जानें शिव तांडव स्तोत्रम् के महत्व और उसके अर्थ के बारे में
शिव तांडव स्तोत्रम् का हिन्दू धर्म में बेहद प्रभावशाली महत्व है, जिस प्रकार से देवों के देव महादेव को देवताओं में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है उसी प्रकार से उनके इस स्तोत्र को भी विशेष माना जाता है। ऐसी मान्यता है की शिव ताण्डव स्तोत्र का जाप कर शिवजी को जल्द प्रसन्न किया जा सकता है और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त किया जा सकता है। आज इस लेख के जरिये हम आपको शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति, उसके महत्व और उससे मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आईये जानते हैं शिव जी के इस प्रमुख स्तोत्र से जुड़ी प्रमुख जानकारियों के बारे में।
कैसे हुई शिव तांडव स्तोत्रम की उत्पत्ति?
इस संसार में शिव जी के परम भक्तों में जिनका नाम सबसे पहले लिया जाता है वो हैं लंकाधिपति रावण। जी हाँ, रावण को शिव जी के परम् भक्त थे और उसी ने एक बार भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र का जाप किया था। हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार जब रावण समस्त धरती और देव लोक पर अपना अाधिपत्य कर लिया था उसके मन में कैलाश पर्वत को हरने का भी विचार आया। अपनी शक्तियों के गुरूर में चूर रावण जब कैलाश पर्वत को उठाकर जाने लगा तो उसी वक़्त शिव जी ने अपने अंगूठे के प्रयोग से कैलाश पर्वत को दबा दिया जिस वजह से रावण उसे हिला भी नहीं सका। इसके बाद उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी स्तुति की जिसे शिव तांडव स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है।
तांडव का क्या अर्थ है
शिव तांडव स्तोत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने से पहले ये जानना भी बेहद आवश्यक है की आखिर तांडव किसे कहते हैं। दरअसल तांडव एक ऐसा शब्द है जिसका वास्तविक अर्थ होता है पूरी शक्ति के साथ कूदना या उछलना। तांडव के दौरान व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति और ऊर्जा के साथ उछलना होता है। ऐसा करने से मन शक्तिशाली होता है और दिमाग मजबूत। हिन्दू धर्म के अनुसार तांडव केवल पुरुष वर्ग ही कर सकते हैं।
शिव तांडव स्तोत्र और उसका अर्थ
अर्थ: जिस शिव की घनी, वनरूपी जटा से गंगा प्रवाहित होकर उनके कंठ तक जाती है। वह जिनके गले में सांप की मालाएं हैं और वह शिव जो डम-डम डमरू बजा कर प्रचंड रूप से तांडव करते हैं, वह शिव हमारा कल्याण करें।
अर्थ: वह शिव जिनकी जटाओं में अत्यंत वेग के साथ विलासिता पूर्वक भ्रमण करते हुए गंगा जी की लहरें सिर पर लहरा रही है, जिनके सर पर आग की प्रचंड ज्वाला धधक-धधक कर जल रही हैं, ऐसे किशोर चन्द्रमा से विभूषित शिव में हर क्षण मेरा अनुराग बढ़ता रहे।
अर्थ:वह शिव जो माता पर्वत राज की बेटी माता पार्वती के विलासमय और रमणीय कटाक्ष/तानों से परम् आनंदित रहते हैं, जिनके शीश पर संपूर्ण सृष्टि और वहां रहने वाले जीव निवास करते हैं, जिनके कृपा भर से सभी भक्तों की परेशानियां दूर हो जाती हैं, वह जिनकी दिशाएं ही वस्त्र हैं उनकी साधना से मेरा मन हमेशा आनंदित रहे।
अर्थ:मैं उस शिव की भक्ति से हमेशा ही आनंदमय रहूँ जो सभी जीवों के एक मात्र रक्षक और आधार हैं, वह जिनकी जटाओं में लिपटे साँपों की मणियों का पीला रंग सभी दिशाओं को केसर प्रकाश की भांति प्रकाशित करता है और वह जिनको हिरन की चाल सुशोभित है।
अर्थ:वह शिव जिन्हें इंद्र देव सहित अन्य देव गण भी अपने शीश पर शोभित फूल अर्पित करते हैं और जिनकी जटाओं में लाल सांप विराजित है वह शिव हमें आजीवन स्थायी रहने के लिए संपदा प्रदान करें।
अर्थ: वह शिव जिन्होंने इंद्र के अहंकार को चूर किया और कामदेव को सर पर सुशोभित अग्नि से भस्म किया, जो समस्त देवताओं द्वारा भी पूज्य हैं और जिनके मस्तक पर स्वयं चन्द्रमा और गंगा भी विराजित है, आप मुझे सिद्धि प्रदान करें।
अर्थ: वह शिव जिन्होंने अपने शीश पर शोभित अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया। वो शिव माता पार्वती के समकक्ष प्रकृति का सृजन करने में चतुर हैं, उस शिव के प्रति मेरा अटल प्रेम हो।
अर्थ: वह शिव जिनका अमावस्या की रात की तरह काली गर्दन है जो नए मेघों की घटाओं से परिपूर्ण है, जिन्होंने हिरण छाल धारण किया है, गंगा और चन्द्रमा जिनकी शीश पर शोभित है और जिन्होंने समस्त संसार का बोझ उठा रखा है, वह शिव हमें जीवन में हर प्रकार से संपन्न रखें।
