जैन कैलेंडर 2026
एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए जैन कैलेंडर 2026 का यहआर्टिकल लेकर आया है जिसके माध्यम से आपको वर्ष 2026 में आने वाले जैन धर्म के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों की सटीक जानकारी प्राप्त होगी। जैन धर्म की गिनती दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में होती है और इसके संस्थापक ऋषभ देव को माना जाता है। जैन कैलेंडर 2026 की सहायता से हम आपकोविस्तारपूर्वक बताएंगे कि जैन धर्म में कब कौन सा त्योहार मनाया जाएगा। लेकिन, इस पर नज़र डालने से पहले हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं जैन धर्म के प्रमुख व्रत और त्योहारों की तिथियों के बारे में।
Read in English: Jain Calendar 2026
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जैन त्योहार 2026 की संपूर्ण सूची
जनवरी
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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15 जनवरी 2026, गुरुवार |
शीतलनाथ जन्म तप |
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16 जनवरी 2026, शुक्रवार |
मेरु त्रयोदशी |
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16 जनवरी 2026, शुक्रवार |
आदिनाथ निर्वाण कल्याणक |
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17 जनवरी 2026, शनिवार |
ऋषभदेव मोक्ष |
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22 जनवरी 2026, गुरुवार |
दशलक्षण (3/3) प्रारंभ |
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25 जनवरी 2026, रविवार |
मर्यादा महोत्सव |
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31 जनवरी 2026, शुक्रवार |
श्री जितेन्द्र रथ यात्रा |
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31 जनवरी 2026, शुक्रवार |
दशलक्षण (3/3) समाप्त |
जैन त्योहार 2026: फरवरी
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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24 फरवरी 2026, मंगलवार |
अष्टान्हिका (3/3) प्रारंभ |
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मार्च
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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03 मार्च 2026, मंगलवार |
अष्टान्हिका (मार्च) समाप्त |
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22 मार्च 2026, रविवार |
दशलक्षण (मार्च) प्रारंभ |
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25 मार्च 2026, बुधवार |
आयंबिल ओली प्रारंभ |
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30 मार्च 2026, सोमवार |
महावीर जयंती |
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31 मार्च 2026, मंगलवार |
दशलक्षण (मार्च) समाप्त |
जैन त्योहार 2026: अप्रैल
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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02 अप्रैल 2026, गुरुवार |
आयंबिल ओली समाप्ति |
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26 अप्रैल 2026, रविवार |
श्री महावीर स्वामी कैवल्य ज्ञान दिवस |
मई
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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02 मई 2026, शनिवार |
ज्येष्ठ जिनवर व्रत प्रारंभ |
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14 मई 2026, गुरुवार |
श्री अनंतनाथ जन्म तप |
जैन त्योहार 2026: जून
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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29 जून 2026, सोमवार |
ज्येष्ठ जिनवर व्रत समाप्त |
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जुलाई
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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21 जुलाई 2026, मंगलवार |
अष्टान्हिका (1/3) प्रारंभ |
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28 जुलाई 2026, मंगलवार |
चौमासी चौदस |
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29 जुलाई 2026, बुधवार |
अष्टान्हिका (1/3) समाप्त |
जैन त्योहार 2026: अगस्त
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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19 अगस्त 2026, बुधवार |
पार्श्वनाथ मोक्ष |
सितंबर
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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12 सितंबर 2026, शनिवार |
कल्पसूत्र पाठ |
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12 सितंबर 2026, शनिवार |
संवत्सरी पर्व |
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13 सितंबर 2026, रविवार |
तैलधर तप |
