बुध वक्री 2019

ग्रहों की स्थिति, स्वरूप और ग्रहों की युति का वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी व्यक्ति के जन्म कुंडली में यदि बुध पर अशुभ ग्रहों का साया होता है या उस व्यक्ति के लिए वह अशुभ होगा और यदि बुध पर शुभ ग्रहों का साया रहता है तो उस वक़्त बुध का प्रभाव भी शुभ ही होता है। किसी भी व्यक्ति की भाषा, बुद्धि, त्वचा और मानसिक शक्ति का कारक बुद्ध को ही माना जाता है। कहने का अर्थ यह है की यदि किसी का बुध शुभ फलदायी होगा तो इसका मतलब है की उसके जीवन पर बुध से जुड़े इन सभी कारकों पर उसका सकारात्मक प्रभाव होगा और बुद्ध के अशुभ फलदायी होने पर उसका प्रभाव नकारात्मक होगा। हालाँकि, बुध इसके अलावा अन्य कारकों के लिए भी भी ज़िम्मेदार होता है। जैसे कि अगर व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह व्यवसाय का भी मुख्य कारक होता है। सौर मंडल के सभी नौ ग्रह में विशेष रूप से बुध, शुक्र, शनि और गुरु समय-समय पर वक्री अवस्था में गोचर करते हैं। वहीं राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो विशेष रूप से हमेशा वक्री ही रहते हैं। जबकि सूर्य और चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते हैं।

बुध ग्रह

सभी नवग्रहों में से बुध की गति सबसे तेज़ है। बुध को ज्ञान, बुद्धि और विवेक का कारक माना जाता है। यह सूर्य के सबसे ज्यादा करीब है। चूँकि बुध को एक संदेशवाहक के रूप में भी जाना जाता है, अर्थात बुध व्यक्ति के भाषा संचार को भी प्रदर्शित करता है। बुध का प्रभाव अगर किसी व्यक्ति पर हो तो उसकी रुचि ज्ञान अर्जन की तरफ बढ़ती है और इससे व्यक्ति अपने भविष्य को लेकर दूरगामी सोच रखता है। बुध सभी 12 राशियों में से कन्या राशि में उदित होता है और मीन राशि में अस्त होता है। इसके अलावा बुध राशियों में कन्या और मिथुन राशि का जबकि वारों में बुधवार का स्वामी होता है।

बुध की वक्री

बुध की वक्री विशेष रूप से वह खगोलीय घटना है जब सौर मंडल में बुध ग्रह आगे की ओर न जाकर पीछे की ओर चलता दिखाई देता है। बुध प्रतिवर्ष तीन से चार बार वक्री चाल चलता है। ऐसा माना जाता है की बुध की वक्री पांच अलग समय या कालों में भी होती है।

बुध वक्री 2019 की दिनांक और समय

प्रारंभ समय समापन समापन समय अवधी
5 मार्च, 2019 (मंगलवार) 11:49 28 मार्च, 2019 (बृहस्पतिवार) 07: 29 23 दिन
8 जुलाई, 2019 (सोमवार ) 04:45 01 अगस्त, 2019 (बृहस्पतिवार) 09: 28 25 दिन
31 अक्टूबर, 2019 (बृहस्पतिवार) 09:11 21 नवंबर, 2019 (बृहस्पतिवार 12 :41 21 दिन

नोट : ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली के लिए विधमान है।

बुध वक्री का महत्व

बुध वक्री एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसका हम सभी के जीवन पर काफी गहरा असर पड़ता है। अक्सर लोगों के दिमाग में यह बात आती है की बुध की वक्री चाल उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी। इस बात को विशेष रूप से ध्यान में रखने की आवश्यकता है की सभी वक्री बुरे प्रभाव वाले ही नहीं होते हैं बल्कि इसका हर किसी के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिल सकता है।

बुध की वक्री चाल का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसका निर्धारण बुध ग्रह का अन्य ग्रहों के साथ संबंध और दिशा पर भी किया जा सकता है। बुध का स्वभाव उसके साथ रहने वाले ग्रहों के अनुसार भी बदलता है। वक्री के दौरान बुध काफी मजबूत स्थिति में होता है और पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है। इसलिए इसका प्रभाव पहले से कई गुणा बढ़ जाता है। बुध वक्री के दौरान व्यक्ति के बोलने के कौशल, सोचने की क्षमता और बौद्धिक स्तर में वृद्धि होती है। किसी व्यक्ति के जीवन पर बुध वक्री का प्रभाव प्रमुख रूप से उस व्यक्ति की जन्म कुंडली में बुध की स्थिति पर निर्भर करता है।

जन्म कुंडली में बुध वक्री का प्रभाव

बुध वक्री का प्रभाव सभी 12 भावों पर विभिन्न प्रकार से होता है। जहाँ कुछ भावों के लिए यह शुभ फलदायी होगा तो कुछ भावों पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में बुध की वक्री का निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिल सकता है।

पहले भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

प्रथम भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति विवेकीहीन हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति जल्दबाजी में फैसला लेता है जो आगे चलकर उसके लिए घातक साबित होता है। जल्दबाजी में फैसला लेते समय व्यक्ति सोच-विचार कर फैसला नहीं लेता है।

दूसरे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

दूसरे भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति की बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है। ऐसे में व्यक्ति के सोचने की क्षमता में भी वृद्धि होती है जो उन्हें भीड़ से अलग करता है।

