नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024)

नामकरण मुहूर्त 2024: सनातन धर्म में ढेरों संस्कार या समारोह किए जाते हैं। विशेष तौर पर नए जन्मे छोटे बच्चों के संदर्भ में। इन्हीं संस्कारों में से एक होता है नामकरण संस्कार। नामकरण संस्कार या नामकरण समारोह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है जिसमें नवजात शिशु को उसका नाम दिया जाता है। हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण 16 संस्कारों में से नामकरण संस्कार भी एक माना गया है। 

Annaprashan Muhurat 2024

Read In English: Namkaran Muhurat 2023

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नामकरण संस्कार शिशु का प्राथमिक संस्कार है। यही वजह है कि इसे शुभ दिन शुभ नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) में ही करने की सलाह माता-पिता को दी जाती है। एस्ट्रोसेज के इस अंक में आज हम आपको नामकरण संस्कार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देंगे और साथ ही बताएंगे कि वर्ष 2024 में कौन-कौन से शुभ दिन पर नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) समारोह किया जा सकता है।

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हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हालांकि आजकल के आधुनिक युग में अक्सर देखा जाता है कि लोग बिना तिथि, नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) आदि का ध्यान रखते हुए अपने बच्चों का नाम रख देते हैं लेकिन धार्मिक परंपराओं का पालन करने वाले लोग इस महत्वपूर्ण संस्कार के लिए शुभ दिन, तिथि, नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) जानने के बाद ही अपने बच्चे के जीवन के इस महत्वपूर्ण संस्कार का आयोजन करते हैं।  

कहा जाता है कि व्यक्ति का नाम उसके अस्तित्व की पुष्टि करता है। यानी कि हमारा नाम ही हमारी पहचान होता है। ऐसे में नामकरण संस्कार तिथि और शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाना चाहिए। अन्य शुभ आयोजनों की ही तरह नामकरण संस्कार भी शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है। नामकरण संस्कार का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बेहद अधिक माना जाता है। अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि, आखिर किसी विशिष्ट तिथि पर या किसी विशिष्ट मुहूर्त में ही हम अपने बच्चे का नामकरण क्यों करें तो आपकी इन्हीं जिज्ञासाओं और सवालों का जवाब आपको इस लेख के माध्यम से मिलेगा।

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नामकरण मुहूर्त 2024: धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

नवजात शिशु का नामकरण समारोह हिंदू ग्रंथों में बताए गए 16 संस्कारों में से एक माना गया है। नामकरण संस्कार बच्चे का पहला और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार होता है। ऐसे में अगर इसे परिवार के सदस्य शुभ नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024), शुभ घड़ी, शुभ समय पर करते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे के जीवन पर पड़ता है। यही वजह है कि ज्योतिष में और धार्मिक मान्यताओं में महत्व रखने वाले लोग इस दिन के संदर्भ में किसी विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श लेकर ही आगे बढ़ने की सलाह देते हैं। नामकरण संस्कार का शुभ फल बच्चे को पूरे जीवन प्राप्त होता है।

वैदिक परंपरा के अनुसार बात करें तो कहा जाता है कि, व्यक्ति का नाम अपने अंदर एक महत्वपूर्ण ऊर्जा समेटे होता है जो आपको ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ जोड़ने और आध्यात्मिक और भौतिक दुनिया में पूरी तरह से विकसित करने में सक्षम बनाती है। यही वजह है कि नामकरण संस्कार बेहद ही महत्वपूर्ण और खास माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से भी और ज्योतिषीय दृष्टि से भी नामकरण संस्कार की परंपरा बच्चे को बड़े होने पर अच्छे सामाजिक शक्ति प्राप्त करने में भी मदद कर सकती है। ऐसे में अगर आप भी अपने नन्हे बच्चे का नामकरण समारोह वर्ष 2024 में करने का विचार कर रहे हैं तो इस लेख में हम आपको सूचीबद्ध तरीके से वर्ष 2024 के सभी नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) की जानकारी प्रदान करेंगे। इसके अलावा आप चाहें तो किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से संपर्क करके इस दिन से जुड़े अपने सवालों का व्यक्तिगत जवाब भी जान सकते हैं।

