कर्णवेध मुहूर्त 2026

Author: Ruchi Sharma | Updated Tue, 23 Sep 2025 01:10 PM IST

कर्णवेध मुहूर्त 2026 सनातन धर्म में 16 सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में एक माना जाता है, जिसे बच्चों के कान छेदन की विधि के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों में इसको वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से विशेष महत्व दिया गया है। कर्णवेध संस्कार न केवल बच्चे के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, बल्कि माना जाता है कि यह बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इस संस्कार को करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन विशेष रूप से आवश्यक होता है, ताकि इसका शुभ प्रभाव बच्चे के जीवनभर बना रहे।


आमतौर पर यह संस्कार बाल्यकाल में, विशेषकर 6 महीने से लेकर 3 वर्ष की उम्र के बीच किया जाता है। मुहूर्त निकालते समय तिथि, वार, नक्षत्र और शुभ लग्न का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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To Read in English, Click Here: Karnavedha Muhurat 2026

एस्ट्रोसेज एआई के इस कर्णवेध मुहूर्त 2026 आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं वर्ष 2026 में कर्णछेदन संस्कार के लिए कौन-कौन सी शुभ तिथियां होने वाली हैं एवं उनका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। साथ ही इस लेख में आपको कर्णवेध संस्कार के महत्व, विधि और कर्णवेध मुहूर्त को निर्धारित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आदि के बारे में भी जानकारी देंगे, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कर्णवेध मुहूर्त की सूची के बारे में।

नीचे हम आपको कर्णवेध मुहूर्त 2026 के माध्यम से कर्णवेध संस्कार के लिए एक सूची प्रदान कर रहे हैं जिसमें आप साल के सभी 12 महीनों में विभिन्न कर्णवेध मुहूर्त संस्कारों की जानकारी जान सकेंगे।

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कर्णवेध मुहूर्त 2026 का महत्व

सनातन धर्म में कर्णवेध संस्कार का बहुत अधिक महत्व है। कर्णवेध यानी कान छेदन न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, कान छिदवाने से बच्चों की बुद्धि का विकास होता है और उनकी याददाश्त तेज होती है। आयुर्वेद में बताया गया है कि कान में छेद करने से आंखों की दृष्टि तेजी रहती है और कई मानसिक विकारों से भी बचाव होता है।

इसके अलावा, कर्णवेध से बच्चों को बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से भी सुरक्षा मिलती है। धार्मिक रूप से यह संस्कार देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने और बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि कर्णवेध करते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि संस्कार के समय ग्रह-नक्षत्रों की सही स्थिति का पता लगाया जा सके, जिससे बच्चों का जीवन सुख-शांति से भरा रहे।

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कब कराया जाता है कर्णवेध संस्कार

आमतौर पर कर्णवेध संस्कार बच्चे के 6वें महीने से लेकर 16 वें वर्ष तक करवाया जा सकता है।

परंपरा के अनुसार, इसे ज्यादातर 6वें, 7वें या 8वें महीने में या फिर 3 वर्ष या 5 वर्ष की उम्र में करवाना शुभ माना जाता है।

कुछ लोग इसे विद्यारंभ संस्कार के आस-पास भी करवाते हैं।

कर्णवेध के लिए शुभ मुहूर्त चुना जाता है, जो कि पंचांग देखकर तय किया जाता है। विशेषकर अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, हस्त, अनुराधा और रेवती नक्षत्र को इस संस्कार के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

कैसे कराया जाता है कर्णवेध संस्कार

संस्कार के दिन बच्चे को स्नान करवाकर साफ व नये वस्त्र पहनाए जाते हैं।

पूजा स्थल पर गणेशजी, सूर्य देव और कुल देवी-देवता का पूजन किया जाता है।

फिर वेद मंत्रों और श्लोकों के बीच बच्चे के दोनों कानों में छेद किया जाता है।

लड़कों के पहले दायां कान और फिर बायां कान छेदा जाता है। लड़कियों के लिए पहले बायां और फिर दायां कान छेदा जाता है।

छेदने के बाद सोने या चांदी की बाली पहनाई जाती है।

अंत में परिवारजनों व अन्य लोगों का आशीर्वाद लिया जाता है और मिठाई व प्रसाद बांटा जाता है।

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कर्णवेध के लिए शुभ माह, तिथि, दिन,तिथि, नक्षत्र व लग्न

श्रेणी

शुभ विकल्प

तिथि

चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथियां और अमावस्या तिथि को छोड़कर सभी तिथियां शुभ मानी गई है

