाता है। इसे परिवर्तन या संक्रमण का भाव भी कहते हैं। यह भाव गहन अनुसंधान, ध्यान, साधना, धार्मिक क्रियाकलाप आदि को भी दर्शाता है। बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, यदि बुध आठवें भाव में वक्री हो, तो जातक ध्यान और साधना में गहराई से उतरने की योग्यता प्राप्त करता है। वह इस क्षेत्र में निपुणता हासिल कर सकता है और उसका मानसिक स्तर भी मजबूत होता है।

इस दौरान बच्चों में भी सही और गलत में अंतर समझने की क्षमता विकसित होती है और उनकी मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। हालांकि, जो लोग सिर्फ भौतिक सुखों के पीछे भागते हैं, वे अपनी आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते और निराश हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को कर्ज चुकाना हो, तो बुध के वक्री काल में यह सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति व्यवसाय में भी ज्यादा प्रगति करता है और उसे अच्छा सफलता प्राप्त होती है।

नौवां भाव

कुंडली में नौवां भाव व्यक्ति के भाग्य, धार्मिक प्रवृत्तियों, उच्च शिक्षा और लंबी यात्राओं से जुड़ा होता है। यदि बुध नौवें भाव में वक्री हो, तो कभी-कभी यह स्थिति कुछ लोगों से विरोध या टकराव भी उत्पन्न कर सकती है। हालांकि, बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, इस दौरान व्यक्ति को शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा में सुधार देखने को मिलता है। इस भाव में बुध वक्री होने से पिता के साथ संबंधों में मजबूती आती है और आपसी समझ में सकारात्मक संकेत दिखाई देते हैं।

व्यक्ति को धार्मिक क्रियाओं, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों की ओर झुकाव होने लगता है, जिससे उसकी सामाजिक छवि, परिवार , मित्रों और समाज में बेहतर होती है। इस समय व्यक्ति तीर्थ स्थलों की यात्रा भी करता है और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करता है। इसके साथ ही, बुध के वक्री रहते हुए नौवें भाव में स्थिति व्यक्ति को लंबी यात्राओं की योजना बनाने में सहायता करती है, जो भविष्य के लिए लाभदायक होती है।

दसवां भाव

दसवें भाव को कुंडली में कर्म और करियर का भाव माना जाता है। यह व्यक्ति की नौकरी, व्यवसाय, कार्यस्थल और प्रतिष्ठा को दर्शाता है। बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, यदि बुध दसवें भाव में वक्री होते हैं, तो यह स्थिति कार्यस्थल पर आने वाली परेशानियों को कम कर सकती देती है, जिससे व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

ऐसे जातक तेजी से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और अपने कार्यों को कुशलता से पूरा करते हैं। वे अपने करियर की राह में आने वाली रुकावटों को हटाने में सफलते हैं। जो लोग नौकरी की तलाश में हैं या तनाव में हैं, उन्हें बुध वक्री के प्रभाव से ऐसी नौकरी मिल सकती है, जिसमें दबाव कम हो और संतुष्टि अधिक।

इसके अलावा, इस समय जातकों का अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संबंध बेहतर होता है और उन्हें हर कार्य में सीनियर्स का सहयोग मिलता है।

ग्यारहवां भाव

बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, जब बुध ग्यारहवें भाव में वक्री होता है, तो हमें व्यक्ति की आर्थिक आय, लाभ, सामाजिक मित्रता और इच्छाओं से जुड़े प्रभावों की जानकारी मिलती है। इस भाव को लाभ भाव भी कहा जाता है और यह मित्रों की भूमिका और सामाजिक दायरे को बी दर्शाता है। अगर बुध वक्री होकर एकादश भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति के सामाजिक संबंधों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इस दौरान किसी के द्वारा सोशल मीडिया पर की गई आलोचना या कोई टिप्पणी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है।

मित्रों का साथ गलतफहमियां हो सकती है, जो विवाद का रूप ले सकती हैं। इसके अलावा, इस समय आय में भी अस्थिरता देखी जा सकती है। कभी आय बढ़ेगी तो कभी कम हो सकती है। लेकिन यदि बुध की स्थिति अनुकूल हो, तो यह आर्थिक लाभ को बढ़ाने में सहायक होता है और व्यक्ति को सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने की प्रेरणा देता है।