जानने वाली बात: सनातन धर्म में व्यक्ति का नाम सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि उसके पूरे व्यक्तित्व और उसके भाग्य को भी निर्धारित करने के लिए जाना और माना जाता है। यही वजह है कि नामकरण समारोह को सनातन धर्म में इतना विशेष महत्व दिया गया है। आमतौर पर नामकरण समारोह बच्चे के जन्म के बारहवें या तेरहवें दिन पर किया जाता है।

नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024)

नामकरण संस्कार का महत्व जाने के बाद आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि वर्ष 2024 में किस-किस महीनों में किन किन दिनों पर  नामकरण मुहूर्त 2024 (Namkaran Muhurat 2024) कब तक रहने वाला है। इस बात से संबंधित सूची हम आपको नीचे विस्तार से प्रदान कर रहे हैं: 

जनवरी 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 03 जनवरी

07:14:25

31:14:24

गुरुवार, 04 जनवरी

07:14:37

22:07:18

रविवार, 07 जनवरी

22:08:43

31:15:05

सोमवार, 08 जनवरी

07:15:10

22:03:36

गुरुवार, 11 जनवरी

17:39:31

31:15:20

शुक्रवार, 12 जनवरी

07:15:19

31:15:20

बुधवार, 17 जनवरी

07:14:53

31:14:54

गुरुवार, 18 जनवरी

07:14:44

20:46:54

रविवार, 21 जनवरी

07:14:04

31:14:04

सोमवार, 22 जनवरी

07:13:48

28:59:04

गुरुवार, 25 जनवरी

08:17:31

31:12:49

बुधवार, 31 जनवरी

07:10:10

31:10:11

फरवरी 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

गुरुवार, 01 फरवरी

07:09:40

31:09:40

शुक्रवार, 02 फरवरी

07:09:06

29:57:18

रविवार, 04 फरवरी

17:52:10

31:07:57

गुरुवार, 08 फरवरी

07:05:20

11:19:37

रविवार, 11 फरवरी

07:03:11

17:40:20

बुधवार, 14 फरवरी

07:00:50

31:00:51

रविवार, 18 फरवरी

08:17:53

30:57:28

बुधवार, 21 फरवरी

14:18:35

30:54:45

गुरुवार, 22 फरवरी

06:53:49

13:24:29

रविवार, 25 फरवरी

25:25:26

30:50:55

सोमवार, 26 फरवरी

06:49:56

30:49:56

गुरुवार, 29 फरवरी

06:46:55

30:46:55

मार्च 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

शुक्रवार, 01 मार्च

06:45:52

12:49:05

रविवार, 03 मार्च

06:43:46

15:55:26

बुधवार, 06 मार्च

14:53:08

30:40:32

गुरुवार, 07 मार्च

06:39:26

30:39:26

शुक्रवार, 08 मार्च

06:38:20

10:41:43

सोमवार, 11 मार्च

06:34:59

30:34:59

शुक्रवार, 15 मार्च

16:08:56

30:30:28

रविवार, 17 मार्च

06:28:09

16:48:09

बुधवार, 20 मार्च

06:24:41

22:39:07

रविवार, 24 मार्च

09:57:56

30:20:02

सोमवार, 25 मार्च

06:18:53

30:18:53

बुधवार, 27 मार्च

06:16:32

30:16:32

गुरुवार, 28 मार्च

06:15:24

18:38:36

शुक्रवार, 29 मार्च

20:36:15

30:14:13

अप्रैल 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 03 अप्रैल

18:32:19

30:08:29

गुरुवार, 04 अप्रैल

06:07:21

20:12:59

शुक्रवार, 05 अप्रैल

18:07:48

30:06:12

शुक्रवार, 12 अप्रैल

13:13:57

29:58:27

रविवार, 21 अप्रैल

05:49:10

25:13:58

बुधवार, 24 अप्रैल

05:46:15

24:41:02

शुक्रवार, 26 अप्रैल

05:44:24

27:40:01

मई 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 01 मई

05:40:01

27:11:38

शुक्रवार, 03 मई

05:38:21

24:07:07

रविवार, 05 मई

05:36:47

29:36:47

