नवम भाव में स्थित सूर्य का फल (Sun in Ninth House)
सूर्य फल विचार
सूर्य की यह स्थिति आपको लम्बी यात्राएं करवाएगी। आप स्वभाव से परोपकारी होंगे। आपको अपने परिवार से विशेष लगाव होगा लेकिन पिता से संबंध अधिक मधुर नहीं रहेंगे। आपके भीतर नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता पाई जाएगी। आप गृहस्थ होकर भी किसी योगी और तपस्वी की तरह जीवन व्यतीत करेंगे। सदाचार आपके स्वभाव में कूट-कूट कर भरा होगा।
आप स्वभाव से कुछ हद तक क्रूर हो सकते हैं। फिर भी अपनी साधना से आप स्वयं को सुखी रख पाएंगे। आपको विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख मिलेगा। आपके पास कई नौकर-चाकर हो सकते हैं। आपकी रुचि ज्योतिष या किसी अन्य गूढ विद्या में हो सकती है। इसके अलावा आपका लगाव कानून या कानून से संबंधित संस्थानों से हो सकता है।
इक्कीस वर्ष की उम्र के बाद आपके जीवन की कठिनाइयां धीरे-धीरे करके समाप्त होने लगेंगी। आप जिस किसी क्षेत्र में होंगे वहां आपको सम्मान मिलेगा। सूर्य की यह स्थिति आपको शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग करेगी और आप उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। यह स्थिति विदेश यात्रा के लिए भी आपको अनुकूलता प्रदान करेगी लेकिन आप अपने पुत्रों को लेकर कुछ हद तक चिंतित रह सकते हैं।
ज्योतिष में सूर्य ग्रह का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता का स्वरूप मानकर इसकी आराधना की जाती है। यह धरती पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी क्रमशः बुध और शुक्र के बाद सबसे कम है। इसका आकार सभी ग्रहों से बहुत विशाल है। सौर मंडल में यह केन्द्र में स्थित है। यद्यपि खगोलीय दृष्टि से सूर्य एक तारा है। लेकिन वैदिक ज्योतिष में यह एक महत्वपूर्ण और प्रमुख ग्रह है। जन्म कुंडली के अध्ययन में सूर्य की अहम भूमिका होती है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव
ज्योतिष में ग्रह
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में सूर्य ग्रह
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता माना गया है जिसके अनुसार, सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मा स्वरूप
हैं। इसके द्वारा व्यक्ति को जीवन, ऊर्जा एवं बल की प्राप्ति होती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार सूर्य
महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। माता का नाम अदिति होने के कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। ज्योतिष में
सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर
सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह
का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
हिन्दू ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है। इस दौरान लोग आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्य की उपासना करते हैं। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं। राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है। सूर्य हमारे जीवन से अंधकार को नष्ट करके उसे प्रकाशित करता है। यह हमें सदैव सकारात्मक चीज़ों की ओर प्रेरित करता है। इसकी किरण मनुष्यों के लिए आशा की किरण होती हैं। साथ ही यह हमें ऊर्जावान रहने की प्रेरणा देता है जिससे हम अपने उद्देश्य को पाने के लिए अनवरत रूप से कार्य करते रहे हैं।
सूर्य के विभिन्न नाम : आदित्य, अर्क, अरुण, भानु, दिनकर, रवि, भास्कर आदि।
सूर्य की प्रकृति: सूर्य नारंगी रंग का शुष्क, गर्म, आग्नेय और पौरुष प्रवृत्ति वाला ग्रह है। दिशाओं में यह पूर्व दिशा का स्वामी होता है जबकि धातुओं में यह तांबा और सोने का स्वामी होता है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य का महत्व
