सूर्य ग्रहण 2026 (Surya Grahan 2026) – सम्पूर्ण जानकारी
एस्ट्रोसेज आपके लिए पेश कर रहा है साल 2026 में होने वाले सभी सूर्य ग्रहणों की विस्तृत जानकारी का विशेष आर्टिकल। इस लेख में आपको केवल ग्रहण की तारीख या समय नहीं, बल्कि इसके विज्ञान, ज्योतिष और मानव जीवन पर प्रभावों के बारे में भी सम्पूर्ण विवरण मिलेगा।
यहां आप जान पाएंगे:
सूर्य ग्रहण 2026 कब, किस दिन, किस तिथि और किस समय से शुरू होकर समाप्त होगा।
प्रत्येक सूर्य ग्रहण किस प्रकार का होगा – पूर्ण, आंशिक या वलयाकार (अंगूठी) ग्रहण।
सूर्य ग्रहण 2026 कहां-कहां दिखाई देंगे – भारत और दुनिया के विभिन्न देशों में इसकी दृश्यता।
सूर्य ग्रहण का मानव जीवन, स्वास्थ्य, व्यवसाय और आध्यात्मिक उन्नति पर प्रभाव ।
यह विशेष लेख एस्ट्रोसेज के वरिष्ठ ज्योतिषी डॉ मृगांक शर्मा द्वारा तैयार किया गया है। यदि आप सूर्य ग्रहण 2026 से जुड़ी सभी जानकारी एक ही स्थान पर पाना चाहते हैं, तो इसे शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें।
सूर्य ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के अद्भुत संरेखण का परिणाम है।
हम जानते हैं:
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है और साथ ही अपने अक्ष पर भी घूमती है।
चंद्रमा, पृथ्वी का उपग्रह होने के कारण, पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
सामान्य परिस्थितियों में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधा पहुंचता है और चंद्रमा भी उसी प्रकाश को परावर्तित करता है।
लेकिन जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच एकदम स्थित हो जाता है, तो सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती हैं। इस स्थिति में चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य कुछ समय के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से ग्रसित प्रतीत होता है। इसे ही हम सूर्य ग्रहण कहते हैं।
इस घटना का वैज्ञानिक कारण स्पष्ट है – यह पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के त्रिकोणीय संरेखण का परिणाम है। लेकिन इसके प्रभाव केवल खगोलीय ही नहीं, बल्कि मानव जीवन, वातावरण और मानसिक ऊर्जा पर भी पड़ते हैं।
प्रत्येक सूर्य ग्रहण का प्रभाव केवल उस क्षेत्र में माना जाता है , जहां ग्रहण दिखाई देता है।
कुछ सूर्य ग्रहण भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे, जबकि कुछ केवल अन्य देशों में दिखाई देंगे।
ग्रहण का सूतक काल और उपाय केवल वहां मान्य होते हैं जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।
सूर्य ग्रहण का मानव जीवन पर प्रभाव
सूर्य ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है। प्राचीन ग्रंथों और ज्योतिष विज्ञान के अनुसार:
यह मानसिक ऊर्जा, स्वास्थ्य और सौभाग्य को प्रभावित कर सकता है।
ग्रहण के समय शुभ कार्य और मांगलिक कार्यों से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण के समय ध्यान, मंत्र जाप, दान और आध्यात्मिक साधना करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
यदि आपकी राशि या नक्षत्र ग्रहण से प्रभावित है, तो विशेष उपाय करके इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सूर्य ग्रहण केवल अंधकार और प्रकाश का खेल नहीं है, बल्कि प्रकृति और जीवन की ऊर्जा का अद्भुत संयोजन है। वर्ष 2026 में आने वाले सूर्य ग्रहणों के बारे में जागरूक रहकर आप न केवल शुभ कार्यों और स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में समृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं।
इसलिए, सूर्य ग्रहण 2026 से जुड़ी सभी जानकारी को पढ़ना और समझना आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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Click Here to Read in English: Solar Eclipse 2026 (LINK)
सूर्य ग्रहण सदियों से मानव जाति के लिए कौतूहल, रहस्य और श्रद्धा का विषय रहा है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की विशेष स्थिति में बनने वाला खगोलीय संरेखण है, वहीं आध्यात्मिक व धार्मिक दृष्टि से यह एक ऐसा क्षण है जब प्रकृति की ऊर्जा अत्यधिक संवेदनशील होकर मानव जीवन, विचारों और प्रकृति पर गहरे प्रभाव डालती है।
इसी अद्भुत मिश्रण को समझाने के उद्देश्य से एस्ट्रोसेज एआई आपके लिए लेकर आया है "सूर्य ग्रहण 2026 (Surya Grahan 2026)" पर एक विशेष लेख—जो आपको न केवल वैज्ञानिक जानकारी देगा, बल्कि यह भी बताएगा कि इस घटना का मानव जीवन, मन, शरीर और अध्यात्म पर क्या असर पड़ता है।
