सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त 2026 का विशेष महत्व है। यह एक विशेष समय को दर्शाता है, जिसे किसी भी धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कार्य की शुरुआत के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। शुभ मुहूर्त ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर ग्रहों, नक्षत्रों, तिथि, वार और योग को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। मान्यता है कि यदि कोई कार्य शुभ मुहूर्त में शुरू किया जाए, तो उसमें सफलता, सुख-शांति और समृद्धि सुनिश्चित होती है। विवाह, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन, नामकरण, यात्रा, व्यापार आरंभ आदि सभी महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त 2026 का चयन आवश्यक माना जाता है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त पर किया गया कार्य न केवल फलदायी होता है, बल्कि उसमें ईश्वर की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा भी समाहित होती है।
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इस आर्टिकल में आपको न सिर्फ वर्ष 2026 में आने वाली शुभ तिथियों एवं मुहूर्त के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त 2026 का महत्व, इसको निर्धारित करने के नियम और किन बातों का रखना होता है ध्यान? आदि से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं क्या होता है शुभ मुहूर्त।
Read In English: Shubh Muhurat 2026
शुभ मुहूर्त का अर्थ शुभ समय से होता है। यह एक ऐसा विशेष समय होता है जिसे किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ, सौभाग्यशाली और फलदायक माना जाता है। सनातन धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार, समय के अलग-अलग भागों का अलग-अलग ऊर्जा प्रभाव होता है। जिस समय में ग्रहों, नक्षत्रों, तिथियों और अन्य पंचांगीय तत्वों की स्थिति अनुकूल होती है, उस समय को शुभ मुहूर्त कहा जाता है। इस समय में शुरू किए गए कार्यों में सफलता, समृद्धि और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
सनातन संस्कृति में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले उसका मुहूर्त निकालना अत्यंत आवश्यक माना गया है। चाहे वह विवाह हो, अन्नप्राशन, नामकरण, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, वाहन खरीदना या किसी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत करना हो, हर शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त 2026 देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कार्य को गलत समय में या अशुभ मुहूर्त में शुरू किया गया तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होते, चाहे प्रयास कितना भी अच्छा क्यों न हो।
शुभ मुहूर्त 2026 निकालने में पंचांग की भूमिका प्रमुख होती है। पंचांग पांच प्रमुख तत्वों तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का समूह है। इन सभी का समन्वय करके यह निर्धारित किया जाता है कि कौन सा समय किसी विशेष व्यक्ति के लिए किस कार्य के लिए अनुकूल रहेगा। साथ ही राहुकाल, यमगण्ड काल, भद्रा, चंद्र दोष आदि अशुभ प्रभावों से बचाव भी किया जाता है। कभी-कभी व्यक्ति की कुंडली और गोचर ग्रहों की स्थिति को भी ध्यान में रखकर विशेष मुहूर्त निकाला जाता है, जिससे कार्य में सफलता मिल सके।
ज्योतिष के अनुसार, ब्रह्मांड में ग्रहों और नक्षत्रों की चाल का प्रभाव पृथ्वी पर होने वाली हर गतिविधि पर पड़ता है। जब ये ग्रह-नक्षत्र अनुकूल स्थिति में होते हैं, तो उस समय में किया गया कार्य अधिक शुभ और फलदायी होता है। इसी समय को शुभ मुहूर्त कहा जाता है। उदाहरण के लिए, विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार अगर गलत समय पर किए जाएं, तो वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। वहीं, शुभ मुहूर्त में किए गए विवाह जीवन में प्रेम, समर्पण और सफलता की संभावना बढ़ा देते हैं। शुभ मुहूर्त मानसिक दृष्टि से भी व्यक्ति को एक सकारात्मक ऊर्जा देता है। जब कोई कार्य शुभ समय पर आरंभ होता है, तो व्यक्ति का मन शांत, केंद्रित और आत्मविश्वास से भरपूर रहता है। यह मानसिक स्थिति स्वयं कार्य को सफल बनाने में सहायक बनती है।
अगर आप भी आने वाले साल यानी कि वर्ष 2026 में विवाह या अपने शिशु के मुंडन, अन्नप्राशन आदि संस्कार के लिए मुहूर्त की तलाश में हैं, तो यहां हम आपको नामकरण के लेकर विवाह तक के शुभ मुहूर्त और तिथियां प्रदान कर रहे हैं।
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वर्ष 2026 में कर्णवेध मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: कर्णवेध मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में विवाह मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: विवाह मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में उपनयन मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: उपनयन मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में विद्यारंभ मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: विद्यारंभ मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में नामकरण मुहूर्त की सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: नामकरण मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में मुंडन मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: मुंडन मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में अन्नप्राशन मुहूर्त के सर्वाधिक शुभ मुहूर्त एवं तिथियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए यहां क्लिक करें: अन्नप्राशन मुहूर्त 2026
