इस्लामिक त्योहार 2026: नए साल यानी कि वर्ष 2026 में भारत समेत दुनियाभर के मुसलमान अनेक इस्लामिक पर्वों और अवकाशों का आनंद लेते हुए नज़र आएंगे। हर साल आने वाले सभी अवकाश सामान्य दिनों की तुलना में बेहद ख़ास होते हैं क्योंकि इनका अपना अर्थ, महत्व और रीति-रिवाज़ होते हैं।
Read in English: Islamic Holiday 2026
इस्लाम धर्म में मनाए जाने वाला हर त्योहार आस्था, दान, धैर्य और एकता के रूप में जीवन की महत्वपूर्ण सीख देता है, फिर चाहे रमजान के पवित्र रोजे रखना हो, अपने दोस्तों और परिवार के साथ ईद मनाना हो या फिर इस्लाम धर्म में दिए गए बलिदान को याद करना हो। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस्लाम धर्म के प्रत्येक अवकाश का महत्व और इन्हें कैसे मनाया जाता है।
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इस्लामिक त्योहार 2026 परंपराओं से परे हैं क्योंकि इनका संबंध समुदाय के उत्थान, कृतज्ञता और दूसरों की सेवा से भी है। यह पर्व हमें धैर्य रखने, दयालु बनने और निष्पक्ष रहने की शिक्षा देते हैं।
भारत में सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर एक साथ रहते हैं और यहाँ इस्लाम धर्म के पर्वों को इस तरह से मनाया जाता है कि लोग एक-दूसरे के करीब आ सकें। पडोसी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं, दुकानों और घरों को सजाते हैं। साथ ही, दूसरे धर्म के लोग भी इस्लामिक त्यौहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
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इस्लामिक कैलेंडर को अक्सर हिजरी कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है जो कि पूरी तरह से चंद्र चक्र पर आधारित होता है। इस कैलेंडर में बारह महीने होते हैं और हर महीने की शुरुआत चांद नज़र आने के साथ होती है। इस्लाम धर्म का प्रत्येक महीना 29 से 30 दिनों का होता है। वहीं दूसरी तरफ, ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल भारत सहित दुनियाभर में बड़े स्तर पर किया जाता है जो कि पृथ्वी द्वारा की जाने वाली सूर्य की परिक्रमा पर आधारित होता है इसलिए इसे सौर कैलेंडरर भी कहा जाता है। फरवरी को छोड़कर इस कैलेंडर के हर महीने में 30 या 31 दिन होते हैं।
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है इसलिए यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से तक़रीबन 10 या 11 दिनछोटा होता है। इस अंतर की वजह से इस्लाम धर्म के त्योहार ग्रेगोरियन कैलेंडर से 10 या 11 दिन पहले आ जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, इस्लामिक पर्व जैसे कि रमजान और ईद हर साल अलग-अलग मौसम में पड़ते हैं, बल्कि वह हर मौसम में आते हैं, उदाहरण के तौर पर रमजान गर्मी, सर्दी बसंत के मौसम में भी पड़ सकता है।
इस्लामिक त्योहार 2026 में मनाए जाने वाले पर्वों का अपना इतिहास है। प्रत्येक पर्व न सिर्फ़ किसी विशेष दिन की याद दिलाता है, बल्कि इनका धार्मिक महत्व भी होता है।
रमजान: रमजान, इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है जिसमें रोजे रखे जाते हैं। रमजान का पवित्र महीना उस अवधि की याद दिलाता है जब कुरान को पैगम्बर मुहम्मद द्वारा लैलत अल-क़द्र की रात में पहली बार अवतरित किया गया था। यह महीना अनुशासन, दान और आध्यात्मिक प्रगति का होता है।
ईद-उल-फितर: ईद-उल-फितर को रमजान के महीने के अंत में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत बद्र के युद्ध के बाद 624 ई.में हुई थी। यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए ईश्वरीय सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है।
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ईद-उल-अधा: ईद-उल-अधा को बलिदान के पर्व के नाम से भी जाना जाता है जो अल्लाह के प्रति पैगम्बर इब्राहिम के अटूट विश्वास की याद दिलाता है जिसकी वजह से उन्होंने अपने बेटे (वास्तव में यह भेड़ थी) की बलि दी थी। यह पर्व निस्वार्थ, आज्ञा का पालन और दयालुता का प्रतीक माना जाता है।
आशूरा: आशूरा को मुहर्रम के दसवें दिन मनाया जाता है जिसका भारत में विशेष महत्व है। इस दिन शिया मुसलमान कर्बला के युद्ध में पैगंबर के पोते इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। आशूरा के दिन लखनऊ, हैदराबाद और पंजाब के भी कुछ हिस्सों में मजलिस, नोहा और जुलूस आदि निकाले जाते हैं।
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त्योहार |
हिजरी तिथि |
दिन |
ग्रेगोरियन तिथि |
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इसरा मिराज |
2 रजब 1447 हिजरी |
शुक्रवार |
16 जनवरी 2026 |
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शाबान की शुरुआत |
