वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर एक विशेष और अद्वितीय प्रस्तुति है, जो आपको वर्ष 2026 में ग्रहों के वक्री और मार्गी होने की पूरी जानकारी प्रदान करता है। इस कैलेंडर में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कौन सा ग्रह कब वक्री होगा और कब मार्गी होगा और वक्री अवस्था में वह किस राशि में मौजूद होगा। हमारा उद्देश्य यह है कि आपको 2026 में ग्रहों की चाल से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी समय रहते मिलती रहे, ताकि आप जीवन से संबंधित निर्णय सही समय पर ले सकें। इसलिए इस कैलेंडर के माध्यम से हम आपको यह बताएंगे कि ग्रह किस तारीख को वक्री होंगे, किस राशि में वक्री होंगे, कब तक वक्री रहेंगे, किस दिन से वे मार्गी होंगे। यह सारी जानकारी आपको वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर लेख में आसानी से मिलेगी, ताकि आप पहले से सचेत रहकर ज्योतिषीय दृष्टि से अपनी योजना बना सकें।
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वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल का विशेष महत्व होता है। कुछ ग्रह धीमी गति में चलते हैं, तो कुछ की चाल बहुत तेज होती है। कभी-कभी कोई ग्रह बहुत तेज गति से आगे बढ़ते हैं तो कभी ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वह स्थिर हो गया है। ग्रह न केवल मार्गी व वक्री दिशा चलते हैं बल्कि उदय और अस्त भी होते हैं। हर वर्ष कुछ विशेष समय पर ग्रह वक्री अवस्था में प्रवेश करते हैं और यह स्थिति ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इससे ग्रह की शक्ति बढ़ती है, जिससे उसके परिणाम देने की क्षमता में सुधार होता है। जन्म कुंडली में अपने चरित्र और स्थिति के आधार पर ग्रह या तो मजबूत सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम देना शुरू कर देते हैं इसलिए यह निर्धारित करना आवश्यक है कि कोई ग्रह वक्री अवस्था में कब प्रवेश करेगा।
Read Here In English: Planet Retrograde 2026 Calendar
वास्तव में वक्री शब्द का अर्थ होता है टेढ़ा या घुमावदार। हर ग्रह निरंतर सूर्य की परिक्रमा करता है लेकिन जब हम पृथ्वी से उनकी गति को देखते हैं, को कभी-कभी वे हमसे बहुत दूर जाते हुए प्रतीत होते हैं और कभी-कभी बहुत पास आ जाते हैं। जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बहुत निकट आ जाता है, तो वह हमें उल्टी दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है। इस दृष्टिगत उल्टी चाल को ही ज्योतिष में वक्री गति कहा जाता है। ध्यान रहे कोई भी ग्रह वास्तव में उल्टा नहीं चलता यह केवल पृथ्वी से देखने पर ऐसा दिखता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे दो ट्रेनें एक ही दिशा में चल रही हों लेकिन जब तेज ट्रेन धीमी ट्रेन को पार करती है तो धीमी ट्रेन पीछे जाती हुई प्रतीत होती है। जबकि ऐसा वास्तव में नहीं होता है।
जब कोई ग्रह सीधी चाल से वक्री चाल में और फिर वापस मार्गी चाल में जाता है, तो उसके प्रभाव में बड़ा बदलाव आता है। ग्रह की यह स्थिति तय करती है कि वह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम देगा और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह ग्रह जन्म कुंडली में किस भाव में और कैसे स्थित है। वक्री स्थिति में ग्रह की फलदायक शक्ति बढ़ जाती है, जिससे वह अपने परिणाम अधिक प्रभावी ढंग से देने लगते हैं, चाहे वे शुभ हों या अशुभ। राहु और केतु ये दोनों छाया ग्रह हमेशा वक्री चाल में रहते हैं ये कभी मार्गी नहीं होते। सूर्य और चंद्रमा ये दोनों हमेशा मार्गी अवस्था में रहते हैं ये कभी वक्री नहीं होते। मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि ये पांच ग्रह समय-समय पर वक्री और मार्गी होते रहते हैं और इसी वजह से ये मानव जीवन पर लगातार असर डालते रहते हैं।
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ग्रह |
वक्री गति प्रारंभ |
वक्री गति समाप्त |
इस राशि से |
इस राशि में |
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बृहस्पति |
13 दिसंबर 2026 |
13 अप्रैल 2026 |
कर्क राशि |
सिंह राशि |