सोमवार, 06 मई

05:36:01

14:42:39

गुरुवार, 09 मई

11:56:11

29:33:51

शुक्रवार, 10 मई

05:33:11

26:52:24

सोमवार, 13 मई

11:24:25

29:31:14

रविवार, 19 मई

05:27:55

29:27:55

सोमवार, 20 मई

05:27:26

29:27:26

गुरुवार, 23 मई

09:14:49

29:26:08

शुक्रवार, 24 मई

05:25:45

10:10:32

सोमवार, 27 मई

16:56:05

29:24:42

गुरुवार, 30 मई

07:31:53

29:23:52

जून 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

रविवार, 02 जून

05:23:14

29:23:14

सोमवार, 03 जून

05:23:05

24:05:41

गुरुवार, 06 जून

18:09:36

29:22:43

शुक्रवार, 07 जून

05:22:39

19:43:45

सोमवार, 10 जून

16:17:22

21:40:32

शुक्रवार, 14 जून

05:22:44

24:05:56

रविवार, 16 जून

05:22:57

29:22:57

सोमवार, 17 जून

05:23:06

29:23:06

बुधवार, 19 जून

17:23:39

29:23:25

रविवार, 23 जून

17:04:20

29:24:18

सोमवार, 24 जून

05:24:34

25:25:31

बुधवार, 26 जून

13:05:56

29:25:09

गुरुवार, 27 जून

05:25:28

11:37:30

शुक्रवार, 28 जून

10:11:30

29:25:47

रविवार, 30 जून

12:21:35

29:26:31

जुलाई 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 03 जुलाई

05:27:40

29:27:40

रविवार, 07 जुलाई

05:29:23

29:29:23

गुरुवार, 11 जुलाई

13:04:59

29:31:17

शुक्रवार, 12 जुलाई

05:31:46

29:31:45

रविवार, 14 जुलाई

05:32:47

17:28:19

सोमवार, 15 जुलाई

19:21:23

24:30:25

बुधवार, 17 जुलाई

05:34:20

27:13:08

रविवार, 21 जुलाई

05:36:30

29:36:30

सोमवार, 22 जुलाई

05:37:02

22:21:48

गुरुवार, 25 जुलाई

16:17:15

29:38:43

शुक्रवार, 26 जुलाई

05:39:17

29:39:17

रविवार, 28 जुलाई

05:40:24

11:48:18

बुधवार, 31 जुलाई

05:42:05

29:42:06

अगस्त 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

गुरुवार, 01 अगस्त

05:42:40

10:24:24

शुक्रवार, 09 अगस्त

05:47:10

29:47:10

रविवार, 11 अगस्त

05:48:15

29:48:15

बुधवार, 21 अगस्त

24:34:23

29:53:39

गुरुवार, 22 अगस्त

05:54:10

13:48:37

शुक्रवार, 23 अगस्त

10:41:16

29:54:42

सोमवार, 26 अगस्त

15:55:47

26:22:02

बुधवार, 28 अगस्त

05:57:15

15:53:37

शुक्रवार, 30 अगस्त

17:56:33

29:58:16

सितंबर 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

बुधवार, 04 सितंबर

06:00:47

30:00:47

गुरुवार, 05 सितंबर

06:01:16

30:01:17

शुक्रवार, 06 सितंबर

06:01:46

15:03:35

रविवार, 08 सितंबर

06:02:45

15:31:23

सोमवार, 09 सितंबर

18:04:44

30:03:15

शुक्रवार, 13 सितंबर

21:36:19

30:05:11

रविवार, 15 सितंबर

06:06:11

18:50:02

बुधवार, 18 सितंबर

11:01:30

30:07:38

गुरुवार, 19 सितंबर

06:08:08

30:08:09

शुक्रवार, 20 सितंबर

06:08:38

21:17:36

रविवार, 22 सितंबर

23:02:36

30:09:37

सोमवार, 23 सितंबर

06:10:07

30:10:07

शुक्रवार, 27 सितंबर

06:12:09

25:21:31

अक्टूबर 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

गुरुवार, 03 अक्टूबर

06:15:18

30:15:18

शुक्रवार, 04 अक्टूबर

06:15:52

30:15:51

सोमवार, 07 अक्टूबर

09:49:46

26:25:32

शुक्रवार, 11 अक्टूबर

06:19:47

12:08:52

सोमवार, 14 अक्टूबर

06:21:33

24:43:31

बुधवार, 16 अक्टूबर

20:43:01

30:22:46

