कुबेर मंत्र की महिमा और फल
कुबेर मंत्र का जाप करने से इंसान की दरिद्रता दूर हो जाती है। धन के देवता कुबेर एक पौराणिक पात्र हैं जो धन के राजा (धनेश) हैं। उन्हें यक्षों का भी राजा माना जाता है। कुबेर देव विश्रवा मुनि और उनकी पहली पत्नी इलविला के पुत्र थे इसलिए वह रावण, कुंभकर्ण और विभीषण के सौतेले भाई हुए। इसके साथ ही कुबेर को भगवान शिव का परम भक्त भी माना जाता है। भगवान शिव की कृपा से ही उन्हें धनपति की पदवी प्राप्त हुई थी।
कौन हैं कुबेर देव ?
कुबेर देव यक्षों के राजा थे और लोकहित या लोगों की रक्षा करना उनका दायित्व था इसलिए अपने सौतेले भाई रावण से उनके कई मतभेद थे वो चाहते थे कि रावण लोकहित के काम करे लेकिन रावण ने उनकी बातें नहीं मानी। एक बार कुबेर ने एक दूत के जरिये रावण को संदेश भिजवाया कि वो क्रूर कामों को करना बंद कर दे तो रावण ने उस दूत का सर अपनी खड्ग से काट दिया। यह बात जब कुबेर को पता लगी तो उन्हें बहुत बुरा लगा। इसके बाद कुबेर की यक्ष और रावण की राक्षसी सेना के बीच युद्ध हुआ।
यक्ष अपने बल से लड़ रहे थे जबकि राक्षसों ने माया का सहारा लिया। अंत में रावण की विजय हुई और उसने जबरन कुबेर से पुष्पक विमान भी छीन लिया। रावण के अत्याचारों से परेशान होकर जब कुबेर अपने पितामह के पास पहुंचे तो उन्होंने कुबेर को शिवाराधना करने की सलाह दी। इसके बाद भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर कुबेर ने कठोर तप किया था। जिसके फलस्वरुप उन्हें 'धनपाल' की पदवी, पत्नी और पुत्र का लाभ प्राप्त हुआ।
आज हम आपको कुबरे देव के प्रभावशाली मंत्रों के बारे में बताएंगे, लेकिन इन मंत्रों के जाप से पहले आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की जरुरत होती है। कुबेर के मंत्रों के जाप से पहले आहुति देने की प्रक्रिया और अग्नि के सामने ध्यान करने की विधि नीचे बताई गई है।
- इस प्रकार दी जाती है आहुति
दशसंख्य: कुबेरस्य मनुनेध्मैर्वटोद्भवै।।80।।
पुस्तक-मन्त्रमहोदधि:, नवम: तरंग:
अर्थ- धनपति कुबेर के मंत्र का उच्चारण करते हुए हर दिन कुबेर मंत्र से वटवृक्ष की समिधाओं में दश आहुतियां देनी चाहिए।
- होम करते समय अग्नि के समक्ष इस प्रकार करें ध्यान
धनपूर्ण स्वर्णकुम्भं तथा रत्नकरण्डकम्।।82।।
हस्ताभ्यां विप्लुतं खर्वकरपादं च तुन्दिलम्।
वटाधस्ताद्रत्नपीठोपविष्टं सुस्मिताननम्।।83।।
एवं कृत हुतो मन्त्री लक्ष्म्या जयति वित्तपम्।
अथ प्रत्यङ्गिरा वक्ष्ये परकृत्या विमर्दिनीम्।।84।।
पुस्तक-मन्त्रमहोदधि:, नवम: तरंग:
अर्थ- धनपूर्ण स्वर्णकुम्भ तथा रत्न के पात्र को लिये अपने दोनों हाथों से उसे उड़ेल रहे हैं (कुबेर देव के संबंध में)। जिनके पैर और हाथ छोटे और पेट तुन्दिल यानि मोटा है, जो वटवृक्ष के तले रत्नसिंहासन पर विराजमान हैं और प्रसन्नमुख हैं। इस प्रकार ध्यान करते हुए साधक धनराज को होम करता है तो वह कुबेर से भी अधिक संपत्तिशाली हो जाता है।
धन से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए कुबेर यंत्र को घर में स्थापित करें
कुबेर देव के विशेष मंत्र
आईये अब आपको कुबेर देव के कुछ प्रमुख मंत्रों के बारे में आपको बताते हैं। धनेश कुबेर के इन मंत्रों का वर्तमान समय में भी बड़ा महत्व है। इन मंत्रों के जाप से इंसान कई आर्थिक परेशानियों से बच सकते हैं।
कुबेर देव का अमोघ मंत्र