हिंदू धर्म में सूर्य को केवल प्रकाश का स्रोत ही नहीं, बल्कि जीवन, आत्मा, शक्ति, ऊर्जा और चेतना का प्रतीक माना गया है। सूर्य ग्रहण के समय जब चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को कुछ समय के लिए रोक देता है, तो पृथ्वी पर एक अजीब-सी ऊर्जा, शांति और अचानक परिवर्तन का वातावरण निर्मित हो जाता है।
ग्रहण लगने पर देखने में आता है कि—
दिन में भी संध्याकाल या सांझ जैसा वातावरण बनने लगता है।
पक्षी अपने घोंसलों में लौट जाते हैं।
पशु-पक्षियों में बेचैनी दिखाई देती है।
वातावरण की तरंगें असामान्य रूप से धीमी व स्थिर हो जाती हैं।
प्रकृति कुछ क्षणों के लिए असामान्य, परंतु दिव्य-सी लगने लगती है।
यही कारण है कि सूर्य ग्रहण को ग्रह, प्रकृति और ऊर्जा के गहरे परिवर्तन का समय माना जाता है।
सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से एक अद्भुत दृश्य है। दुनिया भर के लोग इस क्षण को कैमरों, दूरबीनों, और विशेष फिल्टर्स के माध्यम से कैद करने का प्रयास करते हैं।
परंतु ध्यान रखें:
इससे रेटिना को स्थायी क्षति हो सकती है और आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
सर्टिफाइड सोलर फिल्टर
विशेष ग्रहण चश्मे
पिनहोल प्रोजेक्शन
वैज्ञानिक सोलर टेलीस्कोप
इनका उपयोग करके आप सूर्य ग्रहण 2026 को सुरक्षित रूप से देख सकते हैं और इसका वैज्ञानिक, शैक्षिक व फोटोग्राफी अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता।कारण यह है कि इस समय सूर्य—जो कि आत्मा, जीवन, पिता, नेतृत्व, राजनीति और इच्छा शक्ति का प्रतीक है—राहु के प्रभाव में आ जाता है।
इस काल में:
वातावरण की ऊर्जा असंतुलित होती है।
शरीर और मन पर सूक्ष्म नकारात्मक तरंगों का प्रभाव बढ़ता है।
शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता होती है।
लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि हर सूर्य ग्रहण बुरा नहीं होता है ।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार कई ग्रहण:
कुछ राशियों के लिए सफलता के नए मार्ग खोलते हैं।
आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक उन्नति का कारण बनते हैं।
कर्मफल की गति को तेज करते हैं।
जीवन में नए अवसर उत्पन्न करते हैं।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव मुख्यतः उस राशि और नक्षत्र पर निर्भर करता है , जिसमें यह घटित हो रहा हो।
सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं? – अत्यंत रोचक विवरण
सूर्य ग्रहण विविध रूपों में दिखाई देता है। यह खगोलीय स्थिति चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य की दूरी व स्थिति पर निर्भर करती है।
यह तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है।
पृथ्वी पर पूरी छाया पड़ती है।
कुछ समय के लिए पूर्ण अंधकार जैसा अनुभव होता है।
तारे भी दिखाई देने लगते हैं।
यह अत्यंत रोमांचक और दुर्लभ दृश्य होता है।
इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ढक पाता है।
सूर्य का एक भाग छिपा रहता है।
पृथ्वी पर हल्की छाया पड़ती है।
प्रकाश कम होता है पर पूर्ण अंधकार नहीं होता।
यह सामान्यतः अधिकतर क्षेत्रों में देखा जाने वाला ग्रहण है।
जब चंद्रमा पृथ्वी से कुछ अधिक दूरी पर होता है, तो उसका आकार छोटा प्रतीत होता है। इस स्थिति में:
चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है।
किनारों से सूर्य की एक चमकीली अंगूठी या रिंग बनती है।
इसे “रिंग ऑफ फायर” भी कहा जाता है।
यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
यह सूर्य ग्रहण का सबसे दुर्लभ प्रकार है।
शुरुआत वलयाकार ग्रहण से होती है।
मध्य में पूर्ण ग्रहण होता है।
अंत में पुनः वलयाकार ग्रहण के रूप में दिखाई देता है।
दुनिया के कुल सूर्य ग्रहणों में से केवल 5% ही इस श्रेणी में आते हैं।
सूर्य ग्रहण 2026 केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि विज्ञान, अध्यात्म और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अद्भुत संयोजन है।यह हमारे जीवन, विचारों, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
इसलिए सूर्य ग्रहण 2026 की सटीक, विस्तृत और विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है—और एस्ट्रोसेज आपको यही जानकारी सरल, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय शैली में प्रदान कर रहा है।
बृहत् कुंडली: जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय
यदि हम वर्ष 2026 में लगने वाले सूर्य ग्रहण 2026 (Surya Grahan 2026) की बात करें तो इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं। पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी 2026 को और दूसरा सूर्य ग्रहण 12 अगस्त 2026 को लगेगा। दोनों ही सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देंगे। अब आइए इन दोनों सूर्य ग्रहण की विस्तार से जानकारी लेते हैं:-
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पहला सूर्य ग्रहण 2026 - कंकण सूर्यग्रहण |
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तिथि |
दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय |
दृश्यता का क्षेत्र |
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फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या |
मंगलवार 17 फरवरी 2026 |
दोपहर 15:26 बजे से |
रात्रि 19:57 बजे तक |
साउथ अफ्रीका, बोत्सवाना, जांबिया, जिंबाब्वे, मोजांबिक, दक्षिण अफ्रीका के दक्षिणी देशों, नामीबिया, मॉरीशस, तंजानिया, दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी देशों चिली और अर्जेंटीना, आदि और अंटार्कटिका (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया ग्रहण 2026 (Grahan 2026) का समय भारतीय समय के अनुसार है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं होगा इसलिए भारत में सूर्य ग्रहण का कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल प्रभावी होगा।
वर्ष 2026 का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी 2026 को मंगलवार के दिन लगेगा। यह एक कंकण सूर्यग्रहण होगा। यह ग्रहण 2026 (Grahan 2026) कुंभ राशि और धनिष्ठा नक्षत्र में घटित होगा।
ग्रहण 2026 (LINK) के बारे में यहां विस्तार से जानें।
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दूसरा सूर्य ग्रहण 2026 - खग्रास सूर्यग्रहण |
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तिथि |
दिन तथा दिनांक |
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय |
सूर्य ग्रहण समाप्त समय |
दृश्यता का क्षेत्र |
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श्रावण मास कृष्ण पक्ष अमावस्या |
बुधवार 12 अगस्त 2026 |
रात्रि काल 21:04 बजे से |
मध्यरात्रि उपरांत 4:25 बजे तक |
अधिकांश यूरोपीय देशों कनाडा, रूस का उत्तर पूर्वी क्षेत्र, उत्तर पश्चिम अफ्रीका के देश। खग्रास रूप से ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आर्कटिक उत्तरी स्पेन, अटलांटिक महासागर, पुर्तगाल के सुधार उत्तर पूर्वी क्षेत्र में, खंड ग्रास के रूप में फ्रांस, ब्रिटेन, यूरोप के अधिकतर देशों और इटली में (भारत में दृश्यमान नहीं) |
नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया ग्रहण 2026 (Grahan 2026) का समय भारतीय समय के अनुसार है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं होगा इसलिए भारत में सूर्य ग्रहण का कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं होगा और ना ही इसका सूतक काल प्रभावी होगा।
साल 2026 का दूसरा सूर्य ग्रहण एक कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा जो कि 12 अगस्त 2026 बुधवार के दिन लगेगा। यह सूर्य ग्रहण कर्क राशि और अश्लेषा नक्षत्र में लगेगा।
— एक ऐसा समय जब ब्रह्मांड स्वयं ऊर्जा बदलता है, और मनुष्य को भी अपनी चेतना बदलने का अवसर मिलता है —
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) सदियों से मानव जीवन का एक अत्यंत प्रभावशाली चरण माना गया है। हिंदू शास्त्र कहें या आधुनिक विज्ञान—दोनों ही यह मानते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान ऊर्जा-तरंगों (energy frequencies) में बड़ा परिवर्तन होता है। इसी कारण हमारे पूर्वजों ने इसे साधना, ध्यान और शुद्धि का समय बताया।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो ग्रहण के दौरान:
सूर्य का प्रकाश कम हो जाता है , जिससे पृथ्वी पर ऊर्जा संतुलन बदलता है।
कॉस्मिक रेडिएशन सक्रिय हो जाती हैं, जो कमजोर शरीर, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बीमार व्यक्तियों को प्रभावित कर सकते हैं।
तापमान में हल्का उतार-चढ़ाव होता है, जिससे जैविक प्रक्रियाएं भी प्रभावित होती हैं।
आध्यात्मिक रूप से यह समय माना जाता है:
नकारात्मक ऊर्जा के उच्च स्तर का
मंत्र-साधना की तेजी से सिद्धि का
आत्मनिरीक्षण (introspection) करने का
संकल्प लेने और मनोकामना पूरी करने का
सूतक काल वह अवधि है जिसमें मन, शरीर और वातावरण पर ग्रहण की ऊर्जा का प्रभाव शुरू हो जाता है।
सूतक कब लगता है?