गुरुवार, 17 अक्टूबर

06:23:22

30:23:21

शुक्रवार, 18 अक्टूबर

06:24:00

13:27:13

सोमवार, 21 अक्टूबर

06:25:53

30:25:53

गुरुवार, 24 अक्टूबर

06:27:51

26:01:26

सोमवार, 28 अक्टूबर

15:24:19

30:30:35

बुधवार, 30 अक्टूबर

06:31:59

13:17:59

नवम्बर 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

शुक्रवार, 01 नवंबर

18:18:58

27:31:21

रविवार, 03 नवंबर

06:34:53

30:34:52

गुरुवार, 07 नवंबर

11:47:39

30:37:53

शुक्रवार, 08 नवंबर

06:38:38

30:38:37

बुधवार, 13 नवंबर

06:42:30

30:42:30

रविवार, 17 नवंबर

06:45:41

30:45:40

सोमवार, 18 नवंबर

06:46:28

15:49:04

बुधवार, 20 नवंबर

14:50:47

30:48:04

गुरुवार, 21 नवंबर

06:48:52

15:36:12

सोमवार, 25 नवंबर

06:52:02

30:52:02

बुधवार, 27 नवंबर

06:53:38

30:53:37

गुरुवार, 28 नवंबर

06:54:25

32:42:02

दिसंबर 2024 

दिनांक

आरंभ काल

समाप्ति काल

गुरुवार, 05 दिसंबर

12:51:44

30:59:46

शुक्रवार, 06 दिसंबर

07:00:29

17:19:02

रविवार, 08 दिसंबर

07:01:55

16:03:47

बुधवार, 11 दिसंबर

07:03:58

31:03:58

रविवार, 15 दिसंबर

07:06:32

26:20:36

रविवार, 22 दिसंबर

07:10:22

31:10:22

सोमवार, 23 दिसंबर

07:10:49

17:10:38

बुधवार, 25 दिसंबर

07:11:43

31:11:43

गुरुवार, 26 दिसंबर

07:12:07

18:10:07

शुक्रवार, 27 दिसंबर

20:29:05

31:12:29

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नामकरण संस्कार के लिए शुभ तिथियां, नक्षत्र और महीने

  • नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के बारहवें या तेरहवें दिन किया जाना चाहिए।

  • यह संस्कार सूतक काल के अंत में बच्चे के जन्म से लेकर अगले दस दिनों बाद किया जा सकता है।

  • सूतिका की शुद्धि बच्चे के जन्म के दसवें दिन के बाद की जाती है, और नामकरण संस्कार इसी दिन किया जाना चाहिए।

  • नामकरण समारोह को चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि से बचना चाहिए। 

  • इसके अलावा अमावस्या के दिन नामकरण संस्कार सहित कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

  • बच्चे का नामकरण समारोह सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार जैसे शुभ दिनों में शुरू कर सकता है।

  • नामकरण संस्कार के लिए अश्विनी, शतभीषा, स्वाति, चित्रा, रेवती, हस्त, पुष्य, रोहिणी, मृगशीर्ष, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तर भाद्रपद और श्रवण जैसे नक्षत्रों पर विचार किया जाता है।

  • ज्योतिषीय दृष्टिकोण के अनुसार, आमतौर पर एक बच्चे के लिए दो नाम पसंद किए जाते हैं, जिनमें से एक गुप्त रहता है और दूसरा एक परिचित नाम बन जाता है।

  • जिस नक्षत्र में शिशु का जन्म हुआ है, उसके अनुसार बच्चे का नाम चुनना शुभ माना गया है। 

नामकरण संस्कार 2024 : सही विधि

जन्म के दसवें, बारहवें, या तेरहवें दिन पर बच्चे का नाम रखा जाता है जिसे नामकरण संस्कार कहते हैं। 

  • इस दौरान बच्चे को स्नान कराकर साफ कपड़े पहना कर उसके सर को पानी से गिला करके पिता की गोद में दे दिया जाता है। 

  • इसके बाद प्रजापति, तिथि, नक्षत्र, और देवी-देवताओं, अग्नि, आदि को आहुति दी जाती है। 

  • इसके बाद पिता अपने बच्चे के दाहिने कान की ओर झुकते हैं और उसके नाम को बोलते हैं। 

