वक्री ग्रह 2019 तारीख़ें एवं प्रभाव
ग्रह गतिमान अवस्था में रहते हैं। इनकी स्थिति और इनकी चाल का मानव के जीवन पर महत्वपूर्ण
प्रभाव पड़ता है। हमारी जन्म पत्री (जन्म कुंडली) ग्रह स्थितियों के आधार पर ही तैयारी
की जाती हैं। इसमें जन्म समय और जन्म स्थान का विचार होता है। पृथ्वी से देखे जाने
पर ग्रह गतिमान अवस्था में होते हैं। ग्रह मार्गी और वक्री दो प्रकार से गति करते हैं।
मार्गी अवस्था में ग्रह सीधे आगे की ओर बढ़ते हैं। सामान्य स्थिति में एक ग्रह राशिचक्र
में इसी अवस्था में आगे बढ़ता है। जबकि इसके विपरीत ग्रह (सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर)
वक्री भी होते हैं। इस स्थिति में ग्रह अपनी उल्टी दिशा में आगे बढ़ता है। इन्हें वक्री
ग्रह कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष में पृथ्वी को अन्य ग्रहों की गति और स्थिति का अनुभव करने का केन्द्र माना गया है। ऐसे में कभी-कभी, ग्रह पृथ्वी की अपनी स्थिति और गति के कारण वक्री दिखाई देते हैं। वक्री के दौरान, एक ग्रह पिछली राशि में एक निश्चित समयावधि तक रहता है। माना जाता है कि वक्री ग्रह पृथ्वी के करीब होते हैं और अपनी वक्री अवधि के दौरान, वे प्रत्यक्ष गति की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, एक उच्च वक्री ग्रह एक पीड़ित ग्रह की तरह परिणाम देता है और एक दुर्बल वक्री ग्रह एक उच्च ग्रह की तरह परिणाम देता है।
यदि किसी व्यक्ति के जन्म के समय वक्री ग्रह है तो इससे उस व्यक्ति की जन्म कुंडली प्रभावित होगी। ऐसा माना जाता है कि सभी ग्रह उस भाव को प्रभावित करते हैं, जहां से वे वक्री चाल शुरू करते हैं, हालाँकि बृहस्पति ग्रह उस भाव को ही प्रभावित करता है जहाँ वह किसी व्यक्ति के जन्म के समय होता है। इसके अलावा, यह एक सामान्य विचार है कि यदि जन्म के दौरान अशुभ ग्रह चौथे, सातवें या दसवें घर में होते हैं, तो लाभकारी परिणाम देते हैं।
बहरहाल, अलग-अलग ग्रहों में अलग-अलग तरह की गतियाँ होती हैं। सूर्य और चंद्रमा केवल दो ऐसे ग्रह हैं जो कभी पीछे की ओर गति नहीं करते हैं। तेज़ गति वाला ग्रह बुध एक वर्ष के दौरान तीन बार मार्गी होता है। छाया ग्रह, राहु और केतु हमेशा वक्री गति में होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे हमेशा विपरित दिशा में गति करते हैं। प्रत्येक वर्ष के दौरान कुछ महीनों के लिए शनि और बृहस्पति भी वक्री होते हैं। मंगल ग्रह और शुक्र ग्रह दो साल में एक बार वक्री करते हैं। आइए जानते हैं साल 2019 में कौन-से ग्रह कब होंगे वक्री।
वकी ग्रह का प्रभाव
1. बुध
बुध ग्रह की चाल सबसे तेज होती है। इसलिए यह अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक बार वक्री चाल चलता है। बुध ग्रह वाणी, बुद्धि और संचार आदि का कारक है। इसलिए अपनी वक्री चाल के समय बुध ग्रह व्यक्ति की वाणी, संचार कौशलता एवं बुद्धिमत्ता को प्रभावित करता है। अपनी वक्री चाल में बुध मजबूत स्थिति में होता है। अतः इसके परिणाम भी सामान्य रूप से अच्छे होते हैं। वक्री के दौरान बुध व्यक्ति के करियर जीवन और व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