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15 सितंबर 2026, मंगलवार |
दशलक्षण (2/3) प्रारंभ |
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16 सितंबर 2026, बुधवार |
क्षमावाणी पर्व |
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25 सितंबर 2026, शुक्रवार |
दशलक्षण (2/3) समाप्त |
जैन त्योहार 2026: अक्टूबर
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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16 अक्टूबर 2026, शुक्रवार |
आयंबिल ओली प्रारंभ |
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26 अक्टूबर 2026, सोमवार |
आयंबिल ओली समाप्त |
नवंबर
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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07 नवंबर 2026, गुरुवार |
श्री पद्म प्रभु जन्म तप |
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09 नवंबर 2026, शनिवार |
महावीर निर्वाण |
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14 नवंबर 2026, शनिवार |
ज्ञान पंचमी/सौभाग्य पंचमी |
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17 नवंबर 2026, मंगलवार |
अष्टान्हिका (2/3) प्रारंभ |
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24 नवंबर 2026, गुरुवार |
अष्टान्हिका (2/3) समाप्त |
जैन त्योहार 2026: दिसंबर
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तिथि |
त्योहार/पर्व |
|---|---|
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03 दिसंबर 2026, गुरुवार |
महावीर स्वामी दीक्षा |
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20 दिसंबर 2026, रविवार |
मौनी एकादशी |
जैन कैलेंडर 2026 की सहायता से आपको वर्ष 2026 में पड़ने वाले जैन धर्म के व्रत एवं त्योहारों की सूची प्रदान करने के बाद हम आपको अवगत करवाने जा रहे हैं जैन कैलेंडर 2026 के महत्व से।
जैन कैलेंडर 2026 का महत्व
जैन धर्म में आस्था रखने वाले अनुयायियों की संख्या भारत समेत दुनियाभर में बहुत अधिक है इसलिए जैन कैलेंडर का महत्व बढ़ जाता है। जैसे कि हम सभी भली-भांति जानते हैं कि जैन धर्म के लोगों द्वारा हिंदू धर्म के व्रत एवं त्योहारों को भी समान उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है इसलिए यह बात ध्यान में रखते हुए जैन कैलेंडर 2026 को बनाया गया है। हालांकि, जैन कैलेंडर 2026 का मुख्य उद्देश्य जैन धर्म के लोगों को साल 2026 में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की तिथियों के बारे में बताना है ताकि आप हर पर्व की तैयारी समय रहते हुए कर सकें। बता दें कि यह कैलेंडर पूर्ण रूप से जैन संस्कृति, रीति-रिवाज़ और व्रत एवं पर्वों के अनुसार बनाया गया है। आइए अब बात चर्चा करेंगे जैन धर्म के महत्व और इतिहास के बारे में।
जैन धर्म का महत्व और इतिहास
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हमें अनेकता में एकता देखने को मिलती है क्योंकि यहाँ भिन्न-भिन्न धर्म, संस्कृतियां और सभ्यताएं एक साथ मिलकर रहती हैं। इन सभी धर्मों में से एक है जैन धर्म जिसे काफ़ी प्राचीन माना जाता है। जैन धर्म की स्थापना का श्रेय ऋषभ देव को दिया जाता है और यह जैनियों के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर माने जाते हैं जिनका वर्णन वेदों में भी मिल जाता है।
बता दें कि जैन धर्म को “श्रमणों का धर्म“ के नाम से भी जाना जाता है और इसे एक शांत धर्म माना गया है जो दुनिया में अहिंसा को बढ़ावा देता है। साथ ही, लोगों को आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। जैन धर्म में पांच महाव्रतों का वर्णन किया गया है जिनके नाम इस प्रकार हैं- अहिंसा, नम्रता, यौन संयम, सत्य और अनासक्ति। जैन धर्म में आस्था रखने वाले लोग भगवान महावीर की पूजा-अर्चना श्रद्धाभाव से करते हैं। ऊपर बताए गए पांच महाव्रतों का ज्ञान संसार को भगवान ने ही दिया था और इनका पालन आज भी जैन धर्म के लोग बहुत भक्तिभाव से कर रहे हैं।
बात करें जैन धर्म की, तो जैन धर्म मुख्य रूप से दो सम्प्रदायों में बंटा हुआ है और इसमें एक समुदाय को दिगंबर कहा जाता है जबकि दूसरे को श्वेतांबर के नाम से जाना जाता है। यह दो संप्रदाय समाज की दो विचारधाराओं का प्रतीक माने जाते हैं। दिगंबर दिशाओं को वस्त्र मानता है, तो वहीं श्वेतांबर श्वेत यानी कि सफ़ेद वस्त्र धारण करते हैं। जैन धर्म के महत्व और इसके इतिहास के बारे में जानने के बाद अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं जैन धर्म में मनाए जाने वाले पर्वों के महत्व के बारे में।