1 शाबान 1447 हिजरी |
मंगलवार |
20 जनवरी 2026 |
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निस्फ शाबान |
15 शाबान 1447 हिजरी |
मंगलवार |
3 फरवरी 2026 |
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रमजान का आरंभ |
1 रमजान 1447 हिजरी |
गुरुवार |
19 फरवरी 2026 |
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नुज़ूल-उल-कुरान |
17 रमजान 1447 हिजरी |
शनिवार |
07 मार्च 2026 |
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लैलत-उल-क़द्र |
27 रमजान 1447 हिजरी |
मंगलवार |
17 मार्च 2026 |
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शव्वाल का आरंभ |
1 शव्वाल 1447 हिजरी |
शुक्रवार |
20 मार्च 2026 |
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ईद-उल-फितर |
1 शव्वाल 1447 हिजरी |
शुक्रवार |
20 मार्च 2026 |
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धुल कदा का आरंभ |
1 ज़िलक़ादा 1447 हिजरी |
शनिवार |
18 अप्रैल 2026 |
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ज़िलहिज्जा का आरंभ |
1 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी |
सोमवार |
18 मई 2026 |
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अरफ़ा में वक्फ (हज) |
9 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी |
मंगलवार |
26 मई 2026 |
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ईद-उल-अज़हा |
10 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी |
बुधवार |
27 मई 2026 |
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तश्रीक़ का दिन |
11, 12, 13 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी |
गुरुवार |
28 मई 2026 |
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मुहर्रम का आरंभ (इस्लामी नव वर्ष) |
1 मुहर्रम 1448 हिजरी |
मंगलवार |
16 जून 2026 |
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आशूरा उपवास |
10 मुहर्रम 1448 हिजरी |
गुरुवार |
25 जून 2026 |
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सफर की शुरुआत |
1 सफ़र 1448 हिजरी |
गुरुवार |
16 जुलाई 2026 |
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रबी-उल-अव्वल का आरंभ |
1 रबी-अल-अव्वल 1448 हिजरी |
शुक्रवार |
24 अगस्त 2026 |
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ईद-उल-मिलाद पैगंबर का जन्मदिन |
12 रबी-अल-अव्वल 1448 हिजरी |
मंगलवार |
25 अगस्त 2026 |
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रबी-उल-धानी का आरंभ |
1 रबी-अल-धानी 1448 हिजरी |
शनिवार |
12 सितंबर 2026 |
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जमादि-उल-उला का आरंभ |
1 जमादा-अल-उला 1448 हिजरी |
सोमवार |
12 अक्टूबर 2026 |
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जमादि-उल-अखिराह का आरंभ |
1 जुमादा-अल-अखिरा1448 हिजरी |
बुधवार |
11 नवंबर 2026 |
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रजब माह का आरंभ (एक पवित्र महीना) |
1 रज्जब 1448 हिजरी |
गुरुवार |
10 दिसंबर 2026 |
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इस्लाम शब्द का अर्थ “शांति” और “ईश्वर के प्रति समर्पण” होता है। मुसलमान वह इंसान होता है जो शांतिपूर्वक अल्लाह के प्रति समर्पित रहता है।
मुसलमान द्वारा हर दिन एक खास समय पर पांच बार नमाज़ की जाती है जो कि सर्वशक्तिमान अल्लाह से जुड़े रहने का तरीका है।
इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ कुरान है। इसमें अल्लाह के वचन का वर्णन मिलता है जो कि पैगंबर मुहम्मद से कहे गए थे। इन वचनों में पिछले 1400 वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इस्लाम धर्म में किसी जरूरतमंद की सहायता करने की शिक्षा दी जाती है। इसी क्रम में , मुसलमान अपनी संपत्ति का एक निश्चित भाग दान करते हैं जिसे ज़कात कहा जाता है ताकि गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता की जा सके।
दुनियाभर के मुसलमान नमाज़ करते समय अपना मुख पवित्र काबा की तरफ करते हैं जो पवित्र मदीना में स्थित है।
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1. इस्लामिक त्योहार 2026 की तिथियां ग्रेगोरियन कैलेंडर में क्यों बदलती हैं?
इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है इसलिए इनके पर्वों की तिथियों में अंतर होता है।
2. ईद अल-अधा का अर्थ क्या है?
यह दिन पैगंबर इब्राहिम के समर्पण और बलिदान की याद दिलाता है।
3. इस्लाम धर्म में आशूरा का क्या महत्व है?
आशूरा को कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत का प्रतीक माना जाता है।