इस्लामिक त्योहार 2026

Author: Deepika Gola | Updated Tue, 23 Sep 2025 01:10 PM IST

इस्लामिक त्योहार 2026: नए साल यानी कि वर्ष 2026 में भारत समेत दुनियाभर के मुसलमान अनेक इस्लामिक पर्वों और अवकाशों का आनंद लेते हुए नज़र आएंगे। हर साल आने वाले सभी अवकाश सामान्य दिनों की तुलना में बेहद ख़ास होते हैं क्योंकि इनका अपना अर्थ, महत्व और रीति-रिवाज़ होते हैं।


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इस्लाम धर्म में मनाए जाने वाला हर त्योहार आस्था, दान, धैर्य और एकता के रूप में जीवन की महत्वपूर्ण सीख देता है, फिर चाहे रमजान के पवित्र रोजे रखना हो, अपने दोस्तों और परिवार के साथ ईद मनाना हो या फिर इस्लाम धर्म में दिए गए बलिदान को याद करना हो। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस्लाम धर्म के प्रत्येक अवकाश का महत्व और इन्हें कैसे मनाया जाता है।

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इस्लामिक त्योहार 2026: शांति और एकता का प्रतीक

इस्लामिक त्योहार 2026 परंपराओं से परे हैं क्योंकि इनका संबंध समुदाय के उत्थान, कृतज्ञता और दूसरों की सेवा से भी है। यह पर्व हमें धैर्य रखने, दयालु बनने और निष्पक्ष रहने की शिक्षा देते हैं।

भारत में सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर एक साथ रहते हैं और यहाँ इस्लाम धर्म के पर्वों को इस तरह से मनाया जाता है कि लोग एक-दूसरे के करीब आ सकें। पडोसी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं, दुकानों और घरों को सजाते हैं। साथ ही, दूसरे धर्म के लोग भी इस्लामिक त्यौहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

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इस्लामिक त्योहार 2026: ग्रेगोरियन कैलेंडर बनाम इस्लामिक कैलेंडर

इस्लामिक कैलेंडर को अक्सर हिजरी कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है जो कि पूरी तरह से चंद्र चक्र पर आधारित होता है। इस कैलेंडर में बारह महीने होते हैं और हर महीने की शुरुआत चांद नज़र आने के साथ होती है। इस्लाम धर्म का प्रत्येक महीना 29 से 30 दिनों का होता है। वहीं दूसरी तरफ, ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल भारत सहित दुनियाभर में बड़े स्तर पर किया जाता है जो कि पृथ्वी द्वारा की जाने वाली सूर्य की परिक्रमा पर आधारित होता है इसलिए इसे सौर कैलेंडरर भी कहा जाता है। फरवरी को छोड़कर इस कैलेंडर के हर महीने में 30 या 31 दिन होते हैं।

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है इसलिए यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से तक़रीबन 10 या 11 दिनछोटा होता है। इस अंतर की वजह से इस्लाम धर्म के त्योहार ग्रेगोरियन कैलेंडर से 10 या 11 दिन पहले आ जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, इस्लामिक पर्व जैसे कि रमजान और ईद हर साल अलग-अलग मौसम में पड़ते हैं, बल्कि वह हर मौसम में आते हैं, उदाहरण के तौर पर रमजान गर्मी, सर्दी बसंत के मौसम में भी पड़ सकता है।

इस्लामिक त्योहार 2026: इस्लाम धर्म के प्रमुख पर्वों का इतिहास

इस्लामिक त्योहार 2026 में मनाए जाने वाले पर्वों का अपना इतिहास है। प्रत्येक पर्व न सिर्फ़ किसी विशेष दिन की याद दिलाता है, बल्कि इनका धार्मिक महत्व भी होता है।

रमजान: रमजान, इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है जिसमें रोजे रखे जाते हैं। रमजान का पवित्र महीना उस अवधि की याद दिलाता है जब कुरान को पैगम्बर मुहम्मद द्वारा लैलत अल-क़द्र की रात में पहली बार अवतरित किया गया था। यह महीना अनुशासन, दान और आध्यात्मिक प्रगति का होता है।

ईद-उल-फितर: ईद-उल-फितर को रमजान के महीने के अंत में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत बद्र के युद्ध के बाद 624 ई.में हुई थी। यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए ईश्वरीय सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है।

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ईद-उल-अधा: ईद-उल-अधा को बलिदान के पर्व के नाम से भी जाना जाता है जो अल्लाह के प्रति पैगम्बर इब्राहिम के अटूट विश्वास की याद दिलाता है जिसकी वजह से उन्होंने अपने बेटे (वास्तव में यह भेड़ थी) की बलि दी थी। यह पर्व निस्वार्थ, आज्ञा का पालन और दयालुता का प्रतीक माना जाता है।

आशूरा: आशूरा को मुहर्रम के दसवें दिन मनाया जाता है जिसका भारत में विशेष महत्व है। इस दिन शिया मुसलमान कर्बला के युद्ध में पैगंबर के पोते इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। आशूरा के दिन लखनऊ, हैदराबाद और पंजाब के भी कुछ हिस्सों में मजलिस, नोहा और जुलूस आदि निकाले जाते हैं।