अर्थ: वह शिव जिनका कंठ और कंधा खिले हुए कमल से सुशोभित है, जिन्होंने कामदेव और त्रिपुरासुर का नाश किया, वह जो संसार के सभी दुखों को हरने वाले हैं, दक्ष और यक्ष के नाशक हैं और मृत्यु को भी अपने वश में करने वाले हैं, हम उस शिव का मनन करते हैं।
अर्थ: वह शिव जो कल्याणकारी, अविनाशी और समस्त सभी प्रकार के रसों का आस्वादन करते हैं, जिन्होंने कामदेव को भस्म किया, त्रिपुरासुर, गजासुर और अंधकासुर का संहार किया, दक्ष और यक्ष का नाश किया और जो खुद यमराज के लिए भी यम हैं, हम उस शिव का मनन करते हैं।
अर्थ: अत्यधिक वेग के साथ घूम साँपों के फ़ुफ़कार से गर्दन में बढ़ रही प्रचंड ज्वाला के बीच मंगलकारी मृदंग की धीम-धीम ध्वनि के साथ तांडव में मग्न शिव सभी तरह से शोभित हो रहे हैं।
अर्थ:कड़े पत्थर और कोमल विस्तार, सांप और मोतियों की माला, मूल्यवान रत्न और मिट्टी के टुकड़े, दुश्मन और दोस्त, राजा और प्रजा, तिनके और कमल पर समान दृष्टि रखने शिव की हम आराधना करते हैं।
अर्थ: हमें कब माँ गंगा के कछार कुंज में निवास के साथ निष्कपट होकर, सिर पर अंजलि धारण कर चंचल आँखें और ललाट वाले शिव के मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपार सुख की प्राप्ति होगी।
अर्थ: सभी देवांगनाओं के सिर में गूंथें हुए फूलों की मालाओं से झड़ने वाले सुगंधित खुशबू से मनोहरित, विशेष शोभा के धाम शिव जी के समस्त अंगों की सुंदरता परमानन्द के समान हमारे मन की प्रसन्नता को हमेशा बढ़ाती रहे।
अर्थ: प्रचंड बड़वानल के समान सभी पापों का नाश करने में, स्त्री स्वरुप अणिमादिक आठ महा सिद्धियां और चंचल आँखों वाली देवकन्याओं से शिव जी के विवाह के समय गायी गयी मंगलध्वनि सब मन्त्रों में श्रेष्ठ शिव मंत्र से परिपूर्ण, हम सांसारिक दुखों का नाश कर विजय प्राप्त करें।
अर्थ: इस सबसे उपयुक्त शिव तांडव स्तोत्रम का नियमित पाठ करने या मात्र सुनने से जीव पवित्र होकर सर्वश्रेष्ठ गुरु शिव में समा जाता है और सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्ति पा सकता है।
अर्थ: प्रत्येक सुबह शिव जी की पूजा के बाद रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का गुणगान करने से लक्ष्मी माता स्थिर रहती हैं और भक्तों को रथ, हाथी और घोड़े जैसे संपदा की प्राप्ति होती है।
अर्थ: इस प्रकार से रावण कृत्य शिव तांडव स्तोत्र पूर्ण होती है।
शिव तांडव स्तोत्र से मिलने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित है
- यदि आप किसी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्या से ग्रसित हों तो ऐसे में आपके लिए शिव तांडव स्तोत्र का जाप करना विशेष फलदायी साबित हो सकता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या का समाधान ना मिलने पर नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का जाप जरूर करें।
- शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ आपको मुख्य रूप से तांत्रिक शक्तियों और शत्रुओं के वार से बचा सकता है। श्रद्धा भाव के साथ इस स्तोत्र का जाप कर आप इन शक्तियों से मुक्ति पा सकते हैं।
- यदि आप जीवन के किसी क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं तो, ऐसे में आपके लिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना फायदेमंद साबित हो सकता है। शिव जी की आराधना करते हुए प्रतिदिन इस स्तोत्र का जाप करना आपको जीवन में अपार सफलता दिला सकता है।
- शिव तांडव स्तोत्र का नियमित जाप आपको आपकी कुंडली में मौजूद किसी ग्रह के दुष्प्रभाव से भी राहत दिला सकता है। शनि, मंगल या राहु-केतु की बुरी दृष्टि होने पर शिव तांडव स्तोत्र का जाप अत्यंत फलदयी साबित हो सकता है।
शिव तांडव स्तोत्र को जाप करने की संपूर्ण विधि
- शिव तांडव स्तोत्र का जाप प्रदोष काल में करना विशेष महत्व रखता है।
- स्तोत्र का पाठ करने से पहले शिव जी की विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर लेनी चाहिए।
- शिव जी को धूप दीप दिखाने के साथ ही उन्हें प्रसाद चढ़ाएं और पूजा संपन्न होने के बाद स्तोत्र का जाप करें।
- शिव तांडव स्तोत्र का पाठ हमेशा गाकर करना चाहिए।
- इस स्तोत्र का पाठ यदि गाकर और तांडव नृत्य के साथ किया जाए तो उसे सर्वोत्तम माना जाता है।
- स्तोत्र पाठ के बाद शिव जी का मनन करें और श्रद्धा पूर्वक उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
हम आशा करते हैं की शिव स्तोत्र पर आधारित है हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा!
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