यदि वक्री के दौरान बुध किसी अग्नि तत्व की राशि में होता है तो यह उस व्यक्ति की बौद्धिक शक्ति को बढ़ाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के अंदर रचनात्मक विचार पैदा होते हैं। जबकि यह पृथ्वी तत्व की राशि में होने पर धन की समस्या को दर्शाता है। वहीं वायु तत्व की राशि में इसकी उपस्थिति संवाद कौशल को मजबूत बनाती है और पानी तत्व की राशि में होने पर यह व्यक्ति को भावुक अवस्था में लाता है।
बुध वक्री के दौरान व्यक्ति की छटी इंद्रीय जाग सकती है। बुध की प्रकृति तटस्थ है। लेकिन यह बुरे ग्रहों के साथ मिलकर बुरा हो जाता है और शुभ ग्रहों के साथ संगति करने पर यह शुभ हो जाता है। यदि किसी का उच्च बुध वक्री होता है तो वह व्यक्ति एक कूटनितिज्ञ की तरह व्यवहार करता है। बुध वक्री के समय नौकरी में बदलाव, स्थान परिवर्तन एवं यात्रा आदि नहीं करनी चाहिए।
साल 2019 में तीन बार होगा बुध वक्री
- इस साल बुध ग्रह 5 मार्च, 2019 (मंगलवार) को 11:49 बजे से वक्री चाल चलेगा। इसके बाद 28 मार्च, 2019 (बृहस्पतिवार) को 07: 29 बजे वह मार्गी अवस्था में आएगा।
- 08 जुलाई 2019 (सोमवार) को 04:45 बजे से बुध ग्रह पुनः वक्री चाल चलेगा। इसके बाद 01 अगस्त 2019 (गुरुवार) को 09:28 बजे वह मार्गी अवस्था में आएगा। इस दौरान बुध की वक्री चाल कुल 25 दिनों की होगी। यह बुध की 2019 में सबसे बड़ी वक्री चाल होगी।
- वहीं तीसरी बार, 31 अक्टूबर 2019 (गुरुवार) को 21:11 बजे बुध वक्री करेगा और यह 21 नवंबर 2019 को मार्गी होगा। इस दौरान बुध की वक्री चाल की अवधि कुल 21 दिनों की रहेगी।
2. शुक्र
शुक्र ग्रह भोग-विलासिता, सुंदरता, फैशन, भौतिकता एवं प्रेम-विवाह का कारक होता है। इसलिए वक्री के समय यह इन्हीं चीज़ों को प्रभावित करता है। शुक्र वक्री के समय आवश्यक है कि आपको दोबारा से सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए। यदि शुक्र वक्री चाल में है और आप अपने प्रेम की तलाश कर रहे हैं तो आप इसमें सफल होंगे। शुक्र की वक्री चाल के दौरान भोग विलास की वस्तुओं में धन को ख़र्च करना ठीक नहीं माना जाता है। हालाँकि इस दौरान अच्छी फाइनैंशियल लाइफ की योजना बनाना शुभ होता है। इस दौरान व्यक्ति ग़लतफ़हमी का शिकार भी हो सकता है। इस दौरान अपने चेहरे में किसी प्रकार की ब्यूटी ट्रीटमेंट न कराएं और न ही कोई नया ब्यूटी प्रोडक्ट प्रयोग में लाएं। प्रेम और वैवाहिक जीवन में सब्र से काम लें। क्योंकि शुक्र वक्री का प्रभाव आपकी रोमांटिक लाइफ पर पड़ता है। इस दौरान आपका फैशन सेंस भी प्रभावित होता है।
साल 2019 में बुध ग्रह वक्री नहीं करेगा।
3. मंगल
लाल ग्रह मंगल का संबंध साहस और पराक्रम से है। यह व्यक्ति के जोश और उत्साह को भी दर्शाता है। जब मंगल वक्री चाल चलता है तो यह व्यक्ति को उर्जावान या फिर आक्रामक बनाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में वक्री चाल का मंगल छठे, आठवें और बाहरवें भाव में होता है तो यह व्यक्ति को स्वार्थी बनाता है। इस दौरान व्यक्ति स्वयं के बारे में अधिक सोचता है।
मंगल वक्री हो तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे इस दौरान किसी प्रकार का नया वाहन न खरीदें। संभव हो तो किसी भी प्रकार की मेडिकल सर्जरी न कराएं और न ही किसी प्रकार के हथियार का प्रयोग करें। इसके अलावा नए घर में शिफ़्ट न हों। वहीं नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करें। मंगल वक्री का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर कैसा पड़ेगा। यह उस व्यक्ति की कुंडली से ज्ञात होता है।
साल 2019 में मंगल ग्रह वक्री नहीं करेगा।