  • नामकरण संस्कार के दिन बच्चे को शहद चखाया जाता है और सूर्य देव के दर्शन कराए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य के दर्शन कराने से बच्चा भी सूर्य की तरह तेजस्वी होता है। 

  • इसके अलावा इस दिन बच्चे को धरती माता को नमन भी कराया जाता है। 

  • देवी देवताओं का ध्यान किया जाता है और बच्चे की लंबी आयु और सुख समृद्ध जीवन के लिए कामना की जाती है। 

  • ऐसी मान्यता है कि बच्चे का जन्म जिस नक्षत्र में होता है उसी नक्षत्र के आधार पर अगर बच्चे का नाम रखा जाए अर्थात नक्षत्र के अक्षर से जातक का नाम रखा जाए तो यह शिशु के लिए बेहद ही शुभ और अनुकूल रहता है। 

  • नाम निर्धारित करने के बाद इसे एक कॉपी पर पेन से लिख दिया जाता है और इसके बाद इस नाम को सबको दिखाना होता है। 

  • संस्कार के दौरान बच्चे के नाम को लेकर तीन बार 'चिरंजीवी हो', 'धर्मशील हो', 'प्रगतिशील हो' इन्हें 3 बार दोहराएं। 

  • इसके बाद शिशु को माता को दे दें, माता शिशु को पिता को दे दें और अन्य लोगों को इसी तरह से शिशु देते जाएँ। 

  • इसके बाद बच्चे को खुले में लेकर जाएं और लोक दर्शन कराएं। 

  • अंत में खीर और अन्य मिष्ठान की पांच अखियां हवन में डालें और देवी-देवताओं, पंडितों और बड़े-बुज़ुर्गों से बच्चे की लंबी और अच्छी सेहत की कामना करें और आशीर्वाद मांगें। 

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नाम चुनने की प्रक्रिया

यूं तो आजकल के जमाने में लोग आधुनिक होते जा रहे हैं और बिना किसी भी बात पर गौर-विचार किए वह बच्चे का नाम रख देते हैं। यही वजह है कि बच्चों के अलग-अलग तरह के नाम भी सुनने को मिलते हैं। हालांकि अगर हम धार्मिक और वैदिक राह पर चलते हुए अपने शिशु का नामकरण करना चाहते हैं तो नाम चयन की एक प्रक्रिया बताई गई है। 

वैदिक काल में चार प्रकार के नामों का प्रचलन का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार थे, पहला- शिशु के नाम के नक्षत्र पर नाम को रखना इसे नक्षत्र नाम कहा जाता है। जात कर्म के समय माता पिता के द्वारा रखा गया नाम इसे गुप्त नाम कहा जाता है, नामकरण संस्कार के समय रखा गया नाम जिसे व्यवहारिक नाम कहा जाता है और अंत में आता है यज्ञ कर्म विशेष के संपादन के आधार पर रखा जाने वाला नाम जिससे याग्निक नाम भी कहते हैं। 

अगर आप भी इन आधारों पर अपने शिशु का नामकरण संस्कार करना चाहते हैं और उसके भविष्य को उज्जवल और सुखी बनाना चाहते हैं तो आप विद्वान ज्योतिषियों से संपर्क करके इसका व्यक्तिगत जवाब जान सकते हैं।

वैदिक ज्योतिष के मानदंडों के अनुसार सही नाम चुनने के लिए यहाँ क्लिक करें!  

नामकरण संस्कार का महत्व

आयुर्वेदभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा।

नामकर्मफलं त्वेतत् समुदृष्टं मनीषिभि:।।

अर्थात: नामकरण संस्कार से बच्चे की आयु और तेज में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ ही नाम आचरण कर्म से व्यक्ति जीवन में ख्याति प्राप्त करता है और अपनी अलग पहचान बनाता है।

नामकरण संस्कार के दौरान भूल से भी ना करें ये गलतियां 

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नामकरण संस्कार में किन बातों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। कहते हैं बच्चा जब से अपनी माता के गर्भ में आता है तब से उसके जीवन के अंत तक सोलह संस्कार सुनिश्चित किए गए हैं और इन्हीं में से एक है नामकरण संस्कार जिसे बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • नवजात शिशु के जन्म लेते ही उसका जात कर्म किया जाता है। इसके बाद सूतक लग जाता है। सूतक की अवधि अलग-अलग मानी गई है। हालांकि सामान्य तौर पर बच्चे के जन्म के 10 दिन बाद नामकरण संस्कार किया जाना शुभ होता है। हालांकि इसमें भी कई बार भिन्नता देखने को मिलती है। 

