ज्योतिष क्विज़ 17: जातक जन्म से किस रोग से ग्रस्त है?
मित्रों, एस्ट्रोसेज क्विज़ 17 के साथ एक बार हम फिर हाज़िर हैं। इस क्विज़ में भाग लेकर दीजिये अपनी क़िस्मत को मौका विजेता का ख़िताब जीतने का। और हाँ, एस्ट्रोसेज क्विज़ हॉल ऑफ़ फ़ेम में अपना नाम देखना मत भूलिएगा।
ज्योतिष क्विज़ 17:
जातक जन्म से किसी बीमारी से ग्रस्त है। वह कौनसी बीमारी हो सकती है?
उत्तर विकल्प:
- (A) मस्तिष्क का समुचित विकास न होना
- (B) पैरों का सही ढ़ंग से काम ना करना
- (C) गूंगापन
- (D) अंधापन
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जातिका का जन्म विवरण:
- लिंग: पुरुष
- जन्म तिथि: मई 13, 2003
- जन्म समय: 11:30am
- जन्म स्थान: दिल्ली, भारत
- देशान्तर (Longitude): 77:13 E
- अक्षांश (Latitude): 28:40 N
कुण्डली
कुण्डली का पूरा विवरण देखने के लिए दिए हुए लिंक पर जाइये - - http://k.astrosage.com/quiz17
नियम और शर्तें
- कृपया अपने उत्तर के साथ ज्योतिषीय विश्लेषण अवश्य दीजिए। बिना विश्लेषण के उत्तर मान्य नहीं होंगे।
- केवल अगस्त १९, २०१४ तक ही उत्तर ही मान्य होंगे।
- क्विज़ का परिणाम अगस्त २०, २०१४ को घोषित किया जाएगा।
- उत्तर देने के लिए आप या तो नीचे “कमेंट बॉक्स” का उपयोग कर सकते हैं या फिर हमें quiz@astrosage.com पर विश्लेषण सहित उत्तर भेज सकते हैं।
- एक से अधिक विजेता होने की सूरत में किसी भी एक को पुरस्कार के लिए यादृच्छिक (रेंडम) तरीक़े से चुना जाएगा। किन्तु सभी सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों का नाम “एस्ट्रोसेज क्विज़ हॉल ऑफ़ फ़ेम” में सम्मिलित किया जाएगा।
क्विज़ #17 का परिणाम
एस्ट्रोसेज.कॉम ने अपने क्विज सेक्सन में सत्रहवें क्विज में आपसे एक ज्योतिषीय सवाल पूछा था। जिसमें आपको एक जन्म विवरण देते हुए आपसे पूछा गया था कि जातक जन्म से किसी बीमारी से ग्रस्त है? कारण सहित बताएं!
सहीं जबाब है विकल्प (A) - मस्तिष्क का समुचित विकास न होना
कई जानकारों ने सटीक उत्तर दिए लेकिन लोगों ने कारण सहित सही उत्तर दिया उनके नाम हैं- विनय जौहरी, आकाश गुप्ता, सिद्धांत दुआ, डी.एस. नागेश्वर, राजीव सिंह, जयेन्द्र पाण्ड्या, जतिन्दर संधु, और मेरो कालो चस्मा (सम्भत: यह किसी का नाम नहीं है लेकिन हमें इसी आइ. डी. से उत्तर दिया गया है।), ख़ास और असद घरोड़ी (सम्भत: यह किसी का नाम नहीं है लेकिन हमें इसी आइ. डी. से उत्तर दिया गया है।
सर्वश्रेष्ठ उत्तर
इस बार सभी लोगों ने नियमबद्ध तरीके से उत्तर दिया है लेकिन उनमें से किसी एक को सर्वश्रेष्ठ उत्तर देने वाले का खिताब देना होता है, और इस बार का यह ख़िताब जाता है “विनय जौहरी” जी को।
इन्होंने जो उत्तर दिया है वह इस प्रकार है:
Ref: Kundli- Male- May 13, 2003, 11:30 am , Delhi
The boy is suffering from "under developed brain". The reasons are as follows:
1. Mercury is the lord of the 12th house and the 3rd house and both are bad houses ( and also disease giving houses )
2. Mercury represents brain.
3. Mercury is combust Sun ( 9 degrees apart )
4. Mercury is not friends to lagna ( either Jupiter or Moon )
5. The boy is born with Moon ( also lagna lord ) in Hasta nakshatra so he cannot have problem to limbs.
6. There cannot be a problem in limbs because of exalted Jupiter in lagna. Moreover Parashara says that although Jupiter is 6th lord , still it is a benefic for Cancer ascendant.
7. He cannot be blind because Venus ( karaka for eyesight ) is in Kendra and also Sun ( lord of 2nd ) is exalted ( although not completely exalted )
8. Venus is not combust Sun ( by degrees ) so he cannot be blind.
9. He cannot be mute because lord of 2nd ( Sun) is exalted and is sitting in Kendra and Sun is a friend of Lagna lord.
10. Mercury is eighth from lagna lord and is combust with Sun
Also, lord of the 8th Saturn is in 12th, and Saturn contributed to the problem of
"under developed brain "
Please let me know if my analysis was correct.
Regards
Vinay Jauhari
Boston (USA)
विकल्प (A) मस्तिष्क ज्वर, सही उत्तर क्यों है?