4. बृहस्पति (गुरु)
बृहस्पति ग्रह बहुत ही प्रभावी ग्रह है। सामान्य रूप से इसे शुभ ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह प्रत्येक वर्ष में चार महीने वक्री अवस्था में रहता है। गुरु की चाल धीमी है। इसलिए यह 12 बर्षों में राशि चक्र का एक चक्कर लगा पाता है। गुरु वक्री व्यक्ति के अंदर अकल्पनीय क्षमताओं को विकसित करता है। इस दौरान व्यक्ति असंभव चीज़ों को करने में सक्षम हो जाता है। कुंडली में गुरु चौथे और सातवें भाव का स्वामी होता है। यदि गुरु वक्री अवस्था में और यह व्यक्ति के चौथे भाव में स्थित हो तो यह व्यक्ति को आध्यात्मिक बनाता है। यदि गुरु उच्च अवस्था अपनी राशि में स्थित हो तो वक्री के दौरान यह चौथे भाव में शुभ फल देता है। .
इसके साथ ही जातक की माता प्रसन्न रहती है और वह उसके लिए लकी भी साबित हो सकती है। इस दौरान व्यक्ति को आर्थिक जीवन में सफलता मिलती है। गुरु वक्री अवस्था हो और वह जातक के सातवें भाव में उपस्थित हो तो यह विवाह में देरी का कारक हो जाता है। वहीं दसवें भाव में होने पर यह व्यक्ति को शिक्षा एवं ज्ञान की ओर ले जाता है। वक्री के दौरान गुरु का प्रभाव क्या होगा यह जन्मकुंडली के आधार पर ज्ञात होता है। यह इस दौरान कारक और पंचम भाव में परिणाम देता है। लग्न भाव में वक्री चाल का गुरु जातक के लिए अच्छा होता है। यदि उच्च का गुरु कुंडली के प्रथम, पंचम या नवम भाव में होता है तो यह जातक को ईमादार और न्याय प्रिय व्यक्ति बनाता है।
गुरु वक्री के बुरे प्रभावों से बचने के लिए गुरुवार के दिन व्रत धारण करें और ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः मंत्र का जाप करें।
साल 2019 में गुरु वक्री
- साल 2019 में बृहस्पति ग्रह 10 अप्रैल 2019 (बुधवार) को 22:17 बजे वक्री चाल चलेगा और 11 अगस्त 2019 (रविवार) को 19:18 बजे मार्गी होगा। इस दौरान वक्री चाल की अवधि कुल 123 दिनों की रहेगी।
5. शनि
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। यह बहुत ही धीमी अवस्था में गति करता है। जब शनि वक्री चाल चलता है तो यह व्यक्ति के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालता है। इस दौरान शुभ शनि जब व्रक्री करता है तो यह लोगों के लंबित कार्यों को पूरा करता है। हालाँकि व्रक्री के दौरान शनि का फल सकारात्मक होगा या नकारात्मक यह कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर ही तय होता है।
शनि जब वक्री चाल में हो तो कुछ सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता होती है। जैसे इस दौरान किसी भी नए कार्य को शुरु नहीं करना चाहिए। यदि आप मेहनती हैं तो आपको इस दौरान बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। यदि आप इस समय समस्याओं का सामना करते हैं तो मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की आराधना करें। इससे आपकी समस्याएँ स्वतः दूर होंगी। दैनिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ आपके लिए कारगर साबित होगा।
साल 2019 में शनि वक्री
- साल 2019 में शनि ग्रह एक बार वक्री चाल चलेंगे। 30 अप्रैल 2019, मंगलवार के दिन प्रातः 06:42 बजे से शनि वक्री चाल चलेंगे। वहीं 18 सितंबर 2019, बुधवार के दिन दोपहर 2:08 बजे शनि अपनी वक्री चाल से बाहर आएंगे। शनि अपनी वक्री अवस्था में कुल 142 दिनों तक रहेंगे।
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