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बारहवां भाव

बारहवां भाव कुंडली का ऐसा भाव है, जो खर्चों, विदेश यात्राओं, अस्पताल, जेल, आध्यात्मिकता और एकांत से जुड़ा होता है। यह भाव नशे, नींद की समस्या और मानसिक उलझनों को भी दर्शाता है। बुध वक्री 2026 कैलेंडर के अनुसार, अगर बुध बारहवें भाव में वक्री हो तो जातक को नींद न आना, आंखों की समस्या या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने या अवैध गतिविधियों के कारण जेल जाने की स्थिति भी बन सकती है।

हालांकि, यदि बुध की वक्री स्थिति अनुकूल हो तो, व्यक्ति का आध्यात्मिक रुझान बढ़ता है। वह भौतिक सुखों से थोड़ी दूरी बनाकर, आत्मिक शांति की ओर आकर्षित होता है। इस दौरान विदेश यात्रा की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और खर्चों पर नियंत्रण भी देखने को मिलता है। फिर भी ये लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं, जिस कारण उन्हें पूरा आराम या नींद नहीं मिल पाती है और इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

बुध वक्री 2026 कैलेंडर : बुरे प्रभावों को कम करने के उपाय

2026 में बुध वक्री के दौरान यदि जीवन में कोई नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहे हों, तो उन्हें शांत करने व बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय अत्यंत लाभकारी माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं:

बुध देव को प्रसन्न करने के लिए, बुध ग्रह के बीज मंत्र - ॐ ब्रां ब्रीं सः बुधाय नमः का प्रतिदिन 108 बार जाप करना बहुत लाभदायक होता है।

2026 में बुध वक्री होने पर नकारात्मक प्रभाव होने की स्थिति में बुध देव की कृपा पाने के लिए गाय की सेवा करना काफी लाभदायक होता है। नियमित रूप से गौशाला में दान करें और गाय को पालक या अन्य हरी सब्जियां और फल खिलाएं।

यदि 2026 में बुध वक्री होकर नकारात्मक परिणाम दे रहा हो या फिर कुंडली में बुध की महादशी चल रही हो तो जातक को नाक छिदवा लेनी चाहिए।

2026 बुध की वक्री अवधि के दौरान बुध कृपा पाने का सबसे अच्छा तरीका भगवान विष्णु की पूजा करना है। यदि स्थानीय लोग बुधवार को प्रतिदिन श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना शुरू कर दें तो बुध वक्री के नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो सकते हैं।

बुधवार के दिन दूर्वा और मोदक चढ़ाना और भगवान गणेश की पूजा करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, जातक श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी कर सकते हैं।

बुधवार को ट्रांसजेंडर का आशीर्वाद लें क्योंकि वे आपको बहुत सी समस्याओं से उबरने और बुध वक्री के नकारात्मक प्रभावों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।

बुधवार को जातकों को वृक्षारोपण अभियान को अपनाना चाहिए और बुध की कृपा पाने के लिए पहले से मौजूद पौधों की उचित देखभाल करनी चाहिए।

जातक को हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए इस तरह से उन्हें बुध की कृपा प्राप्त होती है।

अगर किसी व्यक्ति को बोलने में परेशानी हो रही है तो उसे मीठा खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि इससे उसकी भाषा को और अधिक मधुर बनाने में मदद मिलेगी।

यदि 2026 में बुध वक्री होने के कारण जातकों को किसी भी तरह की परेशानी हो रही है तो उन्हें संपत्ति से संबंधित किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। अगर उन्हें किसी भी कागज पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है, तो उन्हें उसे ध्यान से पढ़ना चाहिए। कभी भी किसी की गारंटी न लें।

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इसी आशा के साथ कि आपको यह लेख भी पसंद आया होगा, एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वर्ष 2026 में बुध कितनी बार वक्री होगा?

3 बार

2. बुध कितनी राशियों पर शासन करता है?

मिथुन और कन्या

3. वर्ष 2026 में बुध सबसे पहले किस राशि में वक्री होगा?

कुंभ

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