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शनि |
27 जुलाई 2026 |
मीन राशि |
मेष राशि |
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बुध |
26 फरवरी 2026 |
21 मार्च |
कुंभ राशि |
मीन राशि |
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29 जून 2026 |
24 जुलाई 2026 |
कर्क राशि |
मिथुन राशि |
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24 अक्टूबर 2026 |
13 नवंबर 2026 |
तुला राशि |
तुला राशि |
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शुक्र |
03 अक्टूबर 2026 |
13 नवंबर 2026 |
वृश्चिक राशि |
तुला राशि |
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वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और इसे देवताओं का गुरु कहा जाता है। यह ग्रह जीवन में समृद्धि वृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है और इसका प्रभाव अमृत समान माना गया है। जब बृहस्पति जन्म कुंडली में शुभ स्थान पर होता है और सकारात्मक दृष्टि देता है, तो यह व्यक्ति को धन संपत्ति वैवाहिक सुख संतान सुख सौभाग्य सौभाग्य धार्मिक प्रवृत्ति जैसे श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। लेकिन जब बृहस्पति अशुभ स्थिति में होता है, तो यह मोटापा दूसरों से संबंधों में खटास धार्मिक विश्वासों से विचलन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
बृहस्पति को ज्ञान, नैतिकता, शिक्षा, बच्चों, आध्यात्मिक विकास और धन-संपत्ति देने वाला ग्रह माना जाता है। जब यह ग्रह कुंडली में शुभ स्थान पर होता है, तो जातक दयालु, उदार और दूसरों की मदद को तत्पर होता है, उच्च शिक्षा हेतु विदेश जा सकता है कानून और फाइनेंस के क्षेत्र में सफलता पाता है बड़ा व्यापारी या नेतृत्वकर्ता बन सकता है, ईश्वर में आस्था रखता है और धर्मनिष्ठ होता है।
वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार, यदि बृहस्पति वक्री होते समय कुंडली में शुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को आध्यात्मिक शिखर तक पहुंचा सकता है। ऐसे लोग मोटिवेशनल स्पीकर, ज्योतिषी, आध्यात्मिक गुरु बन सकते हैं। लेकिन यदि बृहस्पति कुंडली में अशुभ स्थान पर हो, तो व्यक्ति पाखंडी स्वभाव को हो सकता है और दूसरों की भावनाओं को छल कर सकता है। हालांकि सामान्यत: बृहस्पति का वक्री काल जीवन में सकारात्मकता, आत्मबल और संतोष लाता है। छात्रों के लिए विशेष फल लाता है। यदि बृहस्पति शुभ स्थान पर वक्री हो, तो यह छात्रों की एकाग्रता बढ़ता है, मार्केटिंग और सेल्स जैसे क्षेत्रों में सफलता दिलाता है। हालांकि इस समय अनैतिक कार्यों से बचने की आवश्यकता हो सकती है अन्यथा कानून परेशानी हो सकती है।
उपाय
घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
भगवान विष्णु की भक्ति में मन लगाएं।
प्रतिदिन 1 माला (108 बार) "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
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शनि ग्रह को कर्म का स्वामी कहा जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के व्यवहार, परिश्रम और प्रोफेशनल जीवन को नियंत्रित करता है। वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार, शनि की स्थिति यह तय करती है कि व्यक्ति को किस प्रकार का काम मिलेगा, कब मिलेगा और उसमें उसकी भूमिका क्या होगी। शनि सेवा, अनुशासन, ईमानदारी, भरोसेमंद व्यवहार का प्रतीक है। वैदिक ज्योतिष में शनि को एक मजबूत ग्रह माना जाता है और यह सबसे धीमी गति वाला ग्रह माना गया है, जिसे मंद या शनैश्चर भी कहा जाता है। एक राशि में शनि को ढाई वर्ष लगते हैं। इसकी स्थितियां जैसे साढ़े साती और ढैया जीवन में गहरा प्रभाव डालती हैं। शनि न तो भेदभाव करता है न पक्षपात, यह केवल कर्म के अनुसार फल देता है, अच्छा या बुरा। शनि जीवन में सत्य, अनुशासन और न्याय का पाठ पढ़ता है।
यदि शनि कुंडली में शुभ हो, तो जातक कठोर, परिश्रम करता है, सफलता की सीढ़ी चढ़ता है, गरीबी से अमीरी तक पहुंच सकता है राजनीति और समाज में उच्च स्थान प्राप्त करता है और उम्र के साथ निरंतर प्रगति करता है। वहीं अशुभ स्थिति में शनि हो, तो व्यक्ति निराश, थका हुआ और मंद गति से आगे बढ़ता है, जातक को बहुत प्रयासों के बाद भी कार्यों में सफलती नहीं मिल पाती, मानसिक रूप से दबाव महसूस होता है लेकिन, यदि व्यक्ति ईमानदार और मेहनती बना रहे, तो शनि भले ही देर करें लेकिन, फल अवश्य देता है।
वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार, शनि वक्री का में व्यक्ति के जीवन पर मिले-जुले प्रभाव पड़ सकते हैं। यह शनि की स्थिति और दशा-महादशा पर निर्भर करता है। इसलिए इस समय सत्कर्म करने, अनुशासित रहने और सच्चाई पर चलने की सलाह दी जाती है।
उपाय
गरीबों, विकलांगों और जरूरतमंदों की सेवा करें।
शनिदेव की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं
पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं।
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वैदिक ज्योतिष में मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है। यद्यपि यह एक क्रूर प्रकृति का ग्रह माना जाता है, लेकिन यह अत्यंत शक्तिशाली और शीघ्र फल देने वाला ग्रह भी है। जब मंगल कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में अशुभ स्थिति में होता है, तो जातक मांगलिक दोष से ग्रस्त हो जाता है, जिससे वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। लेकिन यदि मंगल शुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को सरकारी पद, वर्दीधारी सेवाओं में अवसर और कार्यस्थल पर उच्च पद प्रदान करता है।
इसके साथ ही, व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है। मंगल को अत्यंत सक्रिय ग्रह माना जाता है, जो मनुष्य को ऊर्जा और साहस प्रदान करता है। जब मंगल कुंडली में बलवान होता है, व्यक्ति निर्भय, साहसी और आत्मविश्वासी बनता है।
वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार,यदि मंगल वक्री होकर शुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को पेशेवर जीवन में सफलता देता है, लेकिन इस दौरान कड़ी मेहनत और अधिक प्रयासों में आवश्यकता होती है। ऐसे लोग अपने परिश्रम और नेतृत्व के कारण बड़े पदों तक पहुंच सकते है।
हालांकि यदि मंगल कुंडली में अशुभ स्थिति में हो, तो 2026 का वक्री काल उन्हें चोट लगने, सर्जरी की आवश्यकता, कानूनी उलझनों या पुलिस से संबंधित समस्याओं में डाल सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति गुस्से, अवसाद और मानसिक बेचैनी का अनुभव कर सकते है। इस दौरान उन्हें बुद्धिमान लोगों की सलाह लेने की आवश्यकता हो सकती है। विशेष रूप से अपने भाईयों की सलाह का पालन लाभकारी रहेगा।
यदि मंगल अशुभ स्थिति में होता तो, व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर बहस और क्रोध कर सकता है। भाई-बहनों के साथ संबंध भी बिगज सकते हैं। साथ ही, नंगल के नकारात्मक प्रभाव के कारण रक्त से संबंधित रोग, जैसे ब्लड प्रेशर या चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है चूंकि मंगल भूमिका कारक भी है इसलिए शुभ स्थिति में यह भूमि-संपत्ति दिला सकता है। मंगल साहस और शक्ति का देवता भी माना जाता है और यह रक्त प्रवाह तथा नेतृत्व क्षमता को नियंत्रित करता है।
उपाय:
मंगल के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए हर मंगलवार को भगवान हनुमान को केले अर्पित करें और बेसन के लड्डू बांटें।
इसके अतिरिक्त, अनार के पौधे लगाएं और हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाएं।
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वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि इसे सामान्यतः एक सौम्य और शुभ ग्रह माना जाता है, फिर भी इसका प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक इस बात पर निर्भर करता है कि यह जन्म कुंडली के किस भाव में स्थित है और अन्य ग्रहों से यह कैसे प्रभावित हो रहा है। बुध संवाद और संचार का कारक है और इसे दूत ग्रह भी कहा जाता है। व्यक्ति की संवाद शैली में इतनी शक्ति होती है कि वह दूसरों पर अच्छा प्रभाव डाल सकती है या दुश्मन भी बना सकती है। यह सब बुध की स्थिति पर निर्भर करता है। बुध व्यापार, शिक्षा और बुद्धिमत्ता का भी कारक है।