इस्लामिक त्योहार 2026: इस्लाम धर्म के अवकाशों की सूची

त्योहार

हिजरी तिथि

दिन

ग्रेगोरियन तिथि

इसरा मिराज

2 रजब 1447 हिजरी

शुक्रवार

16 जनवरी 2026

शाबान की शुरुआत

1 शाबान 1447 हिजरी

मंगलवार

20 जनवरी 2026

निस्फ शाबान

15 शाबान 1447 हिजरी

मंगलवार

3 फरवरी 2026

रमजान का आरंभ

1 रमजान 1447 हिजरी

गुरुवार

19 फरवरी 2026

नुज़ूल-उल-कुरान

17 रमजान 1447 हिजरी

शनिवार

07 मार्च 2026

लैलत-उल-क़द्र

27 रमजान 1447 हिजरी

मंगलवार

17 मार्च 2026

शव्वाल का आरंभ

1 शव्वाल 1447 हिजरी

शुक्रवार

20 मार्च 2026

ईद-उल-फितर

1 शव्वाल 1447 हिजरी

शुक्रवार

20 मार्च 2026

धुल कदा का आरंभ

1 ज़िलक़ादा 1447 हिजरी

शनिवार

18 अप्रैल 2026

ज़िलहिज्जा का आरंभ

1 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी

सोमवार

18 मई 2026

अरफ़ा में वक्फ (हज)

9 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी

मंगलवार

26 मई 2026

ईद-उल-अज़हा

10 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी

बुधवार

27 मई 2026

तश्रीक़ का दिन

11, 12, 13 ज़िलहिज्जा 1447 हिजरी

गुरुवार

28 मई 2026

मुहर्रम का आरंभ (इस्लामी नव वर्ष)

1 मुहर्रम 1448 हिजरी

मंगलवार

16 जून 2026

आशूरा उपवास

10 मुहर्रम 1448 हिजरी

गुरुवार

25 जून 2026

सफर की शुरुआत

1 सफ़र 1448 हिजरी

गुरुवार

16 जुलाई 2026

रबी-उल-अव्वल का आरंभ

1 रबी-अल-अव्वल 1448 हिजरी

शुक्रवार

24 अगस्त 2026

ईद-उल-मिलाद पैगंबर का जन्मदिन

12 रबी-अल-अव्वल 1448 हिजरी

मंगलवार

25 अगस्त 2026

रबी-उल-धानी का आरंभ

1 रबी-अल-धानी 1448 हिजरी

शनिवार

12 सितंबर 2026

जमादि-उल-उला का आरंभ

1 जमादा-अल-उला

1448 हिजरी

सोमवार

12 अक्टूबर 2026

जमादि-उल-अखिराह का आरंभ

1 जुमादा-अल-अखिरा1448 हिजरी

बुधवार

11 नवंबर 2026

रजब माह का आरंभ (एक पवित्र महीना)

1 रज्जब 1448 हिजरी

गुरुवार

10 दिसंबर 2026

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इस्लामिक त्योहार 2026: इस्लाम धर्म से जुड़े रोचक तथ्य

इस्लाम का अर्थ

इस्लाम शब्द का अर्थ “शांति” और “ईश्वर के प्रति समर्पण” होता है। मुसलमान वह इंसान होता है जो शांतिपूर्वक अल्लाह के प्रति समर्पित रहता है।

5 बार की जाती है नमाज़

मुसलमान द्वारा हर दिन एक खास समय पर पांच बार नमाज़ की जाती है जो कि सर्वशक्तिमान अल्लाह से जुड़े रहने का तरीका है।

पवित्र कुरान

इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ कुरान है। इसमें अल्लाह के वचन का वर्णन मिलता है जो कि पैगंबर मुहम्मद से कहे गए थे। इन वचनों में पिछले 1400 वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया है।

दान (ज़कात)

इस्लाम धर्म में किसी जरूरतमंद की सहायता करने की शिक्षा दी जाती है। इसी क्रम में , मुसलमान अपनी संपत्ति का एक निश्चित भाग दान करते हैं जिसे ज़कात कहा जाता है ताकि गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता की जा सके।

नमाज़ की दिशा

दुनियाभर के मुसलमान नमाज़ करते समय अपना मुख पवित्र काबा की तरफ करते हैं जो पवित्र मदीना में स्थित है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. इस्लामिक त्योहार 2026 की तिथियां ग्रेगोरियन कैलेंडर में क्यों बदलती हैं?

इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है इसलिए इनके पर्वों की तिथियों में अंतर होता है।

2. ईद अल-अधा का अर्थ क्या है?

यह दिन पैगंबर इब्राहिम के समर्पण और बलिदान की याद दिलाता है।

3. इस्लाम धर्म में आशूरा का क्या महत्व है?

आशूरा को कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत का प्रतीक माना जाता है।

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