सिख त्योहार 2026: एस्ट्रोसेज एआई का यह आर्टिकल “सिख त्योहार 2026” आपको नए साल यानी कि वर्ष 2026 में आने वाले सिख धर्म के प्रमुख पर्वों एवं त्योहारों की पूरी सूची प्रदान करेगा। हमारा यह लेख सिख धर्म के नियमों और परंपराओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि आप तीज-त्योहारों की तिथियां पहले से जानकर उनकी योजना बना सकें। साथ ही, इन अवकाशों को अपने करीबियों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ बीता सकें। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और नज़र डालते हैं सिख त्योहार 2026 की सूची पर।
Read in English: Sikh Holiday 2026
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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13 जनवरी 2026 |
मंगलवार |
लोहड़ी |
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31 जनवरी 2026 |
शनिवार |
गुरु हरराय जयंती |
फरवरी 2026 में सिख धर्म का कोई पर्व नहीं मनाया जाएगा।
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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04 मार्च 2026 |
बुधवार |
होला मोहल्ला शुरू |
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06 मार्च 2026 |
शुक्रवार |
होला मोहल्ला समाप्त |
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17 मार्च 2026 |
मंगलवार |
गुरु हरराय गुरयाई |
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19 मार्च 2026 |
गुरुवार |
गुरु अमरदास गुरयाई |
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22 मार्च 2026 |
रविवार |
गुरु अंगद देव ज्योति जोत |
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23 मार्च 2026 |
सोमवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह ज्योति जोत |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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01 अप्रैल 2026 |
बुधवार |
गुरु हरकिशन सिंह ज्योति जोत |
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01 अप्रैल 2026 |
बुधवार |
गुरु तेग बहादुर गुरयाई |
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07 अप्रैल 2026 |
मंगलवार |
गुरु तेग बहादुर जयंती |
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09 अप्रैल 2026 |
गुरुवार |
गुरु अर्जुन देव जयंती |
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14 अप्रैल 2026 |
मंगलवार |
बैसाखी |
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18 अप्रैल 2026 |
शनिवार |
गुरु अंगद देव जयंती |
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30 अप्रैल 2026 |
गुरुवार |
गुरु अमरदास जयंती |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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10 मई 2026 |
रविवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह गुरयाई |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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18 जून 2026 |
गुरुवार |
गुरु अर्जुन देव ज्योति जोत |
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30 जून 2026 |
मंगलवार |
गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती |
जुलाई 2026 में सिख धर्म का कोई पर्व नहीं मनाया जाएगा।
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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07 अगस्त 2026 |
शुक्रवार |
गुरु हरकिशन सिंह जयंती |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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12 सितंबर 2026 |
शनिवार |
गुरु ग्रंथ साहिब जयंती |
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13 सितंबर 2026 |
रविवार |
गुरु अर्जुन देव गुरयाई |
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14 सितंबर 2026 |
सोमवार |
गुरु रामदास ज्योति जोत |
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24 सितंबर 2026 |
गुरुवार |
गुरु रामदास गुरयाई |
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26 सितंबर 2026 |
शनिवार |
गुरु अमरदास ज्योति जोत |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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01 अक्टूबर 2026 |
गुरुवार |
गुरु अंगद देव गुरयाई |
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05 अक्टूबर 2026 |
सोमवार |
गुरु नानक देव ज्योति जोत |
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27 अक्टूबर 2026 |