तीसरे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

तीसरे भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति दृढ़-निश्चयी होता है और वह साहसी बनता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति कई बार जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में रिस्क लेने से कतराता नहीं है। परिणाम स्वरुप कभी-कभी वह खुद को मुश्किल परिस्थितियों में भी डाल देता है।

चौथे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

चौथे भाव में बुध के वक्री होने से व्यक्ति एक विलासता पूर्ण जीवन व्यतीत करता है। आय के विभिन्न स्रोतों का सृजन होता है जिससे धन लाभ होता है। जिस व्यक्ति के चौथे भाव में बुध वक्री करे तो वह व्यक्ति एक राजशाही जीवन व्यतीत करता है।

पाँचवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

पंचम भाव में बुध की वक्री चाल संतानों में पुत्र जन्म की अपेक्षा कन्या जन्म को बढ़ाता है। अगर किसी स्त्री का जन्म बुध वक्री के दौरान होता है तो वह अपने परिवार के लिए भाग्यशाली होती है और उसके परिवार में ख़ुशियाँ आती हैं।

छठे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

छठे भाव में बुध की वक्री चाल व्यक्ति को नकारात्मक और मानसिक रूप से तनावपूर्ण बनाती है। ऐसे में व्यक्ति की वाणी कड़वी हो जाती है और दूसरों के साथ कठोरता से पेश आते हैं। ऐसे लोग आसानी से चिढ़ जाते हैं और पलक झपकते ही दूसरों के प्रति अपमानजनक शब्द बोलने लगते हैं।

सातवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

बुध की वक्री चाल सातवें भाव में होने से, आकर्षक जीवनसाथी का साथ मिलता है। ऐसे लोगों के जीवनसाथी सुंदरता के पैमाने पर काफी आगे होते हैं।

आठवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

आठवें भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति अध्यात्म, धर्म और दर्शनशास्त्र की तरफ ज्यादा झुकाव महसूस करता है। इससे व्यक्ति के जीवनकाल में भी इजाफ़ा होता है और अचानक ही धन लाभ होने की भी संभावना रहती है।

नौवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

नवम भाव में बुध की वक्री चाल, व्यक्ति को विद्वान् बनाती है। व्यक्ति असाधारण तर्क कौशल से संपन्न होता है। ऐसे लोग विशेष रूप से डॉक्टर या वैज्ञानिक ही बनते हैं।

दशवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

बुध की वक्री चाल दशवें भाव में होने से व्यक्ति को किसी पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है। ऐसे लोगों को उनके पूर्वजों का ख़ासा लाभ मिलता है और माता-पिता उनके जीवन को सफल बनाने में विशेष योगदान देते हैं। वह अपने पूर्वजों के कड़े परिश्रम की वजह से कभी भी गरीबी का मुँह नहीं देखते हैं।

ग्यारहवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

अगर किसी व्यक्ति के ग्यारहवें भाव में बुध की वक्री होती है तो उनका जीवन दीर्घायु होता है और जीवन में खुशियों का संचय होता है। ऐसे व्यक्ति एक सुखी जीवन जीते हैं और जिंदगी के हर पल का आनंद उठाते हैं। उनकी उम्र भी लंबी होती है।

बारहवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव

बारहवें भाव में बुध वक्री होने से, व्यक्ति जिंदगी की सभी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने से नहीं घबराता है। ऐसे लोग अपने दुश्मन के सामने कभी झुकते नहीं हैं। इसके अलावा उनका झुकाव अध्यात्म और धर्म-कर्म की ओर होता है।

बुध की वक्री का राशियों पर प्रभाव

राशि चक्र को चार प्रकार के चिन्हों में विभाजित किया गया है। अग्नि (मेष, सिंह और धनु), पृथ्वी (वृषभ, कन्या और मकर), वायु (मिथुन, तुला और कुंभ ) और पानी (कर्क, वृश्चिक और मीन) । बुध की वक्री चाल का इन सभी चिन्हों पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या नीचे की गयी है।

अग्नि तत्व की राशियों पर बुध की वक्री चाल का प्रभाव

अगर अग्नि तत्व की राशि में बुध वक्री होता है तो, इससे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बदलाव देखे जा सकते हैं। अग्नि चिन्ह के अंतर्गत आने वाले लोगों का झुकाव तकनीकी और रचनात्मक कार्यों की तरफ ज्यादा होता है।

पृथ्वी तत्व की राशियों पर बुध की वक्री चाल का प्रभाव

बुध की वक्री चाल पृथ्वी तत्व की राशि वाले लोगों की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। हालाँकि, यह जीवन के प्रति एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करता है।

वायु तत्व की राशियों पर बुध की वक्री चाल का प्रभाव

वायु तत्व की राशि के जातकों में बुध वक्री का प्रभाव उनकी संचार करने की क्षमता पर पड़ता है। बुध वक्री के दौरान जातक ज्यादा सामाजिक और बातूनी हो जाते हैं।

जल तत्व की राशियों पर बुध की वक्री चाल का प्रभाव

बुध की वक्री चाल से जल तत्व की राशियों के जातक अधिक भावुक हो जाते हैं।

बुध वक्री के दौरान क्या करें और क्या ना करें :

क्या करें

क्या ना करें

ऊपर दिए नियमों का पालन करें और इस खगोलीय घटना के नकारात्मक प्रभावों से दूर रहे !

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