दिन/वार

सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार

माह

कार्तिक मास, पौष मास, फाल्गुन मास और चैत्र मास

लग्न

वृषभ लग्न, तुला लग्न, धनु लग्न और मीन लग्न (बृहस्पति लग्न में कर्णवेध संस्कार कराया जाए तो यह सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।)

नक्षत्र

मृगशिरा नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, हस्तनक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अभिजित नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र और पुनर्वसु नक्षत्र

नोट: खरमास, क्षय तिथि, हरि शयन, सम वर्ष अर्थात (द्वितीय, चतुर्थ इत्यादि) के दौरान कर्णवेध संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।

कर्णवेध संस्कार के फायदे

कर्णवेध संस्कार के कई शारीरिक व मानसिक लाभ है। तो आइए, जानते हैं कर्णवेध संस्कार से होने वाले लाभ के बारे में।

कर्णवेध संस्कार से बच्चे के कान में छेद होने से सुनने की क्षमता में तेज होती है।

कर्णवेध संस्कार को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस संस्कार से बच्चे को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और वे अच्छे कर्मों की ओर आगे बढ़ता है।

यह संस्कार जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है। विशेष रूप से, यह बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन में स्थिरता लाने में मदद करता है।

कर्णवेध संस्कार से परिवार के बीच आपसी सद्भाव और शांति बनी रहती है।

यह संस्कार बच्चों के मानसिक विकास में भी सहायक होता है।

यह संस्कार कानों से संबंधित कई प्रकार के संक्रमणों और बीमारियों से बचाव करता है।

कर्णवेध मुहूर्त 2026 की सूची

जनवरी 2026

तारीख

समय

4 जनवरी 2026

07:46-13:04, 14:39-18:49

5 जनवरी 2026

08:25-13:00

10 जनवरी 2026

07:46-09:48, 11:15-16:11

11 जनवरी 2026

07:46-11:12

14 जनवरी 2026

07:50-12:25, 14:00-18:10

19 जनवरी 2026

13:40-15:36, 17:50-20:11

21 जनवरी 2026

07:45-10:32, 11:57-15:28

24 जनवरी 2026

15:16-19:51

25 जनवरी 2026

07:44-11:41, 13:17-19:47

26 जनवरी 2026

11:37-13:13

29 जनवरी 2026

17:11-19:00

31 जनवरी 2026

07:41-09:53

कर्णवेध मुहूर्त 2026: फरवरी 2026

तारीख

समय

6 फरवरी 2026

07:37-08:02, 09:29-14:25, 16:40-19:00

7 फरवरी 2026

07:37-07:58, 09:25-16:36

21 फरवरी 2026

15:41-18:01

22 फरवरी 2026

07:24-11:27, 13:22-18:24

मार्च 2026

तारीख

समय

5 मार्च 2026

09:08-12:39, 14:54-19:31

15 मार्च 2026

07:04-12:00, 14:14-18:52

16 मार्च 2026

07:01-11:56, 14:10-18:44

20 मार्च 2026

06:56-08:09, 09:44-16:15

21 मार्च 2026

06:55-09:40, 11:36-18:28

25 मार्च 2026

07:49-13:35

27 मार्च 2026

11:12-15:47

28 मार्च 2026

09:13-15:43

अप्रैल 2026

तारीख

समय

2 अप्रैल 2026

07:18-10:49, 13:03-18:08

3 अप्रैल 2026

07:14-13:00, 15:20-19:53

6 अप्रैल 2026

17:25-19:42

12 अप्रैल 2026

06:39-10:09, 12:24-14:44

13 अप्रैल 2026

06:35-12:20, 14:41-16:58

18 अप्रैल 2026

06:24-07:50, 09:46-12:01

23 अप्रैल 2026

07:31-11:41, 14:01-18:35

24 अप्रैल 2026

09:22-13:57, 16:15-18:31

29 अप्रैल 2026

07:07-09:03, 11:17-18:11

कर्णवेध मुहूर्त 2026: मई 2026

तारीख

समय

3 मई 2026

07:39-13:22, 15:39-20:15

4 मई 2026

06:47-10:58

9 मई 2026

06:28-08:23, 10:38-17:32

10 मई 2026

06:24-08:19, 10:34-17:28

14 मई 2026

06:08-12:39, 14:56-18:23

15 मई 2026

08:00-10:14

जून 2026

तारीख

समय

15 जून 2026

10:33-17:26

17 जून 2026

05:54-08:05, 12:42-19:37

22 जून 2026

12:23-14:39

24 जून 2026

09:57-14:31