दशलक्षण पर्व: जैन धर्म में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण और बड़े पर्वों में से एक है दशलक्षण पर्व और इसको पर्यूषण पर्व भी कहा जाता है। दिगंबर और श्वेतांबर समुदाय द्वारा दशलक्षण पर्व को लगातार 8 या 10 दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व के दस दिन क्षमा, आर्जव, मार्दव, संयम,सत्य, तप, शौच, आकिंचन्य त्याग और ब्रह्मचर्य आदि दस लक्षणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मेरु त्रयोदशी: मेरु त्रयोदशी व्रत को जैन धर्म में बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक के जीवन से सभी सांसारिक दुखों का नाश होता है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। मेरु त्रयोदशी व्रत हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है और यह पर्व पिंगल कुमार को समर्पित होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को सच्चे हृदय से रखने पर जातक को मोक्ष प्राप्त होता है।
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फाल्गुन अष्टानिका आरंभ: जैन धर्म में अष्टानिका पर्वएकसाल में तीन बार आता है और इस त्योहार से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि इस समय देवत स्वर्ग से धरती पर आकर निरंतर आठ दिनों तक नंदीश्वर द्वीप में धार्मिक कार्य संपन्न करते हैं। यह त्योहार लगातार आठ दिनों तक मनाया जाता है और इस दौरान धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है।
फाल्गुन अष्टानिका समाप्त: जैन समुदाय के लोगों के लिए फाल्गुन अष्टानिका का हर दिन विशेष होता है जो कि फाल्गुन अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। इस पर्व को मोक्ष की प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि के लिए मनाए जाने की परंपरा है इसलिए फाल्गुन अष्टानिका का अंतिम दिन ख़ास होता है।
महावीर जयंती: जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित होती है महावीर जयंती जो इनके जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग में महावीर जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के तेरहवें दिन अर्थात चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को आती है।
फाल्गुन चौमासी चौदस: जैन धर्म का विशेष त्योहार है फाल्गुन चौमासी चौदस और इसे फाल्गुन मास की चतुर्दशी पर मनाया जाता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा व्रत और अनुष्ठान भी किए जाते हैं जिसके अंतर्गत चतुर्दशी व्रत, मासिक शिवरात्रि का व्रत और फाल्गुन चौमासी चौदस आदि शामिल हैं। इस अवसर पर भगवान महावीर द्वारा बताए गए सिद्धांतों, विशेष रूप से अहिंसा के सिद्धांत का पालन किया जाता है।
संवत्सरी पर्व: जैन धर्म में श्वेताम्बर समुदाय के पर्युषण पर्व के समाप्त होने पर 'विश्व-मैत्री दिवस' यानी कि संवत्सरी पर्व को मनाया जाता है। यह पर्व मनुष्य को भगवान महावीर के मूल सिद्धांत “अहिंसा परमो धर्म” और ‘जियो और जीने दो” की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। जैन धर्म के लोगों के लिए संवत्सरी पर्व विशेष महत्व रखता है।
ओली आरंभ: नवपद ओली को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा बहुत ही श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है। इस दिन जैन समुदाय के लोगों द्वारा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक एक बार, एक आसन पर और एक निश्चित समय पर भोजन किया जाता है। इस दिन बनाया गया भोजन बहुत सादा होता है जिसे बिना तले, दही, बिना दूध, घी, मक्खन, तेल, मलाई, मसाले और चीनी आदि के बनाया जाता है।
कार्तिक रथ यात्रा: जैन धर्म के सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण पर्वों में से एक होता है कार्तिक रथ यात्रा और इसे हर साल कार्तिक मास में मनाया जाता है जो कि रोशनी का पर्व है। इस अवसर पर जैन समुदाय द्वारा भगवान अरुणाचलेश्वर को चांदी के वाहन पर स्थापित करके ढोल-नगाड़ों के साथ यात्रा निकालते हैं। बता दें कि इस रथ यात्रा में लाखों भक्त हिस्सा लेते हैं। इस पर्व को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा: लक्ष्मीं पूजा सिर्फ़ हिंदू धर्म में नहीं, बल्कि जैन धर्म में भी बेहद श्रद्धा और भक्तिभाव से की जाती है। यह पूजा जैन धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी पूजा पर भगवान महावीर को मोक्ष प्राप्त हुआ था इसलिए यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है। इस अवसर पर नए कार्यों को किया जाता है जिससे शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या जैन धर्म में लक्ष्मी पूजा की जाती है?
हाँ, जैन धर्म में लक्ष्मी पूजा को बहुत भक्तिभाव से किया जाता है।
2. साल 2026 में आयंबिल ओली कब से शुरू है?
इस वर्ष 16 अक्टूबर 2026, शुक्रवार से आयंबिल ओली शुरू होगा।
3. मेरु त्रयोदशी साल 2026 में कब है?
इस वर्ष मेरु त्रयोदशी 16 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी।
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