मंगलवार |
गुरु रामदास जयंती |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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03 नवंबर 2026 |
मंगलवार |
गुरु हरकिशन सिंह गुरयाई |
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03 नवंबर 2026 |
मंगलवार |
गुरु हरराय ज्योति जोत |
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11 नवंबर 2026 |
बुधवार |
गुरु ग्रंथ साहिब गुरयाई |
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14 नवंबर 2026 |
शनिवार |
गुरु गोबिंद सिंह ज्योति जोत |
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24 नवंबर 2026 |
मंगलवार |
गुरु नानक देव जयंती |
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तिथि |
दिन |
पर्व एवं त्योहार |
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12 दिसंबर 2026 |
शनिवार |
गुरु गोबिंद सिंह गुरयाई |
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14 दिसंबर 2026 |
सोमवार |
गुरु तेग बहादुर ज्योति जोत |
नोट: आपको बता दें कि सिख त्योहार 2026 में ऊपर दी गई त्योहारों की तिथियों में बदलाव हो सकता है। अगर भविष्य में किसी तिथि में बदलाव किया जाता है, तो हम कैलेंडर में तिथि अपडेट कर देंगे।
चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं सिख धर्म के महत्व और इतिहास से।
भारत को विविधताओं वाला देश कहा जाता है जहाँ अनेक धर्म और संस्कृति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। इन्हीं धर्मों में से एक है सिख धर्म जिसे दुनियाभर में पांचवां सबसे बड़े धर्म का दर्जा प्राप्त है। सिख धर्म को मानने वालों की संख्या विश्व में 28 मिलियन से भी अधिक है। यह धर्म एकता और प्रेम के सिद्धांत पर आधारित है जो सिख धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को आध्यात्मिक योद्धा बनने के लिए प्रेरित करता है।
संसार में सिख धर्म को सर्वेश्वरवादी या एकेश्वरवादी धर्म माना जाता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, सिख धर्म के अनुयायी एक ही ईश्वर में विश्वास करते हैं जिसे वह ओंकार कहते हैं। इस धर्म को मानने वालों का मत है कि ईश्वर निरंकार है इसलिए मनुष्य को अपने हर काम में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए और इसे ही सिमरन के नाम से जाना जाता है। बता दें कि सिख धर्म की मूल भाषा पंजाबी है और अगर बात करें इसके अर्थ की, तो सिख शब्द का वास्तविक अर्थ पंजाबी भाषा में शिष्य होता है। मान्यताओं के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना का श्रेय पहले गुरु गुरुनानक देव जी को जाता है जिन्होंने दक्षिण एशिया के पंजाब में इसकी नींव रखी थी। सिख धर्म की स्थापना का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली बुराई और जातीय भेदभाव को समाप्त करना था।
सिखों का पवित्र धर्म गुरु ग्रंथ साहिब है जो सिख धर्म में विश्वास करने वाले लोगों के लिए मात्र ग्रंथ नहीं है, बल्कि उनके लिए यह सिख समुदाय का अंतिम और जीवित ग्रंथ माना गया है। इसके पीछे की वजह है कि साल 1708 में दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने अपनी मृत्यु से पूर्व ऐलान कर दिया था कि उनके पश्चात कोई गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब ही सबसे अंतिम गुरु होंगे। इसी वजह से गुरु ग्रंथ साहिब को आदि ग्रंथ भी माना गया है। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि सिख समुदाय में दस गुरु हुए हैं और इनके नामों पर अब हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।
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सिख धर्म में 10 गुरु हुए हैं और इन सभी गुरुओं ने सिख समुदाय को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा कहा जाता है कि इन 10 गुरुओं में एक ही आत्मा का वास होता था। सिख धर्म के इन 10 गुरुओं के नाम इस प्रकार हैं: गुरु नानक देव जी (1469-1539), गुरु अंगद (1539-1552), गुरु अमरदास (1552-1574), गुरु रामदास (1574-1581), गुरु अर्जुन (1581-1606), गुरु हरगोविन्द (1606-1645), गुरु हरराय (1645-1661), गुरु हरकिशन (1661-1664), गुरु तेग बहादुर (1664-1675), गुरु गोविन्द सिंह (1675-1708) आदि।
सिख धर्म का इतिहास और महत्व जानने के बाद अब हम आपको रूबरू करवाते हैं सिख धर्म के त्योहारों के महत्व से।