जातका का जन्म कर्क लग्न और कन्या राशि में हुआ है। चन्द्रमा का नक्षत्र हस्त है और लग्न का नक्षत्र आश्लेषा। यानी चन्द्रमा स्वयं अपने नक्षत्र में है जबकि लग्न बुध के नक्षत्र में है। स्वाभाविक है कि जातक के जीवन में चन्द्रमा और बुध का सर्वाधिक प्रभाव रहेगा। रोग के स्थान का स्वामी बृहस्पति है और वह चन्द्रमा की राशि व शनि के नक्षत्र में है। अत: यहां भी चन्द्रमा के साथ-साथ शनि का प्रभाव आ रहा है। शनि के प्रभाव के कारण हम कह सकते हैं कि जातक को जो भी रोग होगा वह लम्बी अवधि वाला हो सकता है। अर्थात उस पर सहजता से नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। वहीं बृहस्पति की स्थिति यह दर्शाती है कि या तो जातक परमज्ञानी होगा अथवा उसका ज्ञान बाधित रह सकता है। ऐसा इसलिए कि बृहस्पति उच्चावस्था का है जो परमज्ञानी होने का संकेत कर रहा है लेकिन ये ऐसा तब कर पाएगा जब लग्न और लग्नेश काफी अच्छी अवस्था में हो, साथ ही वह जिस राशि व नक्षत्र में हो उनके स्वामियों की भी स्थिति अच्छी हो।
इस पूरे प्रकरण में चन्द्र, बुध, गुरु और शनि की भूमिका सामने आ रही है। जिसमें से चंद्रमा बुध की राशि में है, बुध अस्त व वक्री है, चन्द्रमा पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं है, यदि राहु की दृष्टि माने तो चंद्रमा राहु से दृष्ट है। वहीं बुध वक्री होकर अस्त हो गया है। जबकि शनि द्वादश भाव में है। यहां केवल गुरु महराज ज्ञान देने की बात कर रहें हैं लेकिन उनका ज्ञान तब काम आएगा, जब जातक के शरीर (लग्न) में ज्ञान को आत्मसात करने की योग्यता या क्षमता हो।
अरिष्ट देखने के लिए वैदिक ज्योतिष में "त्रिशांश" कुण्डली को देखने की सलाह दी गई है। इस मामले में मकर राशि का त्रिशांश उदित हो रहा है। इस तरह त्रिशांशेश शनि हुआ। जो कि मेष के त्रिशांश में गया जो कि अच्छा नहीं है। आरोग्यता का कारक सूर्य भी तुला के त्रिंशांश में है। यानी दोनो ग्रह नीच त्रिशांश में हैं। अत: जातक के रोगी होने का संकेत मिल रहा है।
चन्द्रमा और बुध मनोमस्तिष्क के संकेतक होते हैं। इन दोनों का पीड़ित होना मस्तिष्क के समुचित विकास में बाधक बनता है। अब क्योंकि रोग या परेशानी जन्मजात है अत: जन्म के समय मिलने वाली दशाओं को देखना बहुत जरूरी हो जाता है। जातक का जन्म चन्द्रमा की महादशा और शनि की अंतरदशा में हुआ। चन्द्र-शनि की युति को विष योग कहा गया है। भले ही यहां चन्द्र शनि की युति न हो रही हो लेकिन दोनों की दशाओं का साथ होना जीवन में विषाक्तता घोलने का संकेत कर रही है। विष योग के बारे में कहा गया है कि ऐसा जातक जीवन से निराश हो जाता है। निराशा कब आती है जब मनोमस्तिष्क सही ढंग से साथ नहीं देता, ज्ञान बाधित हो जाता है। तात्पर्य यह कि विषयोग विचारशून्यता देता है। यानी चन्द्रमा की महादशा और शनि की अंतरदशा में जन्म हुआ और जैसा कि हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं कि दोनो ही ग्रहों की स्थिति कुण्डली में अच्छी नहीं है। अत: मनोमस्तिष्क से सम्बंधित परेशानी का होना परिलक्षित हो रहा है। कुण्डली में ध्यान देने वाली बात यह है कि शनि और चन्द्रमा दोनो ही ग्रह बुध की राशि में बैठे हैं। बुध बुद्धि का कारक ग्रह है वह कुण्डली में वक्री व अस्त है यानी पीड़ित है। अत: चन्द्र बुध की पीड़ा ने जातक को मस्तिष्क संबंधी परेशानी दी जबकि शनि ने उसे असाध्य बना दिया।
जिन लोगों का उत्तर सहीं नहीं हुआ उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। पुन: प्रयास करें और क्विज़ 18 में भाग लें, मेहनत जरूर रंग लाएगी। आशा है आप सभी बिना निराश हुए अगले प्रश्न का सही उत्तर देंगे। आप सभी लोगों का एस्ट्रोसेज परिवार की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद।
एस्ट्रोसेज परिवार सभी हिस्सेदारों और विजेताओं को मुबारकबाद देता है। यदि आपका नाम विजेताओं की सूचि से छूट गया है तो हमे बताएं, हम वह सूचि पुनः तैयार करेंगे। यह सभी नाम अपनी जगह "ऎस्ट्रोसेज क्विज़: हॉल ऑफ़ फ़ेम" में बनाएँगे। यदि आपका खाका एस्ट्रोसेज ऑनलाईन डायरेक्टरी पर है तो हमे बताएं। हम आपके खाके को आपके नाम के साथ जोड़ देंगे।
क्या आपने यह मौका गवा दियाअ? डरिये मत, आपके लिए प्रस्तुत है क्विज-18 तो अपना भविष्य आज़माइए!