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है।
शारीरिक रूपरेखा: जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न में हो तो उसका चेहरा बड़ा और गोल होता है। उसकी आँखों का रंग शहद के रंग जैसा होता है। व्यक्ति के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। इसलिए काल पुरुष कुंडली में सिंह राशि हृदय को दर्शाती है। सूर्य पुरुषों की दायीं आँख और स्त्रियों की बायीं आँख को दर्शाता है।
रोग: यदि जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आँख से संबंधित रोगों को जन्म देता है। यदि सूर्य शनि ग्रह से पीड़ित हो तो यह निम्न रक्त दाब जैसी बीमारी को पैदा करता है। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। यह चेहरे में मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी, पित्त की शिकायत आदि बीमारियों का कारक होता है।
सूर्य की विशेषताएँ
यदि जन्मपत्री में सूर्य शुभ स्थान पर अवस्थित हो तो जातक को इसके शुभ परिणाम परिणाम मिलते हैं। सूर्य की यह स्थिति जातकों के लिए सकारात्मक होती है। इसके प्रभाव से लोगों को मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जातक स्वयं के अच्छे कार्यों से प्रेरित होते हैं। जातक का स्वयं पर पूरा नियंत्रण होता है।
बली सूर्य: ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है।
बली सूर्य के प्रभाव: लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति आदि को प्रदान करता है।
पीड़ित सूर्य के प्रभाव: अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है।
सूर्य से संबंधित कार्य/व्यवसाय: सामान्य तौर पर सूर्य जीवन में स्थायी पद का कारक होता है। यह हमारी जन्मपत्री में सरकारी नौकरी को दर्शाता है। यदि जिस नौकरी में सुरक्षा भाव सुनिश्चित होता है, वहाँ पर सूर्य का आधिपत्य भी सुनिश्चित होता है। कार्यक्षेत्र में सूर्य स्वतंत्र व्यवसाय को दर्शाता है। हालाँकि किसी व्यक्ति का करियर कैसा होगा, यह सूर्य की दूसरे ग्रहों से युति या संबंध से ज्ञात होता है। यहाँ कुछ ऐसे कार्य व व्यवसायिक क्षेत्र हैं जो सूर्य से संबंधित हैं - प्रशासनिक अधिकारी, राजा, अथवा तानाशाह।
उत्पाद: चावल, बादाम, मिर्च, विदेशी मुद्रा, मोती, केसरिया, जड़ी आदि।
बाज़ार: सरकारी देनदारी, स्वर्ण, रिज़र्व बैंक, शेयर बाज़ार आदि।
पेड़ पौधे: कांटेदार पेड़, घास, नारंगी के पेड़, औषधीय जड़ी बूटियों आदि।
स्थान: वन, पहाड़, किले, सरकारी भवन इत्यादि।
जानवर और पक्षी: शेर, घोड़ा, सूअर, नागिन, हंस आदि।
जड़: बेल मूल।
रत्नः माणिक्य।
रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष।
यंत्र: सूर्य यंत्र।
रंग: केसरिया
सूर्य के मंत्र
ज्योतिष में सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं। जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं।
सूर्य का वैदिक मंत्र
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
ज्योतिष में सूर्य ग्रह कितना महत्वपूर्ण है, यह आपने समझ ही लिया होगा। हमारी पृथ्वी पर सूर्य के द्वारा जीवन संभव है। इसी कारण सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा जाता है।
Astrological services for accurate answers and better feature
Astrological remedies to get rid of your problems
AstroSage on MobileAll Mobile Apps
AstroSage TVSubscribe
- Horoscope 2026
- राशिफल 2026
- Calendar 2026
- Holidays 2026
- Shubh Muhurat 2026
- Saturn Transit 2026
- Ketu Transit 2026
- Jupiter Transit In Cancer
- Education Horoscope 2026
- Rahu Transit 2026
- ராசி பலன் 2026
- राशि भविष्य 2026
- રાશિફળ 2026
- রাশিফল 2026 (Rashifol 2026)
- ರಾಶಿಭವಿಷ್ಯ 2026
- రాశిఫలాలు 2026
- രാശിഫലം 2026
- Astrology 2026