सिख धर्म के लोगों के लिए बैसाखी का पर्व बेहद ख़ास होता है जिसे बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे वैशाखी के नाम से भी जाना जाता है जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को देशभर में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना बैसाखी के दिन ही की थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों का अंत करते हुए धर्म की रक्षा करना था। यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में उत्साह के साथ मनाया जाता है। बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में बैसाखी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि परम विशु,नबी आदि।
नए साल की शुरुआत में आने वाला सबसे पहला त्योहार लोहड़ी का होता है जिसे पंजाब समेत देशभर में बहुत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी हर साल 13 या 14 जनवरी के दिन पड़ती है और इसे फसल की कटाई और बुआई की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस मौके पर लोग खुले स्थान पर आग जलाकर चारों तरफ गीत गाते हैं और नाचते हैं। साथ ही, पंजाब का पारंपरिक नृत्य गिद्दा करते हैं। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में गुड़, रेवड़ी, गजक, तिल आदि डाले जाते हैं। इसके पश्चात, शाम के समय सब लोग मिल-जुलकर सरसों के साग और मक्के की रोटी का आनंद लेते हैं।
सिख धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है गुरुनानक जयंती। इस पर्व को सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी की याद में मनाया जाता है। सिख त्योहार 2026 के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को हर साल गुरु नानक जयंती के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। आपको बता दें कि पंजाब के तलवंडी में 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। अब इस स्थान को ननकाना के नाम से जाना जाता है जो वर्तमान समय में पाकिस्तान में स्थित है।
गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी और लोगों को जातिवाद का विरोध करने और सच्चाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। गुरुद्वारों में लंगर की परंपरा की भी शुरुआत गुरु नानक देव जी द्वारा ही की गई थी जो आज भी लगातार चलती आ रही है। लंगर के पीछे का उद्देश्य था कि एक ऐसा स्थान जहाँ पर अमीर-गरीब बिना किसी भेदभाव के सब एक साथ मिलकर भोजन कर सकें। साथ ही, गुरु नानक द्वारा ही दुनिया को “ एक ईश्वर” यानी कि ‘इक ओंकार’ का संदेश दिया था।
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सिख समुदाय के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिन को बहुत जोश और उत्साह से मनाया जाता है। सिख त्योहार 2026 के अनुसार, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को साल 1666 में बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोविंद जी के प्रति आदर और सम्मान प्रकट करने के लिए हर साल इस दिन को गुरु गोविंद सिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोविंद द्वारा की गई थी जिसकों सिख धर्म में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है। हालांकि, वर्ष 1708 में अपनी मृत्यु से पूर्व गुरु गोविंद सिंह जी ने यह घोषणा कर दी थी कि वह सिख धर्म के अंतिम गुरु होंगे और इसके बाद कोई व्यक्ति गुरु नहीं बनेगा। अंतिम गुरु केवल गुरु ग्रंथ साहिब होंगे। बता दें कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपना सारा जीवन लोगों की सेवा और सत्य के पथ पर चलते हुए व्यतीत किया था इसलिए आज भी उनके शिष्य गुरु गोविन्द जी की शिक्षा का अनुसरण करते हैं।
होला मोहल्ला सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे दुनियाभर में सिख समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार की रौनक देखने के लिए दूर-दूर से लोग आनंदपुर साहिब पहुँचते हैं। होला मोहल्ला लगातार तीन दिनों तक चलता है और धार्मिक दृष्टि से सिख धर्म के लिए विशेष होता है। इस पर्व की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु ,गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा 17वीं शताब्दी में की गई थी और इसे आज भी मनाया जा रहा है। होला मोहल्ला के पीछे गुरु गोविंद सिंह जी का मकसद एक ऐसे समुदाय का निर्माण करना था जहाँ लोग एक काबिल योद्धा होने के साथ-साथ आत्म-अनुशासन और आध्यात्मिकता में भी अच्छे हो।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
1. साल 2026 में लोहड़ी कब है?
सिख त्योहार 2026 के अनुसार, लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा।
2. 2026 में होला मोहल्ला कब से शुरू हैं?
वर्ष 2026 में होला मोहल्ला 04 मार्च से लेकर 06 मार्च 2026 तक चलेगा।
3. गुरु नानक जयंती साल 2026 में कब है?
साल 2026 में गुरु नानक जयंती 24 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।