जिनकी कुंडली में बुध मजबूत होता है, वे तेज दिमाग वाले होते हैं, हास्यप्रिय होते हैं और किसी भी कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे लोग अपनी संचार कला से दूसरों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। हालांकि, बुध वक्री होने पर इसके प्रभावों में परिवर्तन आ सकता है। यह ग्रह लगभग हर 14 दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, इस कारण यह सभी ग्रहों में सबसे तेजी से चलने वाला ग्रह है। इसी तेज गति के कारण बुध वर्ष में लगभग तीन से चार बार वक्री होता है, जबकि अन्य ग्रह केवल एक बार। बुध वक्री काल में व्यक्ति की बातचीत का तरीका अचानक बदल सकता है, उसकी तार्किक सोच में बाधा और चल रहे कार्यों में रुकावटें आ सकती हैं।
वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध शुभ स्थिति में है, उनके तर्क शक्ति ें वृद्धि होगी, वे नए व्यवसाय शुरू कर कर सकते हैं या कानूनी और वाणिज्यिक क्षेत्रों में तरक्की कर सकते हैं। लेकिन जिन लोगों की कुंडली में बुध अशुभ स्थिति में है, उन्हें वक्री काल में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान व्यक्ति को मानसिक तनाव, त्वचा संबंधी रोग, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं या नींद की कमी परेशान कर सकती हैं।
साथ ही, व्यक्ति खुद को उलझन और भ्रम की स्थिति में पा सकता है। इस समय अपनी बोलचाल पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है और तर्कहीन बहसों से बचकर अपने वरिष्ठों से अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए।
उपाय
गाय को हरी मूंग दाल व हरा चारा खिलाएं।
हरे रंग के वस्त्र अधिक पहनें।
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शुक्र ग्रह स्वभाव से एक शुभ ग्रह माना जाता है। यह सौरमंडल का सबसे चमकदार ग्रह है और इसे कभी-कभी प्रभात तारा भी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में होता है, तो यह प्रेम संबंधों, आनंद, विलासिता और भौतिक सुख-सुविधाओं का संकेतक बनता है। लेकिन यदि शुक्र कुंडली में अशुभ या कमजोर स्थिति में हो, तो व्यक्ति को प्रेम संबंधों में धोखा या यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शुक्र लगभग 23 दिनों में एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है इसलिए यह सूर्य का चक्कर लगाने वाला दूसरा सबसे तेज ग्रह है। शुक्र को सौंदर्य का प्रतीक भी माना जाता है। देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुक्र ग्रह की पूजा की जाती है।
शुक्र एक शुभ ग्रह होते हुए भी जब वक्री अवस्था में जाता है, तो व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में कलह और जीवनसाथी के साथ संबंधों में खटास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यदि शुक्र वक्री होकर शुभ स्थिति में हो, तो यह नए प्रेम संबंधों की शुरुआत का कारण भी बन सकता है, लेकिन साथ ही, व्यक्तिगत जीवन में परेशानियां भी बढ़ सकती है। अविवाहित लोगों के लिए यह समय प्रेम जीवन की शुरुआत या विवाह के योग लेकर आ सकता है। व्यक्ति इस समय विलासिता पर खुलकर खर्च कर सकता है, जैसे कि महंगे कपड़े पहनना, ब्रांडेड वस्तुएं खरीदना, नई तकनीक वाले मोबाइल, गैजेट्स लेना आदि।
वक्री ग्रह 2026 कैलेंडर के अनुसार, वर्ष भर शुक्र वक्री के समय लोगों के जीवन में मिले-दुले प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। जिनकी कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में है, उन्हें थोड़े ही प्रयास के बाद लाभ अवश्य मिलेगा। लेकिन जिनकी कुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में है, उन्हें इस समय संबंधों में तनाव, प्रेम में धोखा या भावनात्मक दूरी का सामना करना पड़ सकता है।
उपाय
प्रतिदिन 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें।
शुक्रवार का व्रत रखें।
सफेद या हल्का गुलाबी रंग के वस्त्र अधिक पहनें।
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1. कौन से ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं?
राहु-केतु हमेशा वक्री रहते हैं
2. कौन सा ग्रह सबसे अधिक बार वक्री होता है?
बुध
3. कौन सा ग्रह सबसे धीमा ग्रह है?
शनि