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि शुभ मुहूर्त का निर्माण कैसे होता है।
शुभ मुहूर्त का चयन ज्योतिषीय गणनाओं और पंचांग के आधार पर किया जाता है। यह प्रक्रिया हजारों वर्षों से चली आ रही वैदिक ज्योतिष प्रणाली पर आधारित है, जिसमें ग्रहों, नक्षत्रों और कालखंडों का अध्ययन कर यह तय किया जाता है कि कौन सा समय किसी विशेष कार्य के लिए सबसे अनुकूल और लाभकारी होगा। आइए जानते हैं कैसे निकाला जाता है शुभ मुहूर्त।
पंचांग के पांच तत्व यानी तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण इन सबका संयोग देखकर यह तय किया जाता है कि कोई समय शुभ है या अशुभ।
मुहूर्त निकालते समय सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र जैसे ग्रहों की चाल देखी जाती है।
शुभ मुहूर्त में लग्न कुंडली का भी विशेष महत्व होता है। मुहूर्त के समय बनने वाली लग्न कुंडली का विश्लेषण कर यह देखा जाता है कि उस समय कौन सी राशि उदय हो रही है और ग्रह उस लग्न में किस स्थिति में हैं।
मुहूर्त निकालते समय राहुकाल, यमगण्ड और भद्राकाल अशुभ कालखंडों से बचा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, एक दिन में 24 घंटे होते हैं जिसके आधार पर एक दिन में कुल 30 मुहूर्त निकलते हैं। ऐसे में, हर मुहूर्त 48 मिनट तक चलता है। इस सूची के माध्यम से आप जान सकते है कि कौन सा मुहूर्त शुभ है और कौन सा अशुभ।
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मुहूर्त का नाम |
मुहूर्त की प्रवृत्ति |
|---|---|
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रूद्र |
अशुभ |
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आहि |
अशुभ |
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मित्र |
शुभ |
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पितृ |
अशुभ |
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वसु |
शुभ |
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वाराह |
शुभ |
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विश्वेदेवा |
शुभ |
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विधि |
शुभ (सोमवार और शुक्रवार के अलावा) |
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सतमुखी |
शुभ |
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पुरुहूत |
अशुभ |
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वाहिनी |
अशुभ |
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नक्तनकरा |
अशुभ |
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वरुण |
शुभ |
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अर्यमा |
शुभ (रविवार के अलावा) |
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भग |
अशुभ |
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गिरीश |
अशुभ |
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अजपाद |
अशुभ |
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अहिर-बुध्न्य |
शुभ |
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पुष्य |
शुभ |
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अश्विनी |
शुभ |
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यम |
अशुभ |
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अग्नि |
शुभ |
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विधातृ |
शुभ |
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कण्ड |
शुभ |
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अदिति |
शुभ |
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अति शुभ |
अत्यंत शुभ |
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विष्णु |
शुभ |
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द्युमद्गद्युति |
शुभ |
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ब्रह्म |
अत्यंत शुभ |
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समुद्रम |
शुभ |
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शुभ मुहूर्त 2026 के अनुसार, पंचांग में शुभ मुहूर्त की गणना करते समय तिथि, वार, योग, करण और नक्षत्र आदि को ध्यान में रखा जाता है। ऐसे में, इन पांचों तत्वों को शुभ मुहूर्त निर्धारित करते समय सबसे पहले देखा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि शुभ मुहूर्त निकालते समय सबसे पहले तिथि देखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, एक महीने में कुल 30 दिन अर्थात 30 तिथियां होती हैं जिन्हें 15-15 के दो वर्गों में बांटा जाता है। इन्हें शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहा जाता हैं। शुभ मुहूर्त 2025 के अनुसार, अमावस्या वाले पक्ष को कृष्ण और पूर्णिमा वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहते है। आइए जानते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली तिथियों के बारे में।
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शुक्ल पक्ष |
कृष्ण पक्ष |
|---|---|
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प्रतिपदा तिथि |
प्रतिपदा तिथि |
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द्वितीया तिथि |
द्वितीया तिथि |
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तृतीया तिथि |
तृतीया तिथि |
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चतुर्थी तिथि |
चतुर्थी तिथि |
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पंचमी तिथि |
पंचमी तिथि |
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षष्ठी तिथि |
षष्ठी तिथि |