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
मंत्र का महत्व
इस मंत्र के देवता धनराज कुबेर हैं। इसे कुबेर देव का अमोघ भी कहा जाता है। इस पैंतीस अक्षरी मंत्र के ऋषि विश्रवा हैं और छंद बृहती है। यह माना गया है कि इस मंत्र का जाप यदि तीन महीने तक किया जाये तो जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं आती।
मंत्र जाप की विधि
- दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
- मंत्र जाप के दौरान धनलक्ष्मी कौड़ी को अपने पास रखें।
- अगर कोई बेल के वृक्ष के तले बैठकर 1 लाख बार इस मंत्र को जपे तो उसके जीवन से अर्थ से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मंत्र जाप का फल
इस मंत्र में अलग-अलग नामों से कुबेर देव की विशेषताओं का जिक्र करते हुए उनसे समृद्धि और धन देने की प्रार्थना की जाती है। इस मंत्र का जाप श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में कभी अर्थ यानि धन की कमी नहीं होती है।
अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र
मंत्र का महत्व
माता लक्ष्मी और कुबेर देव का यह मंत्र जीवन में सभी सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है। इस मंत्र के जाप से जीवन में ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और अष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है।
मंत्र जाप की विधि
- स्नान आदि के बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके अपने शरीर और पूजन सामग्री पर जल छिड़कें।
- हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प करें।
- इसके बाद श्रद्धापूर्वक मंत्र का जाप करें।
मंत्र जाप का फल
आर्थिक रुप से व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां नहीं आतीं और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस मंत्र की साधना शुक्रवार की रात को शुरु करना शुभ माना गया है।
धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र
मंत्र का महत्व
आज के दौर में हर शख्स सुख-सुविधाओं की चाह करता है लेकिन हर किसी के पास धन उस मात्रा में नहीं होता जिससे वो जीवन में भौतिक सुखों का आनंद ले सकें। ऐसे में अगर आप कुबेर देव के धन प्राप्ति मंत्र का नियमित जाप करते हैं तो आपको धन प्राप्ति के कई रास्ते मिल सकते हैं।
मंत्र जाप की विधि
- इस मंत्र को सुबह के वक्त जपना शुभ माना गया है।
- नित्यकर्म करने के पश्चात आप कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप-दीप जलाकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
- नित्य एक ही समय पर इस मंत्र का जाप किया जाना चाहिए
मंत्र जाप का फल
नियमित रुप से इस मंत्र के जाप करने से घर में कभी दरिद्रता का निवास नहीं होता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के करने से जीवन की कठिनाइयों से भी मुक्ति मिलती है।
प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप अपने घर या दफ्तर में कुबेर देव की प्रतिमा या चित्र रखते हैं तो आपको नीचे दी गई कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी।
- उनकी मूर्ति या तस्वीर घर या दफ्तर में उत्तर दिशा की ओर स्थापित करनी चाहिए क्योंकि कुबेर देव का निवास स्थान उत्तर दिशा की ओर माना जाता है।
