आरती : हिन्दू देवी-देवताओं की आरतियों का संग्रह
सुबह आम तौर पर हिन्दू परिवारों में देवी-देवताओं की आरती सुनाई दे जाती है। कई छोटे-बड़े शुभ अवसरों पर भी कई घरों के लोग अपने परिवार के साथ मिलकर अपने आराध्य यानी इष्ट देवी-देवताओं की आरती करते हैं। जैसे दीपावली के अवसर पर लोग माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की आरती, नवरात्री पर दुर्गा माता की आरती, जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की आरती और शिवरात्रि पर भगवान शिव की आरती करते हैं। ऐसे में यदि आप भी चाहते हैं कि हर अवसर या शुभ पर्व के अनुसार सभी देवी-देवताओं की आरती का संग्रह आपके पास हो तो हमारा ये लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होने वाला है। क्योंकि हमारे इस लेख में आगे आपको हम कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिससे आप समस्त देवी-देवताओं की संपूर्ण आरती संग्रह हिंदी में बेहद सरलता के साथ पढ़ सकते हैं।
आरती का महत्व
आरती जिसे सुनकर या स्वयं गाकर श्रद्धालु या भक्तगण भगवान से प्रार्थना करते हैं और खुद को धन्य समझते हैं। ये किसी भी भगवान या अपने आराध्य इष्ट देवी-देवताओं की स्तुति करने हेतु उनकी उपासना की एक सरल लेकिन बेहद कारगर विधि है। आरती करने के दौरान व्यक्ति आरती गाने के साथ-साथ धूप दीप दिखाते हुए एक विशेष विधि अनुसार भगवान की आराधना करता है। इसका महत्व इसी से देखा जा सकता है कि हिन्दुओं की श्रद्धा का सबसे अहम प्रतीक माने जाने वाले हिन्दू मंदिरों में भी सुबह उठते ही सबसे पहले आराध्य देव के सामने नतमस्तक होकर उनकी पूजा के बाद आरती किये जाने का विधान है। आरती करने के इस ख़ास क्रम को सांय की पूजा के बाद भी विधि पूर्वक दोहराया जाता है। इसके आलावा हर मंदिर के कपाट भी रात्रि में सोने से पहले आरती के बाद ही बंद किये जाते हैं।
आरती के लाभ
सनातन धर्म के अनुसार न केवल आरती करने वाले पर भगवान की शुभ दृष्टि पड़ती है बल्कि आरती में शामिल होने वाले लोगों पर भी भगवान अपनी कृपा दिखाते हैं। माना जाता है कि आरती में शामिल होने से हर एक भक्त को बहुत पुण्य प्राप्त होता है। मंदिरों में आरती का नज़ारा किसी पर्व से कम नहीं प्रतीत होता है क्योंकि यहाँ पूरे साज-बाज के साथ आरती की जाती है। कई पौराणिक और धार्मिक स्थलों पर तो आरती का नजारा देखते ही बनता है। इन स्थानों में बनारस का घाट, हरिद्वार, प्रयाग, मां वैष्णों देवी का दरबार, महाकाल की आरती, वृंदावन, आदि नाम शानिल हैं। यहां की आरती में बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होने आते हैं। दक्षिण भारत में खासतौर से आरती को दीप आराधना कहा जाता है।
आरती करने की सही विधि
जिस प्रकार भगवान की पूजा-अर्चना के लिए एक विशेष विधि का पालन करना होता है। ठीक उसी प्रकार आरती करते वक़्त भी कुछ मुख्य नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
- आरती करते समय आरती करने वाले और आरती में शामिल होने वाले सभी लोगों का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उन्हें पूरे भक्ति-भाव के साथ आरती करनी चाहिये। तभी आरती का पुण्य प्राप्त होता है।
- आरती करते समय देवी-देवता को तीन बार पुष्प अर्पित किये जाने चाहिए।
- माना जाता है कि भक्त आरती के समय अपने अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे कई राज्यों में पंचारती भी कहा जाता है।
- इसमें भक्त के शरीर के पांचों भाग मस्तिष्क, हृदय, कंधे, हाथ व घुटने यानि साष्टांग एक होकर आरती करते हैं, यही कारण है कि आरती को पंच-प्राणों का प्रतीक भी माना गया है।
एस्ट्रोसेज के इस लेख में आप विभिन्न देवी-देवताओं की आरती का पाठ पढ़ सकते हैं। और इस तरह आप भगवान की संपूर्ण आरती संग्रह अब बेहद आसानी से प्राप्त कर व पढ़ सकते हैं।
Astrological services for accurate answers and better feature
Astrological remedies to get rid of your problems

AstroSage on MobileAll Mobile Apps
AstroSage TVSubscribe
- Horoscope 2023
- राशिफल 2023
- Calendar 2023
- Holidays 2023
- Chinese Horoscope 2023
- Education Horoscope 2023
- Purnima 2023
- Amavasya 2023
- Shubh Muhurat 2023
- Marriage Muhurat 2023
- Chinese Calendar 2023
- Bank Holidays 2023
- राशि भविष्य 2023 - Rashi Bhavishya 2023 Marathi
- ராசி பலன் 2023 - Rasi Palan 2023 Tamil
- వార్షిక రాశి ఫలాలు 2023 - Rasi Phalalu 2023 Telugu
- રાશિફળ 2023 - Rashifad 2023
- ജാതകം 2023 - Jathakam 2023 Malayalam
- ৰাশিফল 2023 - Rashifal 2023 Assamese
- ରାଶିଫଳ 2023 - Rashiphala 2023 Odia
- রাশিফল 2023 - Rashifol 2023 Bengali
- ವಾರ್ಷಿಕ ರಾಶಿ ಭವಿಷ್ಯ 2023 - Rashi Bhavishya 2023 Kannada