  • इसके अलावा बच्चे के जन्म से लेकर सौवें दिन तक का समय भी इस संस्कार के लिए उपयुक्त माना गया है। 

  • बच्चे का नामकरण संस्कार घर में ही करना चाहिए। हालांकि आप चाहें तो किसी मंदिर में जाकर के यज्ञ स्थल आदि में भी हवन करवा सकते हैं। 

  • इस दिन की पूजा के लिए जो कलश इस्तेमाल किया जाता है उस पर स्वास्तिक अवश्य बनाएं। 

  • पूजा स्थल पर बच्चे को लाने से पहले उसकी कमर में सुतली या रेशम का धागा अवश्य पहना दें।

  • नाम घोषणा के समय जिस थाली का इस्तेमाल किया जाता है वो एकदम नई होनी चाहिए। 

  • इस दिन घर में सात्विक भोजन ही बनना चाहिए। 

  • बच्चे का नाम चुनते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। आप चाहे तो अपनी संतान का नाम कुल देवी या देवता के नाम पर रख सकते हैं। इसे बेहद शुभ माना गया है। 

  • इसके अलावा बच्चे का नाम उसके ग्रहों की स्थिति से मेल खाता हुआ भी रखना चाहिए। ऐसा ना होने की स्थिति में बच्चे के लिए यह दुर्भाग्य लेकर आ सकता है। 

  • इसके अलावा चतुर्थी तिथि, नवमी तिथि, चतुर्दशी तिथि, और रिक्ता तिथि, के दिन बच्चे का नाम रखना अशुभ माना गया है। 

  • दिन की बात करें तो चंद्र, बुध, गुरु, और शुक्र के वार में नामकरण संस्कार करना शुभ होता है।

नामकरण संस्कार 2024: पूजन सामग्री

लकड़ी की चौकी, कलश (मिट्टी का), चांदी की चम्मच, पीला सिंदूर, चन्दन, लाल चन्दन, हल्दी पीसी हुई, हल्दी साबुत,सुपारी, चावल, रोली, धूपबत्ती, इलाइची, जनेऊ, कपूर, धूपबत्ती, देशी घी, बताशा, लाल वस्त्र, पीला वस्त्र, गंगाजल, तिल, पान के पत्ते, आम के पत्ते, फूल एवं फूल माला, लोटे,थाली, चम्मच,आटा, परात, कॉपी, पेन 

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नामकरण पूजा मन्त्र 

ॐ आपो हिष्ठा मयोभुवः, ता ना ऊर्जे दधातन, महे रणाय चक्षसे। 

ॐ यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः।

नामकरण समारोह के दिन अवश्य बरतें ये सावधानियां 

नामकरण संस्कार के दिन माँ और बच्चे दोनों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी ना हो और यह संस्कार अच्छी तरह से पूरा हो सके। 

  • इसके लिए उचित मात्रा में नींद पहले ही ले लें क्योंकि इस दिन दोनों को ही लंबे समय तक पूजा और हवन वाली जगह पर बैठना होता है इसलिए माँ और बच्चा दोनों ही पहले ही नींद पूरी कर लें ताकि किसी भी तरह की थकावट और उबासी न हो। 

  • इस समारोह में मौसम के अनुसार आरामदायक कपड़े पहनें। यह दोनों माँ और शिशु के लिए सुझाया जाता है ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा ना हो और आप आराम से बैठ कर इस समारोह का आनंद ले सकें। 

  • भोजन: बच्चे के दूध का ध्यान रखें। बच्चा इस दौरान छोटा होता है ऐसे में उसे बार-बार भूख लग सकती है और सही समय पर भोजन न मिलने से बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और रोकर खुदकों और सब को परेशान कर सकता है। ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखें ताकि उसका पेट भरा रहे और वह अपने संस्कार में अच्छे से शामिल रहे।

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हम आशा करते हैं कि वर्ष 2024 आपके लिए शुभ और मंगलमय हो। एस्ट्रोसेज की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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