सूर्य ग्रहण के लगभग 12 घंटे पहले आरंभ होता है।
यह केवल वहां मान्य होता है जहां ग्रहण प्रत्यक्ष दिखाई देता है।
यदि ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देता, तो यहां सूतक प्रभावी नहीं माना जाएगा, क्योंकि ऊर्जा-परिवर्तन सीधा दृश्य संपर्क के साथ ही प्रभावी होता है।
सूतक काल का संकेत है:
आहार में संयम
व्यवहार में शुद्धता
मन में नियंत्रण
वातावरण में पवित्रता
ग्रहण के दौरान UV और अन्य रेडिएशन सामान्य समय से अधिक तीव्र होते हैं, जो आंखों के लिए हानिकारक हैं।
ग्रहण के समय मन अधिक संवेदनशील होता है। इसलिए:
मन को शांति दें
धीमी सांसें लें
अगरबत्ती/दीपक जलाकर सकारात्मक कंपन बनाएं
यह मंत्र विशेष रूप से ग्रहण में अत्यंत शक्तिशाली माना गया है: “ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।”
भारी भोजन
झगड़ा, तनाव, नकारात्मकता
बाहर घूमना
शारीरिक या मानसिक थकावट
सूतक में रोक इसलिए है ताकि मनुष्य बाहरी गतिविधियों में उलझने के बजाय भीतर की ऊर्जा पर ध्यान दे सके।
विवाह, गृह-प्रवेश, मुंडन, नए काम की शुरुआत
भोजन पकाना, खाना (यदि खाएं तो तुलसीपत्र मिले भोजन का ही)
बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना, तेल मालिश
मंदिर जाना, मूर्ति स्पर्श
अनावश्यक यात्रा
दूषित, बासी या भारी भोजन
सोना (दिन की नींद सुस्ती और ऊर्जा अवरोध बढ़ाती है)
यह समय आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। शास्त्र कहते हैं— “ग्रहण के समय एक जप का फल हजारों गुना मिलता है।”
ग्रहण के समय आपकी अंतःचेतना तेज़ होती है, ध्यान गहरा लगता है।
सूर्य मंत्र
महामृत्युंजय
गायत्री मंत्र
या कोई भी इष्ट मंत्र
ग्रहण के बाद दान करने से पाप नाश और पुण्य में वृद्धि होती है।
सूतक समाप्त होते ही निम्नलिखित कार्य करने चाहिए:
स्नान
गंगाजल का छिड़काव
पूजा स्थान की सफाई
दीप प्रज्वलन
इससे भोजन, ग्रहण की नकारात्मक तरंगों से बच जाता है।
घर से बाहर न निकलें
सिलाई-कढ़ाई, चाकू-कैंची, काटने-छीलने वाले काम न करें
ग्रहण के दौरान भोजन न करें
टीवी पर भी ग्रहण देखने से बचें
भारी काम, झुकना, तनाव, ऊंची आवाज़ें
मंत्र जप
भजन सुनना
धार्मिक पुस्तक पढ़ना
शांत संगीत
हल्की सांसें लेकर रिलैक्सेशन
सूतक समाप्त होते ही स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करना
इससे बच्चे के मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यह समय आपकी चेतना को ऊंचा उठाने का है।यदि आप सिर्फ सावधानियां ही नहीं बल्कि साधना भी करेंगे, तो ग्रहण—अशुभ प्रभाव नहीं देगा बल्कि अद्भुत शुभ परिणाम भी दे सकता है।
ग्रहण का संदेश सरल है— “ब्रह्मांड रुकता नहीं… ऊर्जा बदलती है। और जिस दिन ऊर्जा बदलती है, उसी दिन मनुष्य भी स्वयं को बदल सकता है।”
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1. सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए?
विवाह, गृह-प्रवेश, मुंडन, नए काम की शुरुआत आदि।
2. सूतक कब लगता है?
सूर्य ग्रहण के लगभग 12 घंटे पहले आरंभ होता है।
3. 2026 में पहला सूर्य ग्रहण कब लगेगा?
मंगलवार 17 फरवरी 2026 को।