27 जून 2026

07:25-09:46, 12:03-18:57

जुलाई 2026

तारीख

समय

2 जुलाई 2026

11:43-14:00, 16:19-18:38

4 जुलाई 2026

13:52-16:11

8 जुलाई 2026

06:42-09:02, 11:20-13:36

9 जुलाई 2026

13:32-15:52

12 जुलाई 2026

11:04-13:20, 15:40-19:36

15 जुलाई 2026

06:15-08:35, 10:52-17:47

20 जुलाई 2026

06:07-12:49, 15:08-19:07

24 जुलाई 2026

06:09-08:00, 10:17-17:11

29 जुलाई 2026

16:52-18:55

30 जुलाई 2026

07:36-12:10, 14:29-18:13

31 जुलाई 2026

07:32-14:25, 16:44-18:48

कर्णवेध मुहूर्त 2026: अगस्त 2026

तारीख

समय

5 अगस्त 2026

11:46-18:28

9 अगस्त 2026

06:57-13:50

10 अगस्त 2026

16:04-18:08

16 अगस्त 2026

17:45-19:27

17 अगस्त 2026

06:25-10:59, 13:18-19:23

20 अगस्त 2026

10:47-15:25, 17:29-19:11

26 अगस्त 2026

06:27-10:23

सितंबर 2026

तारीख

समय

7 सितंबर 2026

07:20-11:56, 16:18-18:43

12 सितंबर 2026

13:55-17:41

13 सितंबर 2026

07:38-09:13, 11:32-17:37

17 सितंबर 2026

06:41-13:35, 15:39-18:49

23 सितंबर 2026

06:41-08:33, 10:53-16:58

24 सितंबर 2026

06:41-10:49

कर्णवेध मुहूर्त 2026: अक्टूबर 2026

तारीख

समय

11/10/2026

09:42-17:14

21/10/2026

07:30-09:03

11:21-16:35

18:00-19:35

26/10/2026

07:00-13:06

14:48-18:11

30/10/2026

07:03-08:27

31/10/2026

07:41-08:23

10:42-15:56

17:21-18:56

नवंबर 2026

तारीख

समय

1/11/2026

07:04-10:38

12:42-17:17

6/11/2026

08:00-14:05

15:32-18:32

7/11/2026

07:56-12:18

11/11/2026

07:40-09:59

12:03-13:45

16/11/2026

07:20-13:25

14:53-19:48

21/11/2026

07:20-09:19

11:23-15:58

17:33-18:20

22/11/2026

07:20-11:19

13:02-17:29

26/11/2026

09:00-14:13

15:38-18:17

28/11/2026

10:56-15:30

17:06-19:01

29/11/2026

07:26-08:48

10:52-12:34

कर्णवेध मुहूर्त 2026: दिसंबर 2026

तारीख

समय

3/12/2026

10:36-12:18

4/12/2026

07:30-12:14

13:42-18:38

5/12/2026

08:24-13:38

14/12/2026

07:37-11:35

13:03-17:58

19/12/2026

09:33-14:08

15:43-19:53

20/12/2026

07:40-09:29

25/12/2026

07:43-12:19

13:44-19:30

26/12/2026

09:06-10:48

31/12/2026

07:45-10:28

11:56-13:21

कर्णवेध करते समय इन बातों का रखें ध्यान

कर्णवेध संस्कार को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। विशेष रूप से तिथि, वार, नक्षत्र, और लग्न का ध्यान रखना जरूरी है। यह संस्कार पवित्र और सही समय पर किया जाता है।

कर्णवेध करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात स्वच्छता है। यह सुनिश्चित करें कि जो जगह कर्णवेध के लिए चुनी जाए वह पूरी तरह से स्वच्छ हो।

कर्णवेध हमेशा अनुभवी व्यक्ति या जाने-माने विशेषज्ञ से करवाना चाहिए।

कर्णवेध सोने या चांदी से करना अच्छा होता है क्योंकि ये धातुएं कम से कम एलर्जी करती हैं।

कर्णवेध करवाते समय व्यक्ति को आराम की स्थिति में रखना जरूरी है। शारीरिक और मानसिक रूप से शांत रहना चाहिए।

कर्णवेध करते समय बच्चे को आरामदायक और सही कपड़े पहनाने चाहिए ताकि प्रक्रिया के दौरान कोई परेशानी न हो।

कर्णवेध के बाद कान की देखभाल करना बहुत जरूरी है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कर्णवेध मुहूर्त क्या होता है?

कर्णवेध संस्कार, जो कान छिदवाने का संस्कार है

2. सबसे उत्तम मुहूर्त कौन सा होता है?

अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं।

3. कर्णवेध संस्कार कब करना चाहिए?

बच्चे के जन्म के 12वें या 16वें दिन, या फिर बच्चे के 6, 7 या 8 महीने के होने पर किया जा सकता है।

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