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सप्तमी तिथि |
सप्तमी तिथि |
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अष्टमी तिथि |
अष्टमी तिथि |
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नवमी तिथि |
नवमी तिथि |
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दशमी तिथि |
दशमी तिथि |
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एकादशी तिथि |
एकादशी तिथि |
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द्वादशी तिथि |
द्वादशी तिथि |
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त्रयोदशी तिथि |
त्रयोदशी तिथि |
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चतुर्दशी तिथि |
चतुर्दशी तिथि |
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पूर्णिमा तिथि |
पूर्णिमा तिथि |
शुभ मुहूर्त 2026 के मुताबिक, वार या दिन भी शुभ मुहूर्त निकालते समय महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पंचांग में सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते है जब मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं जिसमें रविवार का नाम सबसे पहले आता है। इसके विपरीत, गुरुवार, मंगलवार को सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त के निर्धारण का तीसरा पहलू नक्षत्र होता है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं और इनमें से कुछ नक्षत्र को शुभ या अशुभ माना गया है। साथ ही, प्रत्येक नक्षत्र पर किसी न किसी ग्रह का स्वामित्व होता है। किन नक्षत्रों पर है किन ग्रहों का शासन, चलिए जानते हैं।
नक्षत्र और स्वामी ग्रह के नाम
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नक्षत्रों के नाम |
स्वामी ग्रह |
|---|---|
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अश्विनी, मघा, मूल |
केतु |
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भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा |
शुक्र |
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कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा |
सूर्य |
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रोहिणी, हस्त, श्रवण |
चंद्र |
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मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा |
मंगल |
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आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा |
राहु |
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पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद |
बृहस्पति |
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पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद |
शनि |
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अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती |
बुध |
शुभ मुहूर्त के निर्धारण में योग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र की स्थिति के आधार पर कुल 27 योगों का वर्णन किया गया है और इनमें से 9 योग अशुभ और 18 योग शुभ होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं।
शुभ योग: हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव।
अशुभ योग: शूल, गण्ड, व्याघात, विष्कुम्भ, अतिगण्ड, परिघ, वैधृति, वज्र, व्यतिपात
शुभ मुहूर्त 2025 के अनुसार, करण शुभ मुहूर्त के निर्धारण का पांचवां और अंतिम पहलू होता है। पंचांग के अनुसार, एक तिथि में दो करण होते हैं और एक तिथि के पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में एक-एक करण होते हैं। इसी क्रम में, करण की संख्या 11 हो जाती हैं और इसमें 4 करण स्थिर जबकि 7 चर प्रकृति के होते हैं। आइये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन करण के नामों और प्रकृति के बारे में। स्थिर और चर करण के नाम नीचे दिए गए हैं।
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स्थिर करण |
चतुष्पाद, किस्तुघ्न, शकुनि, नाग |
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चर करण |
विष्टि या भद्रा, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, बव, बालव |
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पंचांग में कुछ तिथियां ऐसी मानी गई हैं जिन्हें रिक्त तिथियां कहा जाता है। ये तिथियां कार्यों की सफलता में बाधक मानी जाती हैं। वह है चतुर्थी (गणेश चतुर्थी सहित), नवमी, चतुर्दशी।
जब कोई ग्रह उदय या अस्त हो रहा हो, तो उसके तीन दिन पहले और तीन दिन बाद तक किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए।
यदि किसी दिन तिथि, दिन और नक्षत्र का कुल योग 13 हो जाए, तो उस दिन शुभ कार्य या समारोह आयोजित करने से बचना चाहिए।
अमावस्या तिथि को किसी भी प्रकार के शुभ या मांगलिक कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
व्यापार से जुड़ी कोई डील या महत्त्वपूर्ण लेन-देन रविवार, मंगलवार और शनिवार को करने से बचना चाहिए।
मंगलवार को कभी उधार न लें और बुधवार के दिन किसी को उधार न दें यह आर्थिक असंतुलन का कारण बन सकता है।
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1. मुहूर्त का क्या अर्थ होता है?
मुहूर्त एक ऐसा विशेष समय होता है जिसे किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ, सौभाग्यशाली और फलदायक माना जाता है।
2. मुहूर्त के कितने प्रकार होते हैं?
धार्मिक ग्रंथों में कुल 30 मुहूर्त का वर्णन मिलता है।
3. फरवरी 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त कब है?
2026 में फरवरी माह में गृह प्रवेश मुहूर्त के सिर्फ 4 मुहूर्त हैं।