- इसके साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि जहां इनकी प्रतिमा स्थापित की जाए वो स्थान पहले गंगाजल से पवित्र किया जाए।
- जहां प्रतिमा स्थापित की जाए वहां कोई पुराना सामान न पड़ा हो।
- नियमित रुप से उस स्थान की साफ सफाई की जाए।
- कुबेर देव की प्रतिमा पर फूल चढाएं।
कुबेर देव के पूनर्जन्म की कथा
शास्त्रों में कुबेर देव के पूर्व जन्म से जुड़ी एक रोचक कथा का जिक्र किया गया है। इस कथा के अनुसार पूर्व जन्म में कुबेर चोर थे और वो मंदिरों में मौजूद धन संपदा को चुराते थे। ऐसे में एक बार कुबेर भगवान शिव के एक मंदिर में पहुंचे वहां रोशनी न होने के कारण कुबेर को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था जिसके बाद उन्होंने मंदिर में पड़ी संपदा को देखने के लिए दीपक जलाया। दीपक जलाते ही मंदिर में पड़ी सारी संपत्ति उन्हें साफ नज़र आने लगी। लेकिन तेज हवा के कारण दीया बुझ गया। कुबेर ने फिर से दीया जलाया लेकिन फिर से हवा की तीव्रता के कारण दीया बुझ गया। ऐसा कई बार हुआ।
रात के समय भगवान शिव के सामने दीया जलाने से भक्तों को शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। हालांकि कुबेर इस बात को नहीं जानते थे लेकिन कई प्रयासों में असफल होने के बावजूद भी कुबेर दीया जलाने से पीछे नहीं हटे उनकी इस लगन को देखकर शंकर भगवान प्रसन्न हो गए। भगवान भोलेनाथ की कृपा से अगले जन्म में कुबेर देव देवताओं के कोषाध्यक्ष नियुक्त किये गए। तब से कुबेर देव भगवान शिव के परम सेवक हैं और जगत में मौजूद धन संपदा के स्वामी बन गए। यदि कोई जातक पूर्ण श्रद्धा के साथ कुबेर देव के मंत्रों का जाप करे तो धन से जुड़ी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। कुबेर मंत्र का जाप कभी भी दक्षिण की ओर मुख करके ही किया जाना है।
मंत्र जाप की महत्ता
शब्द को बह्मा के समकक्ष माना गया है और इसी लिए आर्यावर्त में शब्द साधना के द्वारा देवों को प्रसन्न करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ‘महार्थ मंजरी’ के अनुसार ‘ मनन योग्य शब्द-ध्वनि मंत्र कहलाती है’। इस आधूनिक दौर में भी यदि कोई प्राणी श्रद्धापूर्वक मंत्रों का जाप करे तो उसे मनवांछित फलों की प्राप्ति अवश्य होती है। मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि यह आपके शुभ फलों की प्राप्ति तो करवाते ही हैं साथ ही इनका जाप करने से एक सकारात्मक ऊर्जा भी आपके अंदर प्रवाहित होती है।
Astrological services for accurate answers and better feature
Astrological remedies to get rid of your problems

AstroSage on MobileAll Mobile Apps
AstroSage TVSubscribe
- Horoscope 2023
- राशिफल 2023
- Calendar 2023
- Holidays 2023
- Chinese Horoscope 2023
- Education Horoscope 2023
- Purnima 2023
- Amavasya 2023
- Shubh Muhurat 2023
- Marriage Muhurat 2023
- Chinese Calendar 2023
- Bank Holidays 2023
- राशि भविष्य 2023 - Rashi Bhavishya 2023 Marathi
- ராசி பலன் 2023 - Rasi Palan 2023 Tamil
- వార్షిక రాశి ఫలాలు 2023 - Rasi Phalalu 2023 Telugu
- રાશિફળ 2023 - Rashifad 2023
- ജാതകം 2023 - Jathakam 2023 Malayalam
- ৰাশিফল 2023 - Rashifal 2023 Assamese
- ରାଶିଫଳ 2023 - Rashiphala 2023 Odia
- রাশিফল 2023 - Rashifol 2023 Bengali
- ವಾರ್ಷಿಕ ರಾಶಿ ಭವಿಷ್ಯ 2023 - Rashi Bhavishya 2023 Kannada